सज्जनों से राजनीति शर्मिंदा

सज्जनों से राजनीति शर्मिंदा

भोपाल। कांग्रेस के मध्य प्रदेश में एक नेता हैं सज्जन सिंह। वे नाम के ही सज्जन हैं। उनके बयानों से कांग्रेस कई बार शर्मिन्दा हो चुकी है। अभी कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लड़कियों की शादी की उम्र पर बात कर रहे थे। उन्होंने कम उम्र में शादी को कई परेशानियों का कारण बताया। इस पर कांग्रेस के नेता सज्जन सिंह ने कहा कि लड़कियां 15 साल में ही माँ बन जाती है। उन्होंने यह बात किस भावना से कही, इस पर चर्चा होना स्वाभाविक है। कांग्रेस के नेता अपनी पार्टी के नेताओं पर भी छींटाकशी करने से पीछे नहीं रहते। उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर में कांग्रेस के एक सज्जन को कुछ दिन पहले ही शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था। प्रदेश अध्यक्ष लल्लू सिंह ने अब उनको पार्टी से निकाल दिया है। इस तरह के नेताओं की संख्या अब बढ़ती जा रही है।

अभी 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से बुलंदशहर के अध्यक्ष के तौर पर तौकीर अली को नियुक्त किया गया था। इसके बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में तौकीर अली गाली-गलौच करता दिखाई पड़ता है। वीडियो में तौकीर अली को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी भद्दी-भद्दी भाषा का प्रयोग करता दिखाया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने तौकीर अली की पार्टी से छुट्टी कर दी है। तौकीर अली कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई का अध्यक्ष भी रह चुका है। यह नेताओं की नर्सरी है। कल्पना कीजिए कि पेड़ कैसा लगेगा और फल कैसे होंगे।

नेताओं की पुरानी पीढ़ी भी भाषा की मर्यादा भूल चुकी है। मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बेतुका बयान दिया है। हुआ यह कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गत दिनों लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने की बात कह रहे थे। सज्जन सिंह की आदत हर बात के विरोध की है। चौहान की बात पर उन्होंने कहा कि जब डाक्टर बोलते हैं कि लड़कियां 15 साल में प्रजनन के योग्य हो जाती हैं, तो शादी की उम्र 21 साल करने की क्या जरूरत है? उन्होंने कहा शिवराज क्या बड़ा डाक्टर हो गया है। मध्य प्रदेश के विधानसभा के जब उपचुनाव हो रहे थे, तब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी भाषा की मर्यादा तोड़ी थी। उन्होंने नारी शक्ति का भी अपमान किया था। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गयीं इमरती देवी चुनाव लड़ रही थीं। चुनाव प्रचार रैली में ही कमलनाथ ने इमरती देवी को 'आइटम' बताया। इस पर भाजपा नेताओं ने कमलनाथ की आलोचना शुरू कर दी। इमरती देवी का रोते हुए वीडियो जारी होने लगा। राहुल गांधी को भी कमलनाथ के बयान की निंदा करनी पड़ी। इसका असर चुनाव के नतीजों पर भी पड़ा था। कांग्रेस को 28 सीटों में से सिर्फ 9 सीटें मिल पायी थीं। हालांकि इमरती देवी भी चुनाव हार गयी थीं क्योंकि उन्होंने भी कमलनाथ को जवाब देने में अपनी जुबान गंदी की थी।


मर्यादाहीन आचरण एक एनसीपी नेता को भी भारी पड़ रहा है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की मदद से सरकार बनायी है। एनसीपी नेता और उद्धव सरकार के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे पर मुंबई की रहने वाली एक गायिका ने दुराचार का आरोप लगाया। हालांकि गायिका के आरोप में स्वार्थ की बात भी झलक रही है। आरोप है कि 2007 से धनंजय मुंडे लगातार उसके साथ बलात्कार करते रहे हैं। सवाल उठता है कि इतने दिन आप खामोश क्यों रहीं? हांलाकि इसके बाद की कहानी महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री को ही कठघरे में खड़ा करती है। धनंजय मुंडे ने महिला सिंगर के आरोपों को नकारा है लेकिन अपनी सफाई में कहा है कि उनके शिकायतकर्ता की बहन से संबंध हैं और इस रिश्ते से उनके दो बच्चे हैं। महाराष्ट्र में मंत्री ने जब यह खुलासा किया तो स्वयं ही राजनीतिक विवाद भी पैदा कर लिया। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने उनको जालसाजी के आरोपों में घेर लिया है। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि धनंजय मुंडे ने चुनाव संहिता को तोड़ा है। किरीट सोमैया ने चुनाव आयोग में शिकायत की है कि धनंजय मुंडे ने चुनाव लड़ने के समय अपने सभी बच्चों और पत्नियों की संपत्ति की जानकारी छिपायी है। मुंडे ने स्वयं दो पत्नियां होने की बात स्वीकार की है लेकिन चुनावी हलफनामें में एक शादी की बात ही छिपाई है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भी कहा है कि धनंजय मुंडे को लेकर दूसरी पत्नी की सच्चाई सामने आनी चाहिए।

लीगल एक्सपर्ट के अनुसार धनंजय मुंडे के मामले में अब कोई चुनाव याचिका नहीं लगायी जा सकती। दरअसल, उच्च न्यायालय के समक्ष चुनाव याचिका दाखिल करने के लिए एक समय सीमा होती है। इसके लिए चुनाव नतीजे घोषित होने की तिथि से 45 दिनों के अंदर याचिका दाखिल करनी पड़ती हे। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2019 में सम्पन्न हुए थे और 45 दिन की समय सीमा बीत चुकी है। फिलहाल कानूनी दांव-पेंच से वे बच गये लेकिन जनता की निगाह में राजनीति में एक 'सज्जन' नेता का चरित्र सामने आ गया।

इसी प्रकार की सज्जनता पश्चिम बंगाल में एक टीएमसी नेता ने दिखाई है। राज्य में इसी वर्ष अप्रैल-मई में विधानसभा के चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सत्ता को इस बार भाजपा ने जबर्दस्त चुनौती दे रखी है। यह चुनौती सिर्फ बातों की नहीं है बल्कि भाजपा ने 2 विधायकों से शुरुआत करके 18 सांसद जुटा लिये हैं तो ममता का सिंहासन हिलना स्वाभाविक है। ममता बनर्जी की बेचैनी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कांग्रेस और वामपंथी दलों से मदद मांगी है। ममता ने कहा कि भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस व वामदलों को साथ देना चाहिए। स्वाभाविक है कि दोनों दलों ने ममता की पेशकश को ठुकरा दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने तो मौके का फायदा उठाकर यहां तक कह दिया कि तृणमूल कांग्रेस का विलय कांग्रेस में हो जाना चाहिए।

ऐसे हालात में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को आलोचना का अवसर नहीं देना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने भाजपा को सुनहरा मौका दिया है। कल्याण बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के वीर भूम में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि सीता राम के पास जाकर बोलीं कि मेरा सौभाग्य था कि रावण ने मेरा हरण किया। अगर तुम्हारे चेलों ने मेरा हरण किया होता तो मेरा हाल यूपी के हाथरस जैसा होता। हाथरस में गैंगरेप के बाद युवती की हत्या का मामला सामने आया था। बहरहाल कल्याण बनर्जी के इसबयान के बाद बंगाल से दूर प्रयागराज से लेकर अयोध्या तक संतों ने मोर्चा खोल दिया है। सांसद के खिलाफ रासुका लगाने की मांग की गयी है। यह तो राजनीति के चंद सज्जनों की कहानी है। (हिफी)

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