बिजली के निजीकरण के विरोध में 23 को व्यापक प्रदर्शन की तैयारी

बिजली के निजीकरण के विरोध में 23 को व्यापक प्रदर्शन की तैयारी

लखनऊ। बिजली के निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मी काली पट्टी बांधकर काम कर रहे और 23 जनवरी को प्री बिडिंग कॉन्फ्रेंस का विरोध करने के लिये व्यापक प्रदर्शन की तैयारी की गई है।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला आदि ने कहा कि बिजली के निजीकरण की कार्यवाही पांच अप्रैल 2018 और छह अक्टूबर 2020 को प्रदेश सरकार के मंत्रियों के साथ हुए लिखित समझौते का घोर उल्लंघन है, जिससे बिजली कर्मचारियों में लगातार गुस्सा बढ़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि पांच अप्रैल 2018 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ लिखित समझौता हुआ था और छह अक्टूबर 2020 को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना एवं तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के साथ लिखित समझौता हुआ था। इस समझौते में स्पष्ट लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण की मौजूदा व्यवस्था को बनाए रखते हुए, बिजली व्यवस्था में सुधार कर्मचारियों को विश्वास में लेकर किया जाएगा। आगे लिखा है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी प्रकार का बिजली का निजीकरण बिजली कर्मियों को विश्वास में लिए बिना नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि निजीकरण की कार्यवाही आगे बढ़ाई जा रही है। समझौते का उल्लंघन किया जा रहा है और पावर कार्पाेरेशन प्रबंधन और सरकार ने अभी तक संघर्ष समिति से बात करना भी जरूरी नहीं समझा। इससे बिजली कर्मचारियों में व्यापक आक्रोश व्याप्त है।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बिजली कर्मी उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होने देना चाहते। खास करके तब जब प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है, जिसकी लाइफ लाइन बिजली है। पॉवर कार्पाेरेशन प्रबंधन इस भावना को कर्मचारियों की कमजोरी समझने की गलती न करे। प्रबंधन लगातार बिजली कर्मचारियों को भड़काने वाली कार्यवाही कर रहा है।

संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि 23 जनवरी को निजीकरण के लिये ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए होने वाली प्री बिडिंग कॉन्फ्रेंस निरस्त न की गई तो इसका सशक्त प्रतिकार किया जाएगा।

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