सलीम की घर वापसी- सनातन धर्म स्वीकार कर की वर्षों की चाहत पूरी
प्रयागराज। कैलाश धाम आश्रम में महर्षि दयानंद सरस्वती की 220 जयंती के उपलक्ष में आयोजित किये जा रहे 201 कुंडीय महायज्ञ के समापन से एक दिन पहले सलीम अंसारी ने घर वापसी करते हुए सनातन धर्म स्वीकार कर लिया है। हिंदू धर्म में अपनी घर वापसी बताते हुए सलीम ने कहा है कि कई वर्षों से सनातन धर्म अपनाने की उसकी चाहत अब जाकर पूरी हुई है।
प्रयागराज के झुंसी में मां भागीरथी के तट पर स्थित कैलाश धाम आश्रम में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 जयंती के मौके पर स्वामी कृष्णानंद द्वारा आयोजित किया जा रहे 201 कुंडीय महायज्ञ के समापन से एक दिन पहले घूरपुर थाना क्षेत्र के गांव के मूल निवासी 25 वर्षीय सलीम अंसारी उर्फ बबलू पुत्र वाजिद अली ने सनातन धर्म स्वीकार कर लिया है।
10 साल पूर्व पिता का इंतकाल होने के बाद बहन रोशन जहां की शादी करने के बाद अविवाहित सलीम अपनी बूढी मां को लेकर म्योराबाद आ गया था। किराए पर ऑटो का काम करने वाले सलीम अंसारी को हिंदू धर्म के प्रति काफी लगाव था। जिसके चलते वह घर के भीतर भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है। सलीम के पूजा करने का उसकी बूढी मां ने भी कभी विरोध नहीं किया। 31 जनवरी को जब सलीम अंसारी को एक पेंपलेट हाथ लगा जिससे उसे धूंसी के कैलाश धाम आश्रम में होने वाले कार्यक्रम का पता चला तो सलीम ने आश्रम पहुंचकर स्वामी कृष्णानंद से संपर्क किया।
सलीम की इच्छा को देखते हुए महायज्ञ में शामिल संत अमित आर्य सलीम को सूचिषद मुनि के सामने ले गए। सलीम की हर दृष्टिकोण से परख करने के बाद वैदिक मंत्र उच्चारण से इसका शुद्धिकरण और यज्ञोपवीत संस्कार कराया गया। जिसके चलते सलीम अंसारी अब वेद व्रत शुक्ला बन गया है। वेद व्रत ने बताया है कि वह गुरुदेव के सानिध्य में अब आगे जीवन की राह तय करेगा। युवक ने सनातन धर्म ग्रहण करने को अपनी घर वापसी बताते हुए कहा है कि कई वर्षों से सनातन धर्म अपनाने की उसकी चाहत अब जाकर पूरी हुई है।