कर्म ऐसे हों, जो स्वयं के साथ दूसरों का भी भला करें: मुख्यमंत्री चौहान
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भगवत गीता हमें जीवन से भागने का नहीं, सात्विक कार्यकर्ता के रूप में निरंतर कर्मरत रहने का संदेश देती है। आवश्यक यह है कि कर्म ऐसे हों, जो स्वयं के साथ दूसरों का भी भला करें।
आधिकारिक जानकारी में आज यहां बताया गया कि चौहान हैदराबाद में हार्टफुलनेस संस्थान के कान्हा शांति वनम में ध्यान-सत्र के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। श्री रामचंद्र मिशन के कमलेश दाजी और चौहान की पत्नी साधना सिंह विशेष रूप से उपस्थित थी। मुख्यमंत्री ने योग एवं ध्यान के माध्यम से नशे की लत को छुड़ाने की विधियों पर केन्द्रित पुस्तक 'यस यू केन डू ईट' के हिंदी अनुवाद 'जी, हाँ आप कर सकते हैं' का विमोचन किया। यह पुस्तक हार्टफुलनेस संस्थान द्वारा प्रकाशित की गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रामचंद्र मिशन के कमलेश दाजी हार्टफुलनेस अभियान के माध्यम से हमें ज्ञान का प्रकाश और सद्बुद्धि प्रदान करते हुए सन्मार्ग पर बने रहने की प्रेरणा दे रहे हैं। उनके दिखाए मार्ग पर चल कर हम अपने पारिवारिक और व्यावसायिक दायित्व निभाते हुए आध्यात्मिक प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर हो सकते हैं। उनके द्वारा प्रतिपादित आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की पद्धति अपने आप में संपूर्ण है।
चौहान ने कहा कि केवल भौतिक प्रगति व्यक्ति को सुख और आनंद नहीं दे सकती। व्यक्ति अधिकतम आयु और सुख, शांति एवं आनंद से परिपूर्ण जीवन चाहता है। सभी विचार धाराएँ और पद्धतियाँ सुख और आनंद की खोज की ओर जाती हैं। पूज्य दाजी द्वारा दिखाया गया मार्ग वर्तमान जीवन की व्यस्तताओं के बीच आध्यात्मिक उन्नति के उच्चतम सौपान तक पहुँचने और व्यक्ति के सुख, शांति और आनंद का मार्ग प्रशस्त करता है। हार्टफुलनेस कार्यक्रम प्रेम, करूणा और दया से परिपूर्ण है।
उन्होंने श्री रामचंद्र मिशन द्वारा कृषि, पर्यावरण-संरक्षण, योग, ध्यान और प्राणायाम के प्रसार के लिए संचालित गतिविधियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मिशन ने मध्यप्रदेश के जिला रतलाम के जावरा में पर्यावरण-संरक्षण के लिए अभियान चलाया है। मिशन के सहयोग से मध्यप्रदेश में शिक्षा, कृषि, पर्यावरण, जीवन-निर्माण और नशामुक्ति के लिए गतिविधियाँ संचालित करने की योजना है।
श्री रामचंद्र मिशन के कमलेश दाजी ने मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री चौहान द्वारा पर्यावरण-संरक्षण, शिक्षा, कृषि आदि के क्षेत्र में संचालित गतिविधियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश देश का हृदय क्षेत्र है, इसे हार्टफुल स्टेट के रूप में विकसित किया जाएगा। दाजी ने कहा कि यदि व्यक्ति अशांत और चिंतित होगा तो वह सुखी रह ही नहीं सकता। सुख के लिए शांति आवश्यक है। शांति मनन से संभव है। मनन एकाग्र मस्तिष्क से संभव है, जो ध्यान से प्राप्त किया जा सकता है। अत: ध्यान से सुख का गहरा संबंध है।
कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि रामचंद्र मिशन की स्थापना वर्ष 1945 में हुई। मिशन 160 से अधिक देशों में सहज मार्ग के माध्यम से स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मानस विकसित करने के लिए अपनी सेवाएं दे रहा है।
वार्ता