पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट ने लगाई योगी सरकार को फटकार
प्रयागराज। हाईकोर्ट ने राज्य के भीतर कोरोना संक्रमण के कारण उत्पन्न हो रही गंभीर स्थिति के बावजूद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करवाने के तरीके पर गहरी नाराजगी जताई है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि जब प्रदेश सरकार को कोरोना की दूसरी लहर के घातक परिणामों का अंदाजा था तो सरकार की तरफ से कोई कारगर योजना क्यों नहीं बनाई गई? जिस तरह से राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करवाए जा रहे हैं और उसमें चुनाव ड्यूटी करने के लिए अध्यापकों व अन्य सरकारी कर्मचारियों को मजबूर किया जा रहा है वह तरीका सही नहीं है। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि लोक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करते हुए पुलिस को चुनाव करवाने के लिए मतदान केंद्रों पर भेज दिया गया। यह किसी भी दशा में ठीक नहीं है।
चुनाव कराने वाले अधिकारियों को भी पता है कि लोगों को एक दूसरे से दूर रखने का कोई तरीका नहीं है। ऐसे आयोजकों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाए। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा है कि हालातों को देखकर ऐसा लग रहा है कि सरकार के लिए केवल अर्थव्यवस्था ही मायने रखती है। खाने पीने की चीजों से भरी किरयाना की दुकान या बाइक अथवा कार से भरे शोरूम है लेकिन जीवन रक्षक दवाइयों की दुकानें खाली पड़ी हुई है।
जब कोरोना से बचाव की दवा रेमडेसीवर जैसी जीवन रक्षक दवाइयां दवाओं की दुकानों पर नहीं मिल रही है तो किराना के सामान से भरी दुकान व कारों से भरे शोरूम किसी काम के नहीं है। हाईकोर्ट ने प्रदेश में वर्तमान स्वास्थ्य सुविधाओं को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि प्रयागराज और लखनऊ जैसे शहरों में ही रोजाना 500 से 1000 मरीजों को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ रही है। वर्तमान स्वास्थ्य सेवाएं 5 प्रतिशत आबादी की आवश्यकता को ही पूरा कर सकती हैं।