सुप्रीमकोर्ट ने जताई चिंता- शिक्षा बन गई है इंडस्ट्री-जाना पड़ रहा यूक्रेन

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से शिक्षा के उद्योग बनने पर गहरी चिंता जताई गई है। इसी के चलते देश में मेडिकल एजुकेशन का खर्च नहीं उठाने की वजह से छात्रों को यूक्रेन जैसे देशों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाना पड़ रहा है। सरकार को इसके ऊपर रोक लगानी चाहिए।

मंगलवार को फार्मेसी कॉलेज खोलने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से अपनी टिप्पणी की गई है कि देश में शिक्षा अब कारोबार का रूप ले चुकी है। जिसके फलस्वरूप देश में मेडिकल की शिक्षा महंगी होने की वजह से खर्च को सहन नहीं कर पाने वाले छात्रों को यूक्रेन जैसे देशों में जाना पड़ रहा है। कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली ने कहा है कि हर कोई जानता है कि देश में आज शिक्षा पूरी तरह से व्यवसाय का रूप ले चुकी है। इन्हें संचालित करने वाले लोग बड़े कारोबारी समूह हैं। सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए। मेडिकल एजुकेशन की कीमत देश में बहुत ज्यादा होने की वजह से लोगों को यूक्रेन जैसे देशों में जाना चाहिए।

सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश में जिस तरह की स्थिति है उस पर ध्यान देना चाहिए। कालेजों ने खुद ही अदालत में बताया है कि उन्होंने सरकारी रोक के चलते पिछले 2 साल खो दिए हैं। हम छात्रों की अर्जी को समझते हैं लेकिन यह कॉलेज आज इंडस्ट्री का रूप ले चुके हैं। तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ रही थी। इसलिए हमने 5 वर्ष के लिए रोक लगाई थी।

उन्होंने कहा कि अदालत जानती है कि देश में जिस तरह से इंजीनियरिंग कॉलेजों को शॉपिंग सेंटर की तरह चलाया जा रहा है देश में पहले ही 25 सौ कॉलेज मौजूद हैं। इस पर अदालत ने अपनी सहमति जताते हुए कहा कि हम भी देश में कालेजों की संख्या बढ़ने देना चाहते हैं। एक समय में तो देश में बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग और बीएड कॉलेज थे। हम फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से आग्रह करते हैं कि वह आवेदक कालेजों की मांग पर विचार करें, जिन्होंने 3 उच्च न्यायालय में जाकर अपनी अर्जी दाखिल की थी।

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