हाय रे सिस्टम-नहीं मिली एंबुलेंस-नवजात के शव को थैले में रख ले गया बाप
जबलपुर। सरकारी सिस्टम की पोल पट्टी खोलते हुए इंसानियत को झकझोर कर रख देने वाली घटना के अंतर्गत सरकारी एंबुलेंस मिलने के अभाव में मजबूर बाप को अपने नवजात बच्चे के शव को थैले में रखकर उसे अंतिम क्रिया कर्म के लिए ले जाना पड़ा। इतना ही नहीं एंबुलेंस के अभाव में अभागे पिता ने घर तक पहंुचने के लिये सौ किलोमीटर से भी ज्यादा बस से यात्रा की और अपने नवजात के शव को लेकर घर पहुंचा। डिंडोरी जनपद के सहजपुरी गांव के रहने वाले सुनिल धुर्वे की गर्भवती पत्नी जमनी बाई को 13 जून को प्रसव पीड़ा होने के बाद सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रसव क्रिया के दौरान महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया जो जन्म से ही काफी कमजोर था।
अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे जबलपुर स्थित सरकारी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। पिता बच्चे को जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में लेकर पहुंचा, जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। अभागे पिता का दुर्भाग्य ने यही पीछा नही छोडा। अस्पताल प्रबंधन से जब बच्चे को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी गई तो अस्पताल प्रबंधन ने पीड़ित पिता को एंबुलेंस होने से इंकार कर दिया। आर्थिक तंगी की वजह से अभागे पिता ने अपने नवजात बच्चे के शव को एक थैले में रखा और बस में सवार होकर अपने घर पहुंचा।
मामला सोशल मीडिया समेत अन्य समाचार माध्यमों पर उजागर होने के बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ संजय मिश्रा ने अपनी सफाई में कहा है कि जब बच्चे को जबलपुर के सरकारी अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था तो वह जीवित था। उन्होंने कहा है कि बच्चे को डिंडोरी जिले के अस्पताल से जबलपुर रेफर किया गया था। अस्पताल के चिकित्सकों ने नवजात बच्चे को भर्ती कर उसका इलाज शुरू कर दिया था। बच्चे की हालत गंभीर थी। यह पूछे जाने पर कि क्या मृत व्यक्तियों को ले जाने के लिए अस्पताल में कोई शव वाहन उपलब्ध है तो उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में ऐसी कोई सुविधा नहीं है।