श्रीराम कॉलेज में सेमिनार का आयोजन- कर्तव्यों के बारे में दी जानकारी
मुजफ्फरनगर। श्रीराम कॉलेज ऑफ लॉ, के प्रांगण में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय, ‘‘कर्त्तव्यों के बिना अधिकार’’रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर आर0 के0 ऐरन, पूर्व विभागाध्यक्ष, विधि विभाग, डी0ए0वी0 कॉलेज, मुजफ्फरनगरद्वारा की गई। मुख्य अतिथि के रूप में अशोक कुशवाहा, वरिष्ठ अधिवक्ता, सिविल बार संघ, मुजफ्फरनगर उपस्थित हुए। विशिष्ठ अतिथियों के रूप में चन्द्रमोहन जुनेजा, वरिष्ठ अधिवक्ता, जिला बार संघ, मुजफ्फरनगर, प्रोफेसर एम0आई0 उस्मानी, विधि विभाग, जे0वी0जैन कॉलेज, सहारनपुर, प्रोफेसर पी0एस0पंवार, शोभित विश्वविद्यालय, सहारनपुर, व प्रोफेसर विवेक अग्रवाल, विधि विभाग, जे0वी0जैन कॉलेज, सहारनपुर उपस्थित हुए।
सेमिनार का शुभारम्भ अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया। महाविद्यालय की ओर से अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ भेंट करके किया गया। कार्यक्रम का आरम्भ करते हुए महाविद्यालय की प्रवक्ता आंचल अग्रवाल ने कहा कि समाज की गुणवत्ता नागरिकों के कर्त्तव्य पालन का परिणाम होती है। आधुनिक भारतीय समाज भी, पूर्वजों के द्वारा सचेत रूप से कर्त्तव्य पालन का परिणाम है।कर्त्तव्य पालन ही आर्दश समाज की धुरी है।अधिकारों के साथ कर्त्तव्य पालन करने से समाजिक तथा राज्य प्रदत्त अधिकार प्राप्त होते है। आर्दश समाज की विशेषता यही है कि उसके नागरिक सदैव कर्त्तव्य पालन करते हैं।
सेमिनार में प्रतिभाग करते हुए छात्र आयान त्यागी ने भारतीय संविधान के इतिहास से अवगत कराते हुए मौलिक अधिकारों के बारे में बताया। छात्र वंशवर्धन ने मौलिक कर्त्तव्य तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के बारे में विस्तार अपने विचारों को प्रस्तुत किया। छात्रा इकरा साजिद ने कहा कि संविधान में वर्णित अधिकार तथा कर्त्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, अधिकारों से पहले कर्त्तव्यों का पालन करना आवश्यक है।
इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि चन्द्रमोहन जुनेजा, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा मौलिक अधिकार तथा कर्त्तव्यों की धारणा भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश के लिए महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा कि हमें अपने कर्त्तव्यों का पालन करना आवश्यक है, जिससे हमें अधिकार स्वतः ही प्राप्त हो जायेंगे। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि प्रोफेसर एम0आई0 उस्मानी ने कहा कि भारत के संविधान में मौलिक अधिकार और कर्त्तव्य दोनों प्रदान किये गये है, और दोनो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जहां अधिकार है वहाँ कर्त्तव्य भी है। ऑस्टिन ने भी कहा गया है कि अधिकार और कर्त्तव्य एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते।
इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि प्रोफेसर पी0एस0पंवार ने कहा कि मौलिक कर्त्तव्य लोगो को देश के प्रतिजागरूक बना कर लोकतान्त्रिक संतुलन को स्थापित करते हैं तथा देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देते हैं। इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि प्रोफेसर विवेक अग्रवाल ने कहा कि मूलकर्त्तव्य राष्ट्र के प्रति अनुशासन व प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देने के साथ नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करके राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करते हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि अशोक कुशवाहा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि भारत की संस्कृति प्राचीन काल से कर्त्तव्य प्रधान रही है। राजा श्री रामचन्द्र के राज में भी लोग केवल अपने कर्त्तव्य पालन की भावना रखते थे, जिससे उनको अधिकार स्वतः ही प्राप्त हो जाते थे। महाभारतकाल, मौर्यकाल, मुगलकाल और ब्रिटिशकाल आते-आते यह ढ़ाँचा बिगड़ गया और स्वतन्त्रता के बाद अधिकारों केा बढ़ावा मिला।वर्तमान समय में एक लोकतन्त्र को तबतक जीवन्त नहीं कहा जा सकता जबतक की देश के नागरिकदेश के सर्वाेत्तमहित के लिए अपनी जिम्मेदारियाँ सम्भालने के लिए तैयार ना हो।
प्रोफेसर आर0 के0 ऐरन ने कहा कि मौलिक कर्त्तव्य कानूनी रूप से लागू करने योग्य नहीं यह राज्य तथा व्यक्तियों का कर्त्तव्य है कि वे समाज के कल्याण के लिए अपने कर्त्तव्यों का पालन करें।सभी प्रकृतिक शक्तियाँ भी अपने कर्त्तव्यों का सतत रूप से पालन करती हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय के निदेशक डॉ0 रविन्द्रप्रताप सिंह ने कहा कि हम सभी को कर्त्तव्य का ही पालन करना चाहिए। कार्यक्रम के अन्त में सभी अतिथियों का प्रतीक चिन्हभेंटकर उनका आभार व्यक्त किया गया।
महाविद्यालय की डीन डॉ0 पूनम शर्मा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता कु0 आंचल अग्रवाल द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में श्रीराम कॉलेज ऑफ लॉ के सभी शिक्षकगण और विद्यार्थियों का सहयोग रहा। कार्यक्रम में प्रवक्तागण संजीव तोमर, कु0 सोनिया गौड़, कु0राखी ढ़िलौर, कु0रेखा ढ़िलौर, राममनूप्रताप सिंह, कु0 आकांशात्यागी, तथा कु0 प्रीति, विनय तिवारी और ़ित्रलोकचन्द आदि का योगदान रहा।