न रेल आयी, न यात्री- नागरिकों का मिला साईलेंट समर्थन- बांटे केले
मुजफ्फरनगर। भाकियू के कार्यकर्ता व पदाधिकारी रेलवे स्टेशन पर रेल रोकने के लिए खड़े रहे। काफी इंतजार किया कि रेल आये, लेकिन घंटों बाद भी रेलगाड़ी नहीं आई। इसके अलावा यात्री भी इक्का-दुक्का ही रेलवे स्टेशन पर दिखाई दिये। इसके चलते रेलगाड़ी को रोकने आये कार्यकर्ताओं का मायूसी का सामना करना पड़ा।
कृषि बिलों की वापसी की मांग को लेकर किसानों के आंदोलन को चलते हुए लगभग तीन माह हो गये हैं। किसानों से कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई भी निष्कर्ष नहीं निकल पाया है और आंदोलन जारी है। आंदोलन को धार देने के लिए भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बड़ी संख्या में रेल को रोकने की घोषणा की थी। इसी के चलते भाकियू कार्यकर्ता किसानों के साथ रेलवे स्टेशन पर रेल रोकने के लिए पहुंच गये थे। भाकियू जिलाध्यक्ष धीरज लाटियान ने बताया कि राकेश टिकैत द्वारा कहा गया था कि रेल रोको आंदोलन के दौरान यात्रियों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाये। इसके साथ ही अगर स्टेशन पर छोटे बच्चे हैं, तो उनके दूध की व्यवस्था कराने के लिए भी आदेश दिये गये थे।
उन्होंने कहा कि आंदोलन का मकसद पब्लिक को परेशान करना नहीं, वरन रेलों को रोककर सरकार तक अपनी बात को पहुंचाना था। धीरज लाटियान ने बताया कि आंदोलन में पब्लिक का उन्हें साईलेंट समर्थन मिला। यात्री आज रेलवे स्टेशन पर आये ही नहीं और अपना मूक समर्थन दिया कि वे किसानों के साथ हैं। उन्होंने बताया कि रेलगाड़ी भी स्टेशन पर नहीं आई। इक्का-दुक्का जो यात्री स्टेशन पर थे, उन्हें किसानों की ओर से केलों का वितरण किया गया। ट्रेन न आने से किसान मायूस दिखाई दिये। प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन देकर किसानों को धरना-प्रदर्शन का समापन करना पड़ा।