बिहार इलेक्शन के लिए महागठबंधन में सीटों का फार्मूला सेट
पटना । बिहार में राष्ट्रीय जनता दल नेतृत्व वाले महागठबंधन के कई नेता रांची जाकर आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव से मिलकर रणनीति बना रहे हैं या टिकट की मांग कर रहे हैं. इस बीच, सूत्रों का दावा है कि महागठबंधन में सीटों का फोर्मूला तय कर लिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, तय है कि गठबंधन की अगुवाई करने वाला आरजेडी जहां बड़े भाई की भूमिका में अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस रहेगी।
महागठबंधन के सूत्रों का कहना है कि शामिल घटक दलों के बीच सीटों को लेकर लगभग सहमति बन गई है। वामदलों के बाद बुधवार को राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (आरएलएसपी) की ओर से सीटों पर बातचीत करने के लिए अधिकृत उपाध्यक्ष राजेश यादव और प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से बात की. इससे पहले वामदल के नेता भी जगदानंद सिंह से मिलकर बात कर चुके हैं।
आरजेडी 135-140 सीटों पर प्रत्याशी उतार सकती है, वहीं कांग्रेस के हिस्से 50 से 55 सीटें आ सकती हैं. इसके अलावे आरएलएसपी को 15 से 20 और विकासशील इंसान पार्टी को 10 से कम सीटों पर प्रत्याशी उतारने का मौका मिल सकता है. इसके अलावे वामदलों की पार्टियों के साथ सामंजस्य बैठाने की कोशिश की गई है।
हालांकि सूत्र यह भी कहते हैं कि इसमें नाराजगी उभरने की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पहले ही 70 से 80 सीटों की मांग की थी।
सूत्रों का दावा है कि राज्यसभा सांसद और कांग्रेस चुनाव समिति के प्रमुख अखिलेश सिंह भी बुधवार को रांची पहुंचकर लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर चुके हैं. दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई, इसका खुलासा नहीं हो पाया है।
वैसे, कांग्रेस की नजर इस बार ऐसी सीटों पर भी टिकी हुई है जहां पिछले चुनाव में जेडीयू विजयी हुई थी या जहां से श्रक्न् दूसरे नंबर पर रही थी. सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन बहुजन समाज पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसी अन्य पार्टियों के लिए भी सीट छोड़ सकती है।
उल्लेखनीय है पिछले विधानसभा चुनाव से इस विधानसभा चुनाव में परिस्थितियां बदली हैं. पिछले चुनाव में जदयू, आरजेडी और कांग्रेस गठबंधन के साथ उतरी थी लेकिन इस चुनाव में जदयू राजग के साथ है।
इधर, आरएलएसपी के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं, कि इस चुनाव में वह राजग को हराने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. इस बयान का अर्थ सियासी क्षेत्र में उनकी नाराजगी से भी लगाया जा रहा है।