नारदा स्टिंग का जिन्न
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में मतदाताओं ने भले ही ममता बनर्जी को प्रचंड बहुमत से सत्ता सौंपी है लेकिन वे चैन से सरकार नहीं चला पाएंगी। सरकार के मंत्रियों को शपथ दिलाने के बाद ही राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने यही संकेत दिया था और अब सीबीआई भी वही संकेत दोहरा रही है। पश्चिम बंगाल की सियासत में 17 मई का दिन गहमागहमी भरा रहा। नारदा स्टिंग केस में दोपहर को ममता बनर्जी के दो मंत्रियों समेत एक विधायक और पूर्व नेता की गिरफ्तारी हुई। चंद घंटों में उन्हें बेल भी मिल गई और दिन खत्म होते-होते ये बेल रुक भी गई। अदालतों की इस प्रकार की प्रक्रिया को देखकर न्यायपालिका को लेकर कई सवाल भी उठते हैं। स्थानीय अदालत जमानत देती है तो हाईकोर्ट उसे निरस्त कर देती है। फिलहाल ममता बनर्जी की सीबीआई दफ्तर में 6 घंटे की तपस्या भी काम नहीं आई और उनके मंत्रियों को जेल की रोटी खानी ही पड़ी। पश्चिम बंगाल में सियासी गहमागहमी के बाद दिन खत्म होने से पहले नारदा स्टिंग केस में टीएमसी नेताओं को मिली राहत छिन गई। इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने चारों नेताओं के जमानती ऑर्डर पर रोक लगा दी । अब गिरफ्तार हुए सभी आरोपियों को सीबीआई की न्यायिक हिरासत में रहना होगा। तृणमूल कांग्रेस के दो वर्तमान मंत्री, एक विधायक और एक पूर्व नेता को विशेष अदालत ने जमानत दी थी, लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी के इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने के बाद जमानत पर रोक लगा दी गई। गिरफ्तारी के चंद घंटों बाद ही इन्हें अंतरिम जमानत मिल गई थी, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने रोक लगा दी।
विशेष अदालत ने चारों नेताओं को जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने मामला कलकत्ता हाईकोर्ट के संज्ञान में डाला। अधिकारियों ने कोर्ट में सीबीआई दफ्तर के बाहर हुई पत्थरबाजी का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें ठीक से काम नहीं करने दिया जा रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने नारदा स्टिंग केस को बंगाल के बाहर ट्रांसफर करने का भी अनुरोध किया है।
पश्चिम बंगाल में साल 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सार्वजनिक हुए थे। इन स्टिंग्स में टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को कंपनी के प्रतिनिधियों से रुपये लेते दिखाया गया था। स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था। स्टिंग्स सामने आने के बाद राज्य में खूब बवाल मचा। मामला हाई कोर्ट पहुंचा जिसके बाद इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई, तभी स्टिंग में ही फिरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, तृणमूल कांग्रेस केविधायक मदन मित्रा और पूर्व मेयर शोभन चटर्जी का नाम सामने आया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी इसे राजनीतिक साजिश करार देती रही है। उनका आरोप है कि इस स्टिंग वीडियो को बीजेपी के दफ्तर से जारी किया गया था।
सीबीआई ने नारदा स्टिंग केस में 17 मई दोपहर को ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत बनर्जी, विधायक मदन मित्रा को गिरफ्तार किया। सीबीआई ने टीएमसी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को भी नारदा स्टिंग केस में गिरफ्तार किया है। जांच एजेन्सी ने बताया कि ये सभी चार नेता 2014 में कथित नारदा रिश्वत केस में अपराध के दौरान मंत्री थे। नारदा स्टिंग केस को लेकर गत 17 मई को केंद्रीय जांच एजेंसी के एक्शन लेते ही बंगाल की सियासत गरमा गई। इसका एक कारण टीएमसी छोड़कर भाजपा में गये मुकुल राय और शुभंेदुु अधिकारी को गिरफ्तार न किया जाना है। स्टिंग आपरेशन करने वाले ने इन दोनों को भी पैसे देने की बात कही है लेकिन सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में खुद सीएम ममता बनर्जी सीबीआई के दफ्तर पहुंच गईं और अधिकारियों को उन्हें भी गिरफ्तारी करने की चुनौती देने लगीं। ममता बनर्जी करीब 6 घंटे तक सीबीआई दफ्तर में बैठी रहीं। इस दौरान नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने सीबीआई दफ्तर के बाहर प्रदर्शन और पथराव तक शुरू कर दिया, जिसे देखते हुए सेंट्रल फोर्सेज की ओर से लाठीचार्ज करना पड़ा।
सीबीआई के अधिकारियों ने 18 मई को कहा कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए मुकुल रॉय और तृणमूल कांग्रेस से लोकसभा सदस्य अपरूपा पोद्दार के खिलाफ 2014 के नारद स्टिंग मामले में अब तक कुछ नहीं मिला है। हालांकि, केंद्रीय एजेंसी ने लोकसभा अध्यक्ष से दो साल पहले शुभंेदु अधिकारी समेत चार अन्य के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगी थी। बहरहाल, अधिकारियों ने बताया कि जांच अब भी चल रही है और किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी गई है। प्राथमिकी में 13 आरोपी नामजद हैं। नवंबर 2017 में भाजपा में शामिल होने वाले रॉय और तृणमूल सांसद पोद्दार के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं मांगी गई थी, क्योंकि उनके खिलाफ अब तक कुछ नहीं मिला है। अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने 6 अप्रैल 2019 को लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर शुवेंदु अधिकारी, सौगत रॉय, काकोली घोष दस्तीदार और प्रसून बनर्जी के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगी थी, क्योंकि ये सभी कथित घटना के समय लोकसभा के सदस्य थे। शुवेंदु अधिकारी दिसंबर 2020 में भाजपा में शामिल हो गए थे और हाल में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट से हरा दिया। वह अब विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में एक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए। यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था। हालांकि, चुनाव पर इसका असर नहीं पड़ा और बनर्जी की सत्ता में वापसी हुई। सीबीआई अधिकारी ने कुछ लोगों द्वारा एजेंसी के खिलाफ लगाए गए पक्षपात करने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
वरिष्ठ पत्रकार और वर्ष 2016 के नारद टेप केस के शिकायतकर्ता मैथ्यू सैमुअल ने उनकी ओर से किए गए स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर सीबीआई की ओर से तृणमूल कांग्रेस के सु्ब्रत मुखर्जी और फिरहाद हाकिम की गिरफ्तारी पर खुशी जताई है। इसके साथ ही उन्होंने, इसी केस में सबूत होने के बावजूद मौजूदा समय में बीजेपी नेता और विधायक शुवेंदु अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर नाखुशी जताई है। इनवेस्टीगेशन जर्नलिस्ट और नारद न्यूज के संस्थापक मैथ्यू सैमुअल ने एक वीडियो संदेश में कहा, यह खुशी का दिन है...कई साल हो गए..स्टिंग टेप वर्ष 2016 में जारी हुआ था लेकिन राजनेताओं को सीबीआई छू भी नहीं पाई थी। तीन साल पहले चार्जशीट तैयार की गई थी। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के ठीक पहले, नारद न्यूज ने तृणमूल कांग्रेस के विभिन्न नेताओं की वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई थी जिसमें वे कथित तौर पर कुछ काम ( सम फेवर्स) के बदले कैश स्वीकार करते दिखाई दे रहे थे। इस रिकार्डिंग को बाद में नारद टेप के नाम से जाना गया। सीबीआई ने इसी मामले में ममता बनर्जी की लगातार तीसरी बार सरकार बनने और पूरी कोशिश के बाद भी भाजपा की पराजय होने के ठीक दस दिन बाद सत्तारूढ़ दल के चार नेताओं-सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हाकिम, मदन मिश्रा और सोवन चटर्जी को अरेस्ट किया है। मुखर्जी और हाकिम पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की नवगठित सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं जबकि मित्रा इसी पार्टी के विधायक हैं। चटर्जी भी टीएमसी के पूर्व विधायक रह चुके हैं। हालांकि नारद टेप में कथित तौर पर एक्सपोज किए गए मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं हुई है। रॉय और शुभेंदु, दोनों ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी रहे हैं और अब बीजेपी ज्वॉइन कर चुके हैं। स्टिंग ऑपरेशन करने वाले सैमुअल कहते हैं कि मैं स्वयं गया था और शुवेंदु को उनके ऑफिस में राशि दी थी लेकिन लिस्घ्ट में उनका नाम नहीं है। क्या हुआ? एक फोरेंसिक (जांच) हुई थी और यह साबित हुआ था...सीबीआई ने भी मेरा बयान लिया था। उन्होंने कहा, मुझे यह भी पता लगा था कि शुभेंदु ने मुझसे राशि लेने की बात स्वीकार की थी। तो क्या यह राजनीतिक बदले के तौर पर किया जा रहा है?
सीबीआई सूत्रों ने एक समाचार एजेन्सी को बताया कि जांच एजेंसी, अधिकारी और अन्य के खिलाफ कदम के मामले में मंजूरी का इंतजार कर रही है। एजेंसी ने लोकसभा स्पीकर से 6 अप्रैल, 2019 को इनके खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी मांगी थी क्योंकि उस समय ये निचले सदन के सदस्य थे। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि मंजूरी मिलते ही कानून अपना काम करेगा। सूत्रों ने यह भी बताया कि इस मामले में एक रिमाइंडर भी भेजा गया है। (हिफी)