बाधाओं को पीछे छोड़ सुधारों के बल पर भारत को विकसित राष्ट्र बनायेंगे: मोदी

बाधाओं को पीछे छोड़ सुधारों के बल पर भारत को विकसित राष्ट्र बनायेंगे: मोदी

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र तथा विश्व गुरू बनाने के लिए आज राज्य सरकारों, पंचायतों तथा जन प्रतिनिधियों से लेकर जन सामान्य तक इसमें आहुति देने का आह्वान किया और कहा कि उनकी सरकार तमाम बाधाओं तथा विकृत सोच को पीछे छोड़ कर सुधारों के रथ पर सवार होकर इस लक्ष्य को हासिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।

मोदी ने भ्रष्टाचार, परिवारवाद, जातिवाद, पूर्ववर्ती राजनीतिक नेतृत्व की यथास्थिति बनाये रखने की प्रवृत्ति को देश की विकास यात्रा में बाधा करार देते हुए देश में मौजूदा नागरिक संहिता के स्थान पर धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता यानी सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने विधटनकारी सोच वाले लोगों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि देश को इनकी विकृत मानसिकता से बचना होगा। उन्होंने बंगलादेश में हिन्दू समुदाय तथा अल्पसंख्यकोंं की सुरक्षा को लेकर भी चिंता व्यक्त की। विश्व समुदाय का भी आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का विकास दुनिया के लिए संकट नहीं बल्कि मानवता के कल्याण का माध्यम बनेगा।

प्रधानमंत्री ने लगातार तीसरी बार देश तथा जन सेवा का मौका देने के लिए देशवासियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि वह उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दिन-रात तीन गुना मेहनत करेंगे। राजनीति को परिवारवाद तथा जातिवाद के चक्रव्यूह से बाहर निकालने के लिए उन्होंने एक लाख ऐसे नौजवनोंं को राजनीति में लाये जाने का आह्वान किया जिनकी कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि न हो।

मोदी ने 78 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले से देशवासियों को अपने 11 वें संबोधन में वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार की भावी रूपरेखा भी रखी। उन्होंने कहा कि विकसित भारत केवल भाषण के शब्द भर नहीं है बल्कि देश के कोटि-कोटि जनों का सपना तथा संकल्प है। देश को आजादी दिलाने के लिए महान हस्तियों के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय 40 करोड़ देशवासी देश को आजाद करा सकते हैं तो आज 140 करोड़ की आबादी देश को समृद्ध और विकसित क्यों नही बना सकती। उन्होंने कहा कि अगर देश के लिए मर मिटने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है, तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता ‘समृद्ध भारत’ भी बना सकती है।”

प्रधानमंत्री ने देश में सुधारों की प्रक्रिया के प्रति गहरी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए 25 से 30 लाख सुधार करने होंगे जिसके बाद आम नागरिकों का जीवन सुगम बनेगा और लोगों के जीवन में सरकार का हस्तक्षेप कम होगा। उन्होंने कहा कि देश में सुधारों से देश का सामर्थ्य बढ़ता है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से 70 साल तक देश में नेतृत्व ने यथास्थिति बनाये रखने की प्रवृत्ति रखी। इससे देश की विकास यात्रा में बाधा पहुंची।

उन्होंने कहा कि देश का आम नागरिक चाहता है कि उनकी तकलीफों को दूर करने के लिए कड़े से कड़े सुधार किये जायें । उन्होंने कहा, “सरकार के लिए सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता पिंक बुक के पेजों के लिए, या चार दिन की वाहवाही लूटने के लिए या कोई राजनीतिक मजबूरी नहीं है बल्कि ये देश को मजबूत बनाने के लिए है। सुधारों से ही प्रगति का ब्ल्यू प्रिंट बनता है। राष्ट्र प्रथम हमारा संकल्प है।” प्रधानमंत्री ने बैंकिंग क्षेत्र, एमएसएमई, वित्तीय समावेशन सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों की चर्चा की और कहा, “हमने देश में ‘माई बाप कल्चर’ को बदला है और राजकाज का नया मॉडल विकसित किया है जिसमें सरकार खुद जरूरतमंद के पास जाती है।” उन्होंने कहा कि आज सरकार रसोई गैस, पानी, बिजली, आर्थिक मदद लोगों के घर के दरवाजे तक ले कर जा रही है। देश में हर क्षेत्र में सिस्टम में बदलाव किया जा रहा है। सौ से अधिक आकांक्षी जिले अपने राज्य के अन्य जिलों के समान आ गए हैं।

उन्होंने कहा कि सुधारों से देश में संभावनाएं बढ़ीं हैं और इसका बदलाव कई क्षेत्रों में दिख रहा है। देश के युवाओं की आकांक्षा सुधारों की गति में उत्तरोत्तर वृद्धि देखने की है। इसी से स्वर्णिम भारत का लक्ष्य हासिल होगा। उन्होंने कहा कि 2047 के विकसित भारत में 25 से 30 लाख सुधार हो जाएंगे तो लोगों की मुसीबतें बहुत हद तक कम हो जाएंगी। देशवासियों को इस बदलाव के लिए आगे आना होगा।

प्रधानमंत्री ने हर दल, हर राज्य के जनप्रतिनिधियों को लोगों के जीवन को आसान बनाने के मिशन में सरकार का साथ देने का आह्वान किया। उन्होंने नागरिकों का भी आह्वान किया, “छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी सरकार को सुझाव दीजिए, सरकार उस पर काम करेगी।” उन्होंने कहा कि वैश्विक विकास में भारत की हिस्सेदारी बढ़ी है। सरकार प्रति व्यक्ति आय दोगुनी करने में सफल हुई है। बैंकों में सुधार का लाभ सभी क्षेत्रों को मिला है। देश नई ऊंचाइयों को छूना चाहता है, इसलिए हर क्षेत्र में सरकार तेज गति से कार्य करेगी। मोदी ने कहा है कि हम भारत में ऐसी शिक्षा व्यवस्था बना रहे हैं जिससे कि देश के बच्चों को पढ़ने के लिए विदेशों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़े, बल्कि विदेशों से पढ़ने के लिए बच्चे यहां आएं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जैसा बदलाव हो रहा है उससे कौशल का महत्व बढ़ गया है इसे देखते हुए सरकार व्यापक स्तर पर कौशल तथा क्षमता बढ़ाने के कार्यक्रम चला रही है। बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार नालंदा का पुराना गौरव लौटाने की दिशा में कार्य कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि चहुंमुखी विकास के लिए परिवारवाद और जातिवाद की राजनीति घातक है इसलिए देश को जल्द से जल्द इनसे मुक्ति दिलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह एक लाख ऐसे तेजस्वी युवाओं को आगे लाना चाहते हैं जिनकी कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि न हो और वे निष्पक्ष भाव से समाज तथा देश की सेवा करें। उन्होंंने कहा कि देश में बराबर चुनाव होते रहते हैं और इससे राष्ट्रीय विकास प्रभावित होता है इसलिए पूरे देश को अब एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए तैयार रहने की जरूरत है। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के सपने को साकार करने के लिए सबको आगे आने की जरूरत है।

मोदी ने देशवासियों को विकृत मानिसकता वाले लोगों से बचने की सलाह देते हुए कहा कि ये लोग देश की प्रगति में बाधा हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों को अपने भले के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता। उन्होंने कहा, “कुछ ऐसे लोग हैं हो देश की प्रगति देख नहीं सकते, जो भारत का भला नहीं सोच सकते जब तक उनका खुद का भला न हो। देश को उनसे बचना होगा। उनकी विकृत मानसिकता से बचना होगा। ” उन्होंंने कहा कि देश के लिए चुनौतियां भीतर भी हैं और बाहर भी हैं और जैसे जैसे हम ताकतवर बनेंगे चुनौती भी बढेंगी तथा बाहर की चुनौतियोंं ज्यादा बढेंगी। उन्होंने कहा कि भारत का विकास किसी के लिए चुनौती लेकर नहीं आता बल्कि वह मानवता के कल्याण के लिए मजबूत होना चाहता है।

भ्रष्टाचार को देश की विकास यात्रा में बड़ी चुनौती बताते हुए प्रधानमंत्री कहा कि इसने देश को तोड़ दिया है, लेकिन वह इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार ने देश को तोड़ दिया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने जंग छेड़ा है, इससे मेरी प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची है, लेकिन मेरी प्रतिष्ठा राष्ट्र से बड़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन एक चुनौती है लेकिन वह भ्रष्टाचारियों के के लिए भय का वातावरण पैदा करके रहेंगे। भ्रष्टाचार के महिमामंडन को बड़ी चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा कि वह इसे हराकर दम लेंगे।

प्रधानमंत्री ने मौजूदा नागरिक संहिता को सांप्रदायिक और भेदभाव पर आधारित बताते हुए कहा कि अब समय की मांग है कि पूरे देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (सेक्युलर सिविल कोड) लागू हो। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस बारे में बार-बार चर्चा की है और आदेश भी दिये हैं। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने यूनीफोर्म सिविल कोड को लेकर बार-बार चर्चा की है और आदेश दिये हैं तथा देश का बड़ा वर्ग मानता है कि सिविल कोड एक तरह से सांप्रदायिक सिविल कोड है, भेदभाव करने वाला है और इसमें सच्चाई भी है।” उन्होंने कहा कि अभी संविधान के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं और उच्चतम न्यायालय तथा संविधान की भी यही भावना है तो संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करना हमारा दायित्व है। उन्होंने कहा, “हम जब संविधान के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट भी कह रहा है और संविधान की भावना भी कह रही है और तब संविधान निर्माताओं का जो सपना था उसे पूरा करना हम सबका दायित्व है।”

उन्होंने कहा कि अब समय की मांग है कि पूरे देश में इस पर चर्चा हो और देश में सेक्युलर सिविल कोड लागू किया जाना चाहिए। उन्होंंने कहा कि देश ने सांप्रदायिक नागरिक संहिता में 75 वर्ष बिताये हैं, लेकिन अब इस भेदभाव वाले कानून में बदलाव का समय आ गया है। उन्होंंने कहा, “मैं मानता हूं कि इस गंभीर विषय पर देश में चर्चा हो। व्यापक चर्चा हो और सब अपने सुझाव लेकर आयें और उन कानूनों को जो धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है और इसीलिए मैं तो कहूंगा, अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो। हमने सांप्रदायिक सिविल कोड में 75 साल बिताये हैं अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की ओर जाना होगा और तब जाकर देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं सामान्य नागरिक को उससे मुक्ति मिलेगी।”

प्रधानमंत्री मोदी ने मौजूदा नागरिक संहिता को सांप्रदायिक और भेदभाव पर आधारित बताते हुए आज कहा कि अब समय की मांग है कि पूरे देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (सेक्युलर सिविल कोड) लागू हो। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि नागरिक संहिता भेदभावपूर्ण तथा सांप्रदायिक है और अब इसकी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस बारे में बार-बार चर्चा की है और आदेश भी दिये हैं। उन्होंने कहा , “सुप्रीम कोर्ट ने यूनीफोर्म सिविल कोड को लेकर बार-बार चर्चा की है और आदेश दिये हैं तथा देश का बड़ा वर्ग मानता है कि सिविल कोड एक तरह से सांप्रदायिक सिविल कोड है, भेदभाव करने वाला है और इसमें सच्चाई भी है।”

मोदी ने दुष्कर्म की घटनाओं पर पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा पाप करने वालों में डर पैदा करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि हमारी माताओं-बहनों, बेटियों के प्रति अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “देश में आक्रोश है, जनसामान्य का आक्रोश है। इस आक्रोश को मैं महसूस कर रहा हूं। इसे देश को, समाज को, हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो। राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा मिले। यह समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है।”

उन्होंने कहा कि जब महिलाओं पर दुष्कर्म जैसे अत्याचार की घटनाएं घटती हैं तो उसकी बहुत चर्चा होती है, बहुत प्रचार होता है, मीडिया में छाया रहता है, लेकिन जब ऐसे व्यक्ति को सजा होती है तो खबरों में नजर नहीं आती है, कोने में कहीं पड़ा होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब समय की मांग है कि जिनको सजा होती है, उसकी व्यापक चर्चा हो ताकि ऐसा पाप करने वालों में भय पैदा हो कि पाप करने वालों की ऐसी हालत होती है, फांसी पर लटकना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि अपराध करने वालों में डर पैदा करना बहुत जरूरी है। बंगलादेश के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने उम्मीद जतायी कि वहां जल्द स्थिति सामान्य होगी। साथ ही उन्होंने वहां हिन्दू समुदाय तथा अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जतायी।

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