गुलाम नबी आजाद की फिक्र
नई दिल्ली। गुलाम नबी आजाद कहते हैं कि हमारे लोगों का जमीनी स्तर पर जुड़ाव खत्म हो गया है। आजाद ने कहा हम सभी पराजय से चिंतित हैं। खासतौर से बिहार और उपचुनावों के नतीजों से। उन्होंने कहा, मैं हार के लिए लीडरशिप को जिम्मेदार नहीं मानता हूं। हमारे लोगों ने जमीनी स्तर पर जुड़ाव खो दिया है। उन्होंने कहा आपको पार्टी से प्यार होना चाहिए।
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में क्या कोई परिवर्तन ऐसा आने वाला है जो उसे केन्द्र की सत्ता तक फिर पहुंचा सके ? यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है कि अभी हाल में सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आगे करके तीन समितियां बनाने की एक नयी पहल की है। इसके माध्यम से कांग्रेस राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मामलों में अपनी क्षमता प्रदर्शित कर सकेगी। सत्ता से बाहर रहकर यह काम मुश्किल तो है लेकिन असंभव नहीं है। दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस को जमीनी स्तर पर न जोड़ पाने की फिक्र जतायी है। यह फिक्र निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जब तक कांग्रेस जमीनी स्तर पर लोगों से नहीं जुड़ेगी तब तक वह केन्द्र की सत्ता तो दूर, राज्य की सत्ता भी नहीं संभाल पाएगी। मध्यप्रदेश और कर्नाटक इसके उदाहरण हैं। पार्टी की आंतरिक कलह कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी समस्या है। पहले तो इससे ही निपटना पड़ेगा, तभी जमीनी स्तर से पार्टी को जोड़ा जा सकेगा।
पहले से ही आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस बिहार चुनाव के बाद और मुश्किलों का सामना कर रही है। पार्टी के कई बड़े नेता खुलकर नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ किया है कि वह बिहार में पार्टी के प्रदर्शन का आरोप नेतृत्व पर नहीं लगा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने पार्टी नेताओं के व्यवहार पर भी सवाल उठाए। गुलाम नवी आजाद कहते हैं कि हमारे लोगों का जमीनी स्तर पर जुड़ाव खत्म हो गया है। आजाद ने कहा हम सभी पराजय से चिंतित हैं। खासतौर से बिहार और उपचुनावों के नतीजों से। उन्होंने कहा ,मैं हार के लिए लीडरशिप को जिम्मेदार नहीं मानता हूं। हमारे लोगों ने जमीनी स्तर पर जुड़ाव खो दिया है। उन्होंने कहा आपको पार्टी से प्यार होना चाहिए। इतना ही नहीं आजाद ने पार्टी के नेताओं के व्यवहार पर भी जमकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा चुनाव फाईव स्टार कल्चर से नहीं जीते जाते हैं। उन्होंने कहा आज के नेताओं के साथ परेशानी यह है कि अगर उन्हें पार्टी से टिकट मिल जाता है, तो वे पहले फाईव स्टार होटल बुक कराते हैं। अगर रोड खराब है तो वे कहीं नहीं जाते। आजाद ने कहा जब तक फाईव स्टार कल्चर को खत्म नहीं किया जाता, कोई भी चुनाव नहीं जीत सकता है। गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के नेताओं के व्यवहार पर भी जमकर सवाल उठाए। इस प्रकार पहले से ही आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस बिहार चुनाव के बाद और मुश्किलों का सामना कर रही है। पार्टी के कई बड़े नेता खुलकर नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं।
बिहार चुनाव और देश के कई राज्यों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस को बड़ी असफलता मिली है। इसके बाद से ही पार्टी के कई बड़े नामों ने नाराजगी दर्ज कराई थी। एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि जब से राहुल गांधी ने यह घोषणा की है कि उन्हें पार्टी प्रमुख बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है, कांग्रेस के पास बीते डेढ़ साल से अध्यक्ष नहीं है। उन्होंने कहा कैसे एक पार्टी बगैर लीडर के डेढ़ साल तक काम करेगी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नहीं पता है कि जाना कहा है। इसके अलावा पी चिदंबरम ने भी पार्टी के खराब संगठनात्मक ताकत की आलोचना की थी। कांग्रेस के एक अन्य नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह कौन तय करेगा कि पार्टी में अंतरिम अध्यक्ष का एक साल रहना ज्यादा लंबा समय है। खुर्शीद ने जोर देकर कहा कि अगर नए अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया में समय लग रहा है, तो हो सकता है कि इसके पीछे कोई अच्छा कारण हो। उन्होंने कहा कोई दूर नहीं गया है, सभी यहीं हैं केवल लेबल की बात पर जोर दे रहे हैं। आप क्यों लेबल पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने बताया बहुजन समाज पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है। वाम दलों में कोई चेयरमैन नहीं है, केवल महासचिव हैं। सभी पार्टियां एक मॉडल पर नहीं चल सकतीं। खुर्शीद ने कहा कि पार्टी के पास अंतरिम रूप में सोनिया गांधी हैं, जो कि संविधान से बाहर की चीज नहीं है।
बहरहाल, बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बुरे प्रदर्शन के बाद पार्टी नेता कपिल सिब्बल ने आत्ममंथन की सलाह दी है। इसके बाद सिब्बल पार्टी के छोटे से लेकर बड़े नेता तक के निशाने पर आ गये। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में सिब्बल ने कहा था कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं। कपिल सिब्बल की इस टिप्पणी पर पार्टी नेता और कांग्रेस की बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सख्त टिप्पणी की है। चौधरी ने कहा, कांग्रेस की आलोचना करने वाले लोग किसी अन्य पार्टी में शामिल हो सकते हैं या शर्मनाक गतिविधियों में लिप्त होने के बजाय अपनी नई पार्टी शुरू कर सकते हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता चौधरी ने यह भी कहा कि ऐसे नेता अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के करीबी थे और उनके समक्ष मुद्दे उठा सकते थे। लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने कहा, अगर कुछ नेताओं को लगता है कि कांग्रेस उनके लिए सही पार्टी नहीं है, तो वे एक नई पार्टी बना सकते हैं या किसी अन्य पार्टी में शामिल हो सकते हैं जो उन्हें लगता है कि प्रगतिशील है और उनकी रुचि के अनुसार है लेकिन उन्हें इस तरह की शर्मनाक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए।
कपिल सिब्बल को सलाह देने के लहजे में कांग्रेस सांसद ने कहा, उनकी बातचीत से कुछ हासिल नहीं होगा। कपिल सिब्बल को बिहार और मध्य प्रदेश जाना था। वह साबित कर सकते थे कि वह जो कह रहे हैं वह सही है और वह कांग्रेस की स्थिति मजबूत करते। कुछ भी करने का मतलब आत्म निरीक्षण नहीं है। चौधरी ने कहा, कपिल सिब्बल ने पहले भी इस बारे में बात की थी। वह कांग्रेस पार्टी और उसके आत्मनिरीक्षण के बारे में बहुत चिंतित हैं लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात के चुनावों में उनका चेहरा नहीं देखा।
इस तरह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभी जनता से जुडने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। गुलाम नबी आजाद को यही फिक्र सता रही है। (हिफी)