वसुंधरा पर लगाम की तैयारी
जयपुर। राजमहली षडयंत्र राजनीति का अब हिस्सा बन चुके हैं। माना जाता है कि इसी के चलते भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मिशन राजस्थान फेल हो गया। तैयारी जोर-शोर से हुई थी लेकिन राज्य की एक प्रभावशाली नेता इसके लिए तैयार नहीं थीं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का कद उस समय से और बढ़ गया, जबसे ज्योतिरादित्य भाजपा में शामिल हो गये हैं। राजस्थान भाजपा के एक गुट को यह पसंद नहीं। इसी में घनश्याम तिवाड़ी भी हैं जिनकी भाजपा में दिसम्बर 2020 में वापसी हुई है। भाजपा हाईकमान भी वसुंधरा राजे सिंधिया के कद को छोटा करना चाहता है। यही कारण है कि जेपी नड्डा ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद्र कटारिया को दिल्ली बुलाया। वसुंधरा राजे सिंधिया को नजरंदाज किया गया है। भाजपा राजस्थान में फिर कोई खेल कर सकती है।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान बीजेपी के नेताओं को दिल्ली तलब किया है। इसे लेकर राजस्थान में सियासी चर्चा तेज हो गई है। जेपी नड्डा से मिलने के लिए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर दिल्ली पहुंचे।
सबसे अहम बात यह है कि राजस्थान की राजनीति से जुड़ी इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को नहीं बुलाया गया। अचानक से जेपी नड्डा के इन नेताओं के बुलाने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पिछली बार जब यह लोग मिलने गए थे, तब राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संकट शुरू हुआ था।
अब एक बार फिर से भाजपा के दिग्गज नेता हाईकमान से मिलने गए हैं, तब लोगों में चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर जेपी नड्डा ने राजस्थान के इन तीनों बड़े नेताओं को दिल्ली क्यों बुलाया है? कहा जा रहा है कि जेपी नड्डा के साथ इस मीटिंग के बाद राजस्थान सरकार को गिरा बीजेपी प्रदेश की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव कर सकती है।
हालांकि प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि ये सामान्य बैठक है और राजस्थान में विधानसभा के तीन उप चुनाव होने हैं, इसके अलावा निकायों के चुनाव होने हैं, इसकी तैयारियों के सिलसिले में यह बैठक बुलायी गई है। मगर इस बैठक में वसुंधरा राजे को नहीं बुलाने से यह संदेश साफ हो गया है कि राजस्थान बीजेपी की राजनीति में अब वसुंधरा राजे के दिन लद गए हैं। पिछले दिनों ही वसुंधरा राजे के विरोधी नेता घनश्याम तिवाड़ी की बीजेपी में वापसी हुई थी। वसुंधरा राजे के विरोध की वजह से घनश्याम तिवाड़ी की वापसी नहीं हो पा रही थी मगर अब माना जा रहा है कि राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा विरोधी खेमा मजबूत हो रहा है और घनश्याम तिवाड़ी की वापसी इसी ओर इशारा कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता रहे घनश्याम तिवाड़ी ने दिसम्बर 2020 में घर वापसी की है। उन्होंने जयपुर स्थित पार्टी ऑफिस में राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष डॉ. सतीश पुनिया की उपस्थिति में एक बार फिर से बीजेपी की सदस्यता हासिल की। राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से झगड़े की वजह से घनश्याम तिवाड़ी कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
उन्हें भाजपा में शामिल कराने के लिए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया प्रदेश मुख्यालय में मौजूद थे। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घनश्याम तिवाड़ी को भाजपा में शामिल करने के लिए कहा था। घनश्याम तिवाड़ी बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार थे। भैरोंसिंह शेखावत सरकार में वह ऊर्जा मंत्री रहे। वसुंधरा सरकार के साथ उनके वैचारिक मतभेद सार्वजनिक तौर पर देखने और सुनने को मिले थे। तिवाड़ी जब बीजेपी से अलग हुए तो उन्होंने अलग होकर भारत वाहिनी नाम से एक राजनीतिक दल का गठन किया। इसे चुनाव आयोग ने मान्यता भी दे दी। उन्होंने अपने बेटे अखिलेश को पार्टी का संस्थापक और अध्यक्ष बनाया।
इसी के साथ राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का वसुंधरा गुट और एनडीए के घटक हनुमान बेनीवाल के बीच झगड़ा बढ़ता ही जा रहा है। वसुंधरा राजे के करीबी छाबड़ा से आने वाले बीजेपी विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने हनुमान बेनीवाल के समर्थकों पर जान से मार डालने की धमकी देने का आरोप लगाया है। बीजेपी विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने शिकायत दर्ज कराते हुए एक मोबाइल नंबर भी जारी किया है। आरोप है कि इस मोबाइल से उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी। विधायक सिंघवी का कहना है कि धमकी देने वाला हनुमान बेनीवाल का समर्थक था। पिछले तीन दिनों से हनुमान बेनीवाल और वसुंधरा समर्थकों के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है।
हनुमान बेनीवाल ने कृषि कानून पर केंद्र सरकार का विरोध किया तो मौका मिलते ही वसुंधरा राजे का खेमा हनुमान बेनीवाल को इंडिया से बाहर निकालने के लिए मांग करने लगा। हनुमान बेनीवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि यह लोग बीजेपी के नहीं हैं बल्कि कांग्रेस से मिले हुए हैं। इनके बीच ट्विटर पर भी वार छिड़ा हुआ है। इस लड़ाई में पहले विधायक प्रताप सिंह सिंघवी, पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल, भवानी सिंह राजावतसमेत हाड़ौती इलाके के दूसरे नेता शामिल थे, मगर अब भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी भी इस लड़ाई में कूद पड़े हैं और हनुमान बेनीवाल के खिलाफ बोल रहे हैं।
बीजेपी नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को हनुमान बेनीवाल को एनडीए से बाहर निकालने के लिए चिट्ठी लिखी है। हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया बीच बचाव करते हुए नजर आए। पुनिया ने कहा कि हनुमान बेनीवाल को पहले भी कहा गया है कि मर्यादित शब्दों का इस्तेमाल वसुंधरा राजे के लिए किया करें। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल वसुंधरा राजे के धुर विरोधी रहे हैं, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक रहे हैं। कृषि कानून को लेकर हनुमान बेनीवाल ने एनडीए से हटने की बात क्या कही, वसुंधरा विरोधी खेमा हनुमान बेनीवाल के खिलाफ आग उगलने लगा और कहा कि कल नहीं आज ही चले जाइए। हनुमान बेनीवाल का पक्ष लेने से भी यही संकेत मिल रहा कि वसुंधरा राजे का कद छोटा करना है। (हिफी)