हिंदू-मुस्लिम भाईचारा बढ़ाने में मदरसे भी मददगार साबित हो रहे हैं: मनीष
सूजडू के मदरसा इदारतुस सालिहात में बोर्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करने वाले बच्चों को किया सम्मानित
मुजफ्फरनगर। शहर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत गांव सूजडू में स्थित मदरसा इदारतुस सालिहात में बोर्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करने वाले बच्चों को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सर्व सामाजिक संस्था के अध्यक्ष प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी व नगरपालिका अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरुप ने बच्चों को अवार्ड देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रमुख समाजसेवी मनीष चौधरी ने कहा कि आज यह साबित हो गया है कि मदरसा छात्र भी किसी से कम नहीं है। मदरसा इदारतुस सालिहात के बच्चों को बोर्ड परीक्षा में इतने अच्छे अंक मिले हैं, जिससे सभी को गर्व है। किसी दूसरे बोर्ड के मुकाबले मदरसा छात्र भी पढ़ाई में अव्वल नंबर ला रहे हैं, यह बहुत खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि हिंदू मुस्लिम में आपसी भाईचारा बढ़ाने में मदरसे भी मददगार साबित हो रहे हैं। आज के कार्यक्रम में मदरसे के संचालकों ने उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया है, यह मेरे लिए बडे सम्मान की बात है। हम सभी को मिलकर जुलकर एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए, तभी समाज में भाईचारा कायम किया जा सकेगा और देश भी तरक्की कर सकता है। बच्चों के मन में भी हिंदू मुस्लिम की बात न भरकर सामाजिक सद्भावना भरने का काम करना चाहिए। इस अवसर नगरपालिका अध्यक्ष मीनाक्षी स्वरुप ने कहा कि इस मदरसे में दसवीं व बारहवीं में अपने आप पढ़कर इन बच्चों ने इतने अच्छे अंक प्राप्त किए हैं, यह बहुत खुशी की बात है। उन्होंने कहा ऐसे प्रतिभाशाली बच्चों को अवार्ड देकर मुझे भी गर्व की अनुभूति हो रही है। इन बच्चों की हरसंभव सहायता आगे की पढ़ाई में की जाएगी। इस अवसर डाक्टर नजमुल हसन ने मदरसे के बच्चों का अपने सुंदर विचारों से मार्गदर्शन किया और अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
कार्यक्रम का संचालन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मेरठ प्रांत संयोजक फैजुर रहमान ने किया फैजुररहमान व कलीम त्यागी ने बताया कि दक्षिण तमिलनाडु में विनाशकारी बाढ़ के बाद, सेयदुंगनल्लूर बैथुलमल जमात मस्जिद ने ज़रूरतमंद हिंदू परिवारों को आश्रय और सांत्वना प्रदान करने के लिए अपने दरवाज़े खोले। चार दिनों तक इन परिवारों ने मस्जिद की दीवारों के भीतर शरण ली, जहाँ उन्हें न केवल आश्रय मिला, बल्कि भोजन, कपड़े और दवा जैसी ज़रूरी चीज़ें भी मिलीं। इस निस्वार्थ कार्य ने धार्मिक सीमाओं को पार कर लिया, जो संकट के समय समुदायों को एक साथ बांधने वाली एकजुटता की सहज भावना को प्रदर्शित करता है। इसी तरह, कर्नाटक के कोपल में, आतिथ्य का एक दिल को छू लेने वाला भाव तब सामने आया जब एक मुस्लिम परिवार ने सबरीमाला तीर्थयात्रियों का अपने घर में स्वागत किया। परिवार ने एक 'अन्ना संतर्पण' का आयोजन किया, जहाँ तीर्थयात्रियों, मुख्य रूप से हिंदुओं को न केवल भोजन कराया गया, बल्कि भक्ति गतिविधियों में भी शामिल किया गया। दयालुता के इस कार्य ने सहानुभूति और करुणा के सार्वभौमिक मूल्यों को रेखांकित किया, जो विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमियों के लोगों को एकजुट करते हैं। भारत के समावेशिता के लोकाचार को और आगे बढ़ाते हुए, कर्नाटक के बीदर में विभिन्न धर्मों के छात्र रमजान के पवित्र महीने के दौरान इफ्तार मनाने के लिए एक साथ आए। जब गैर-मुस्लिम छात्रों ने उपवास तोड़ने के दौरान अपने मुस्लिम साथियों को परोसा, तो पूरे परिसर में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश गूंज उठा, जो धार्मिक और सांस्कृतिक विभाजनों से परे था।
ये दिल को छू लेने वाले उदाहरण भारत की बहुलतावाद और धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता के शक्तिशाली प्रमाण के रूप में काम करते हैं। विभाजनकारी एजेंडे और ध्रुवीकरण द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, पूरे देश में प्रतिदिन प्रदर्शित की जाने वाली दयालुता और एकजुटता के कार्य एकता की स्थायी भावना की पुष्टि करते हैं जो भारतीय पहचान को परिभाषित करती है। जैसे-जैसे हम अशांत समय से गुज़र रहे हैं, आइए हम करुणा और सह-अस्तित्व की इन कहानियों से प्रेरणा लें। इस अवसर पर मदरसे की छात्राओं कायनात, आयशा, अर्शी ,समेला ,रिफा ,तैयबा, कुलसुम, अनेकों बच्चों को आए हुए मेहमानों से सर्टिफिकेट और अवार्ड दिए गए कार्यक्रम मे डॉक्टर, नजमुल हसन जैदी, मौलाना हम्माद कलीम त्यागी डॉक्टर खुर्रम ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन में मौलाना दानिश कासमी मौलाना आस मोहम्मद मैडम सरीन इशा खुर्शीद उपस्थित रहे