गुजरात में नये सियासी समीकरण
गाँधीनगर। इसमें कोई संदेह नहीं कि गुजरात भाजपा का लम्बे अर्से से मजबूत गढ़ रहा है और अब भी है। गुजरात के ही नेता और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बात को नगर निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद विशेष रूप से कहा है कि गुजरात भाजपा का गढ़ था, भाजपा का गढ़ है और भाजपा का गढ़ रहेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय निकाय के चुनावों ने यह साबित भी कर दिया है। अमित शाह की बात में दम है। गुजरात में नगर निकाय के चुनाव 21 फरवरी 2021 को सम्पन्न हुए और 24 फरवरी को नतीजे मिले। नगर निकाय की 576 सीटों में भाजपा को 483 सीटों पर सफलता मिलने का मतलब भी यही है कि अमित शाह ठीक कह रहे हैं। इस चुनाव में कुछ अन्य संकेत भी मिले हैं। इनमें पहला संकेत है कि गुजरात में कांग्रेस और भाजपा के बाद अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने भी हाजिरी दर्ज करा दी है।
आप को सूरत में 27 सीटों पर विजयश्री हासिल हुई है। हालांकि अहमदाबाद, बड़ोदरा, जामनगर, भावनगर और राजकोट में पार्टी का कोई उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर सका। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी की 27 सीटों पर जीत इसलिए मायने रखती है क्योंकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सिर्फ 55 सीटों पर ही जीत नसीब हो पायी। गुजरात के 6 नगर निगमों में कुल 144 वार्डों में भाजपा ही भाजपा छायी रही लेकिन सूरत में आप की घनी बदली बदलाव के संकेत तो कर ही रही है।
सवाल उठता है कि क्या गुजरात के लोग भाजपा और कांग्रेस की राजनीति से त्रस्त थे। गुजरात के लोगों को एक विकल्प चाहिए था और आम आदमी पार्टी के रूप में उनको यह विकल्प मिला है। आप का गुजरात में राज्यस्तर का कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो राज्यव्यापी अपील पैदा करता हो। ऐसे में सूरत में आप को सफलता क्यों मिली। जानकारों का कहना है कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) और कांग्रेस के बीच खींचतान के चलते कांग्रेस के पास से जुड़े लोग आप से जुड़ कर चुनाव लड़े। सौराष्ट्र पाटीदार समाज बहुल क्षेत्र में इन कार्यकर्ताओं ने आप प्रत्याशियों के समर्थन में जबरदस्त माहौल बनाया। इसका परिणाम सामने है।
गुजरात की अहमदाबाद- वडोदरा-सूरत-राजकोट-भावनगर और जामनगर में भाजपा ने अपनी सत्ता बरकरार रखी है। कांग्रेस को इन चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। कुल 576 में से 575 सीटों में से भाजपा ने 483 सीटों पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस को 55 सीट से संतोष करना पड़ा।
अहमदाबाद की एक सीट निर्विरोध घोषित होने से 575 सीटों के लिए मतदान हुआ था। गत 23 फरवरी को मतगणना शुरू होने पर सबसे चौंकाने वाले परिणाम 120 सदस्यीय सूरत महानगर पालिका में सामने आए-जहां कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। आम आदमी पार्टी ने गुजरात की चुनावी राजनीति में सफल एंट्री करते हुए रिकॉर्ड 27 सीटों पर जीत दर्ज की। जामनगर महानगर पालिका में बसपा को भी तीन सीटें मिलीं।
आम आदमी पार्टी (आप) ने कांग्रेस की 90 फीसदी सीटों पर कब्जा कर लिया है। ये सभी सीटें पाटीदार क्षेत्रों की हैं। पिछली बार कांग्रेस ने 36 सीटें जीती थीं। इस बार इनमें से 27 आप ने हासिल कर ली हैं। पाटीदार क्षेत्रों के अलावा आप को अन्य किसी क्षेत्र में जीत नहीं मिली है।
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) ने पिछली बार कांग्रेस का समर्थन किया था इस बार विरोध में थी। पास अनामत आंदोलन के दौरान उसके कार्यकर्ताओं पर किए केस वापस नहीं लेने से अभी भी भाजपा से नाराज है। इस बार वह आप की तरफ झुक गई और उसे 27 सीटों पर जीत दिला दी। इनमें से अधिकतर वही सीटें हैं, जिन पर 2015 में कांग्रेस जीती थी।2015 में वार्ड- 2 में 3, वाॅर्ड- 3, 4, 5, 15, 16, 18 और 29 में कांग्रेस की पैनल जीती थी। इस बार आप की पैनल ने वाॅर्ड-2, 3, 4, 5, 16 और 17 की सभी सीटें जीत ली हैं। पिछली बार वार्ड-29 में कांग्रेस की पैनल जीती थी। वार्ड-24 लिंबायत में कांग्रेस के 2, वार्ड-11 में 2 और वार्ड-28 में 1 उम्मीदवार जीता था।
वार्ड-7 में 2वार्ड 8 में एक और वार्ड-2 में एक सीट भाजपा की हथिया ली है। अब वह मनपा में कांग्रेस की जगह विपक्ष की भूमिका में बैठेगी। उसे जनता के मुद्दों को मजबूती से उठाना होगा। तभी वह स्थानीय राजनीित में आगे का सफर तय कर पाएगी।सूरत में 'आप' की जीत से झल्लाए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पाटिल ने कहा कि सोने की थाली में लोहे का कील ठोंक दिया गया है। इसका भी रास्ता निकालूंगा। गुजरात की 6 महानगर पालिकाओं में भाजपा की भव्य विजय हुई है और कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया है। हालांकि सूरत में आम आदमी पार्टी की जीत उल्लेखनीय है। अहमदाबाद के खानपुर में भाजपा कार्यालय पर जीत का जश्न शुरू हो गया था।
गुजरात के सूरत में हुए म्युनिसिपल चुनावों में आम आदमी पार्टी ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया है। सूरत में आम आदमी पार्टी (आप) को 27 सीटों पर जीत मिली है। आप के इस प्रदर्शन से उत्साहित होकर पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल 26 फरवरी को गुजरात का दौरा करने वाले हैं। वहां वह एक रोड शो में हिस्सा लेंगे।
अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा, गुजरात ने एक नई राजनीति की शुरूआत की है- ईमानदार राजनीति, काम की राजनीति, अच्छे स्कूलों की राजनीति, सस्ती और 24 घंटों की बिजली की राजनीति, अच्छे अस्पतालों की राजनीति। हम सब मिलकर गुजरात को संवारेंगे। मैं 26 फरवरी को सूरत आ रहा हूं आपका शुक्रिया करने। अपने दूसरे ट्वीट में अरविंद केजरीवाल ने लिखा है, गुजरात के नगर निगम चुनाव में आप का शानदार प्रदर्शन हुआ है। मैं गुजरात के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया करना चाहता हूं। मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं हमारा एक-एक उम्मीदवार अपनी जिम्मेदारी पूरी इमानदारी से निभाएगा।
गुजरात निकाय चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है सूरत नगर निकाय की। यहां की सभी 120 सीटों के परिणाम आ चुके हैं जिसमें बीजेपी को 93 सीटों पर जीत मिली है तो आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने पहले चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 27 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि कांग्रेस का इस बार खाता भी नहीं खुला। वो पार्टी जिसने यहां की सत्ता पर एकछत्र राज किया हो उसका ये हाल होना कहीं न कहीं इस पार्टी के भविष्य के अंधकार को दर्शा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यहां के परिणामों पर खुशी जताते हुए कहा है कि नई राजनीति की शुरुआत करने के लिए गुजरात के लोगों को दिल से बधाई।
आप की इस जीत से बीजेपी के वोट बैंक पर असर पड़ा है लेकिन कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया ही हो गया। उसका यहां खाता भी नहीं खुला। वहीं दूसरी तरफ आप के जीतने वाले सभी उम्मीदवार 22 से 40 साल की उम्र के हैं। इनके सोशल मीडिया पर अच्छे-खासे फॉलोअर्स हैं। क्या यह गुजरात में नये सियासी समीकरण का संकेत है? (हिफी)