महाराष्ट्र में कांग्रेस के नये सूबेदार

महाराष्ट्र में कांग्रेस के नये सूबेदार

मुंबई। महाराष्ट्र कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है लेकिन शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे ने उसे कड़ी चुनौती भी पेश की। भाजपा तब वहां शिवसेना के छोटे भाई के रूप में राजनीति कर रही थी। अब सारे परिदृश्य बदल चुके हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे शरद पवार ने अलग पार्टी बना ली जो राज्य में कांग्रेस से भी अब ज्यादा बड़ी हो गयी है। उधर, शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस और कांग्रेस को तोड़कर बनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर सरकार बनायी है। इसके साथ ही सरकार में शामिल सभी दलों के नेता अपना-अपना वोट बैंक मजबूत करने का प्रयास भी कर रहे हैं। कांग्रेस ने महाराष्ट्र में पूर्व विधानसभाध्यक्ष नाना पटोले का प्रदेश का सूबेदार बना दिया है। इससे पूर्व राजस्व मंत्री बाला साहेब थोराट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हुआ करते थे। नाना पटोले ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भरोसा दिलाया है कि वे कांग्रेस को राज्य में अपने दम पर सरकार बनाने लायक बना देंगे।

नाना पटोले युवा नेता हैं। वे 1963 में पैदा हुए थे। राजनीति की शुरुआत भाजपा से की। भाजपा में रहते हुए 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था और पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को 149254 मतों से पराजित किया था। नाना पटोले 2009 से 2014 तक साकोली विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं। उन्होंने ओबीसी समाज के अधिकारों को लेकर भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का हाथ थामा। किसानों के प्रति उनके लगाव को देखकर ही कांग्रेस ने अपनी किसान शाखा की अखिल भारतीय चेयरमैन बनाया। इस प्रकार पटोेले के पास अनुभव बहुत है लेकिन इस बार महाराष्ट्र में दिग्गजों की भरमार है और पटोले को कांग्रेस की जड़ें मजबूत करनी हैं।

महाराष्ट्र कांग्रेस के नए अध्यक्ष नाना पटोले ने मंगलवार को दिल्ली में सोनिया और राहुल गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद पटोले ने मीडिया से कहा, मुझे महराष्ट्र में पार्टी को नंबर 1 बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मैं आश्वस्त हूं कि ये लक्ष्य 2024 तक हासिल कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि पटोले के साथ ही छह नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। शिवाजी राव मोगे, बासवराज पाटिल, मोहम्मद आरिफ नसीम खान, कुणाल रोहिदास पाटिल, चंद्रकांत हंडोरे और प्रणति शिंदे को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। इनके साथ ही 10 उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं।

संसदीय बोर्ड और आगामी निकाय चुनावों के लिए रणनीति, स्क्रीनिंग एवं समन्वय समिति का गठन भी किया गया है। कहा जा रहा है कि नाना पटोले की अगुआई वाली टीम राज्य कांग्रेस में ऊर्जा फूंकने का काम करेगी। बहरहाल, 2014 में बीजेपी के टिकट से एनसीपी दिग्गज प्रफुल्ल पटेल को मात देने वाले पटोले ने 2017 में कांग्रेस का दामन थाम लिया था। किसानों के मुद्दे पर मुखर रहने वाले पटोले ने खुले तौर पर बीजेपी की आलोचना की थी। कांग्रेस के टिकट पर वो एक बार फिर 2018 में सकोली सीट से विधायक बने। फिर कांग्रेस की तरफ से उन्हें विधानसभा अध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद मिला। किसानों के मुद्दों से लगाव की वजह से ही कांग्रेस ने उन्हें ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का चेयरमैन भी बनाया। पटोले के सामने बड़े चैलेंज है।

पार्टी के भीतर गुटबाजी के अलावा सीनियर नेताओं को संभालना इसमें सबसे पहला है। कभी राज्य में सबसे ताकतवर पार्टी रही कांग्रेस को फिर से उसी जगह पहुंचाने के लिए पटोले को बड़े स्तर पर कार्यकर्ता जोड़ने का अभियान भी चलाना होगा। इस वक्त देश में किसानों का मुद्दा छाया हुआ है। ऐसे में किसानों के लिए मुखर एक नेता को पार्टी की कमान देकर कांग्रेस ने आम जनता में संदेश देने की भी कोशिश की है। पटोले के सामने यह भी एक चैलेंज होगा कि वो किसानों को किस हद तक पार्टी से जोड़ पाते हैं।

कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन पर पॉप स्टार रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट और देश के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ खुलकर सामने आने वाली मशहूर हस्तियों के ट्वीट की जांच के मामले में नया मोड़ आ गया है। इसका संबंध भी महाराष्ट्र से है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार के फोन के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सफाई दी है।

देशमुख ने कहा, भारत रत्न पाने वाली हस्तियां हमारे लिए सम्मानित हैं। लेकिन, सवाल ये है कि बीजेपी के किन लोगों ने सम्मानित हस्तियों पर ट्वीट के लिए दबाव बनाया। कांग्रेस पार्टी ने ऐसे नेताओं की जांच की मांग की है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार द्वारा सेलेब्रिटी हस्तियों के ट्वीट प्रकरण की जांच कराने की खबर आने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अनिल देशमुख से बात की और पूरे मामले की जानकारी ली। देशमुख ने पवार से कहा कि किसी भी व्यक्तिगत सेलेब्रिटी की जांच नहीं होगी, बल्कि कुछ सेलेब्रिटी के ट्वीट के शब्द एक जैसे हैं। इसकी जांच की मांग की गई है।

इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने मशहूर भारतीय हस्तियों के ट्वीट की जांच कराने के संकेत दिए थे। हालांकि कोई आदेश नहीं निकाला था। किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करने वालों में भारत रत्न लता मंगेशकर, पूर्व क्रिकेटर और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलकर, बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी जैसे कई फिल्मी सितारे भी शामिल हैं। किसान आंदोलन को लेकर किए गए ट्वीट के मामले में कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने देशमुख से हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा, गृहमंत्री ने कहा है कि यह गंभीर मामला है। इन हस्तियों के ट्वीट्स एक जैसे कैसे हो सकते हैं। इन पर ट्वीट करने के लिए कोई दबाव तो नहीं डाला गया। इसकी जांच होनी चाहिए। सावंत ने साथ ही बताया था कि देशमुख ने इंटेलिजेंस को यह जिम्मेदारी दी है।

महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं ने इस मामले में पुलिस से जांच कराने की मांग की थी कि कहीं ये हस्तियां बीजेपी के दबाव में ट्वीट करके सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार का पक्ष तो नहीं रख रही हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सावंत ने कहा, सचिन तेंदुलकर, अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और साइना नेहवाल जैसे सेलिब्रिटीज के ट्वीट का पैटर्न बिलकुल एक जैसा है। साइना नेहवाल और अक्षय कुमार के ट्वीट का कंटेंट एक है, जबकि सुनील शेट्टी ने ट्वीट में बीजेपी नेता को टैग किया था। ये दर्शाता है कि सेलिब्रिटीज और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के बीच संपर्क था। इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या बीजेपी की ओर से देश के इन हीरोज पर कोई दबाव था। अगर ऐसा था तो इन सेलिब्रिटीज को अधिक सुरक्षा देने की जरूरत है।

अमेरिकी पॉप स्टार रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के पक्ष में ट्वीट किए थे। इसके बाद इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और फिर कई भारतीय सेलिब्रिटीज ने किसान आंदोलन को भारत का अंदरूनी मामला बताते हुए ट्वीट किया था। इस मामले में कांग्रेस नेता ने जल्दबाजी तो की है। इसीलिए शरद पवार ने गृहमंत्री अनिल देशमुख को फोन किया था। नाना पटोले अब कांग्रेस को ऐसे प्रकरणों से बचाएंगे। (हिफी)

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