PSPCL का सब्सिडी बिल बढ़कर 21909 करोड़ रुपये होने का अनुमान- गुप्ता
जालंधर। कृषि और अधिकांश घरेलू उपभोक्ताओं को बेलगाम मुफ्त बिजली देने से पंजाब के खजाने पर भारी असर पड़ रहा है। पंजाब स्टेट पाॅवर कार्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) का सब्सिडी बिल 2024-25 में बढ़कर 21909 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो 1997-98 में 604 करोड़ रुपये था, जब पहली बार सभी किसानों के लिए बिजली मुफ्त की गई थी।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने मंगलवार को कहा कि पिछले 27 सालों में सब्सिडी बिल में 36 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। पंजाब का सब्सिडी बिल राज्य सरकार के कुल बजट का लगभग दस प्रतिशत है। मुफ्त बिजली की वजह से लोग धान की खेती की ओर रुख कर रहे हैं, जिसमें पानी की बहुत अधिक खपत होती है। उन्होंने कहा कि किसानों और घरेलू क्षेत्र को मुफ्त बिजली के लिए सब्सिडी को कम नहीं, बल्कि तर्कसंगत बनाना समय का तत्काल समाधान है, लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा। हर पार्टी के राजनेता मुफ्त बिजली के माध्यम से अपना वोट बैंक साधना चाहते हैं और ऐसी परिस्थितियों में क्या राजनीतिक सोच कभी वोट बैंक सिंड्रोम पर आधारित गलत धारणा को दूर कर पायेगी। गुप्ता ने कहा कि पंजाब कृषि क्षेत्र को मुफ्त बिजली देता है, राज्य के हर घर को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, सात किलोवाट लोड तक के उपभोक्ताओं को सब्सिडी और एससी, बीसी और बीपीएल परिवार 300 मासिक यूनिट खपत करने के बाद सबसे कम टैरिफ स्लैब से चार्ज करते हैं। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में कुल बिजली सब्सिडी बिल 21909 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें कृषि उपभोक्ताओं को 10175 करोड़ रुपये, घरेलू श्रेणियों (300 यूनिट मुफ्त सहित) को 8785 करोड़ रुपये और औद्योगिक उपभोक्ताओं को 2949 करोड़ रुपये शामिल हैं।
राज्य में करीब 14.5 लाख कृषि नलकूप हैं, जिन्हें मुफ्त बिजली मिलती है। इनमें से 10,000 किसानों के पास चार से नौ नलकूप हैं, जबकि 29,000 से अधिक किसानों के पास तीन और 1.42 लाख किसानों के पास दो कनेक्शन हैं। दो या अधिक कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को कुल कृषि सब्सिडी का लगभग 28 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। चार या चार से अधिक नलकूप कनेक्शन वाले 10,000 से अधिक उपभोक्ता हैं और उन्हें कुल सब्सिडी का लगभग 10 प्रतिशत मिलता है, जो 200 करोड़ रुपये है। 1.42 लाख किसान ऐसे हैं जिनके पास दो मोटर हैं और उन्हें 1500 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलती है। 29,000 से अधिक किसानों के पास तीन नलकूप कनेक्शन हैं। इसलिए मुफ्त बिजली की राशनिंग पर विचार करने का समय आ गया है।
पंजाब में धान की खेती के अधीन रकबा कई गुना बढ़ गया है, जिसका मतलब है कि प्रमुख सिंचाई आवश्यकताएं बढ़ गई हैं, जबकि जल स्तर नीचे चला गया है, जिसका मतलब है कि समान मात्रा में पानी निकालने के लिए अधिक बिजली की जरूरत है और बिजली आपूर्ति की लागत भी बढ़ गई है कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली मुफ्त बिजली को अक्सर चावल के क्षेत्र में वृद्धि, भूजल के अत्यधिक दोहन तथा विविधीकरण में बाधा के रूप में उद्धृत किया जाता है।
वर्ष 2021-22 के दौरान 300 यूनिट प्रति माह की घरेलू सब्सिडी शुरू होने के बाद पहले साल में घरेलू बिजली की बिक्री में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है और यह वृद्धि अभी भी जारी है। पंजाब में लगभग 75 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं और सरकार का दावा है कि 90 प्रतिशत मुफ्त बिजली का लाभ उठाते हैं। गुप्ता ने कहा , “मुफ्त लंच” जैसी कोई चीज नहीं होती है और पंजाब के लोगों को किसी अन्य रूप में इसका बोझ उठाना होगा। पीएसपीसीएल की वित्तीय व्यवहार्यता इसकी अक्षमता के कारण नहीं बल्कि राजनीतिक सुविधा के कारण खत्म हो जाती है। मुफ्त बिजली मांग को विकृत करती है, कुशल उपयोग और संसाधन प्रबंधन को हतोत्साहित करती है, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोगकर्ताओं द्वारा घरेलू और कृषि उपयोगकर्ताओं की क्रॉस-सब्सिडी को खत्म करने जैसे महत्वपूर्ण सुधारों में बाधाएं पैदा करती है।
पंजाब के किसानों को मुफ्त बिजली देना तब से प्रतिस्पर्धी लोक-लुभावन की राजनीति से जुड़ा एक अस्थिर मुद्दा बन गया है। किसानों और अधिकांश घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली देना पंजाब सरकार के खजाने और भूजल पर बोझ माना जाता है। वर्ष 2020 में विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा पंजाब सरकार को सौंपी गई एक रिपोर्ट में बताया था कि राज्य को सालाना मिलने वाली कुल बिजली सब्सिडी का 56 प्रतिशत हिस्सा मध्यम और बड़े किसानों को जाता है, जिनके पास 10 एकड़ से अधिक जमीन है। किसानों और आयकर देने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली वापस लेना बिजली सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने का पहला और अंतिम कदम नहीं होना चाहिए। दो से अधिक ट्यूबवेल कनेक्शन का उपयोग करने वाले किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दी जानी चाहिए। केवल आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को ही सब्सिडी देना समय की मांग है। दो से अधिक ट्यूबवेल कनेक्शन का उपयोग करने वाले किसानों से अतिरिक्त कनेक्शन के लिए शुल्क लिया जाना चाहिए। पंजाब में उन उपभोक्ताओं को विकल्प दिए जाने चाहिए, जो स्वेच्छा से मुफ्त बिजली व्यवस्था से बाहर आना चाहते हैं।