संत रविदास शोभायात्रा- आयोजकाें और प्रशासन के बीच गतिरोध बरकरार
सहारनपुर। जातीय नजरिए से अति संवेदनशील उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में इस साल भी संत रविदास शोभायात्रा के मार्ग को लेकर आयोजकाें और प्रशासन के बीच गतिरोध बना हुआ है।
प्रशासन नए और ज्यादा सुरक्षित मार्ग से शोभायात्रा निकालने की अनुमति दे रहा है जबकि गांव के अनुसूचित जाति के लोग शोभायात्रा को परंपरागत और बडे मार्ग से ही शोभायात्रा निकालने पर अडे हुए है। उप महानिरीक्षक उपेंद्र अग्रवाल और कमिश्नर एवी राजमौलि ने शनिवार शाम थाना बडागांव पहुंच कर स्थिति की समीक्षा की और दो टूक कहा कि प्रशासन किसी भी सूरत में परंपरागत मार्ग से शोभायात्रा नहीं निकलने देगा। आयोजकों कों प्रशासन द्वारा सुझाए गए नए निर्धारित मार्ग से शोभायात्रा निकालने में भरपूर सहयोग मिलेगा।
यह गतिरोध इसलिए बना है कि पांच मई 2017 को शब्बीरपुर गांव में दलितों और राजपूतों के बीच हिंसक टकराव हो गया था। गांव के राजपूत युवक महाराणा प्रताप की बडगांव में आयोजित जयंती समारोह में जुलूस की शक्ल में जा रहे थे कि दूसरे वर्ग के साथ उनका विवाद और टकराव हो गया था। इसकी प्रणति मे सहारनपुर में भीम आर्मी के नौ मई के प्रदर्शन के दौरान जबरदस्त हिंसा और आगजनी हुई थी। जिसके बाद भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर रासुका लगाई गई थी।
2017 की शब्बीरपुर हिंसा से पूर्व जिले के थाना जनकपुरी के सडक दूधली गांव में 20 अप्रैल 2017 को भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा की अगुवाई में बिना अनुमति के रविदास शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान गांव के मुस्लिम समुदाय के लोगो ने शोभायात्रा पर जमकर पथराव कर दिया था। जिससे वहा दंगा भडक गया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना अनुमति शोभायात्रा निकालने और तत्कालीन एसएसपी लव वर्मा के सरकारी आवास में घुसकर हंगामा और अमर्यादित आचरण करने पर गहरी नाराजगी जताई थी। राघव लखनपाल शर्मा, भाजपा विधायक देवेंद्र निम और देवबंद विधायक ब्रिजेश रावत, भाजपा जिलाध्यक्ष बिजेंद्र कश्यप, सहारनपुर महानगर अध्यक्ष अमित गगनेजा एवं पूर्व विधायक महावीर राण समेत र्क भाजपाइयों के खिलाफ संगीना धाराओं में मुकदमें दर्ज हुए थे।
एक बार फिर से सडक दूधली में 27 फरवरी को सडक दूधली में भाजपा नेता निर्दोष कुमार ने प्रशासन से शोभायात्रा निकालने की अनुमति मांगी है। प्रशासन इस पर विचार कर रहा है। जिले में अनुसूचित जातियों की आबादी 30 फीसद के करीब है। कई गांवों में उनके आयोजन को लेकर मुस्लिम समुदाय और दूसरे बिरादरियों से टकराव की आशंका के चलते पुलिस-प्रशासन के लिए शोभायात्राओं का शांतिपूर्ण आयोजन बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। अनुसूचित जातियां संगठित है और अपने साथ होने वाले असहयोग और टकराव के वे अब मजबूती से जवाब देते है।
शब्बीरपुर गांव में शोभायात्रा के संयोजक गांव प्रधान शिवकुमार के भाई सुदेश कुमार ने कहा कि यदि प्रशाासन शोभायात्रा को परंपरागत मार्ग से निकालने की अनुमति नहीं देता है तो विरोध स्वरूप पिछले वर्ष की तरह शोभायात्रा नहीं निकालेंगे और दलित वर्ग के लोग बौद्ध धर्म अख्तियार करेंगे। थाना प्रभारी बडगांव रणवीर सिंह ने रविवार को कहा कि गांव में दलितों और राजपूतों के बीच सौहार्द बना हुआ है। दोनो एक-दूसरे के काम में हाथ बंटाते है।
दलित राजपूतों के खेतों पर काम करते है। इसके बावजूद शोभायात्रा के आयोजन को लेकर गांव का माहौल बदल जाता है। प्रशाासन का दायित्व हरहालत में शांति और सौहार्द बनाए रखना है। पिछले वर्ष भी गांव सिसौना में दलितों ने बौद्ध धर्म अख्तियार किया था। इस बार भी कुछ दलित ऐसा कर सकते है।
वार्ता