गौरव के साथ ग्लानि की अनुभूति
नई दिल्ली। रविवार 23 अक्टूबर को छोटी दीवाली थी। अखबार खोला तो कई खबरों को पढ़कर मन बाग-बाग हो गया। अमेरिका मंे भी भारतीय मूल के लोग ही दीपावली नहीं मना रहे थे बल्कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी दीपों की थाली लिये हुए दिख रहे थे। उड़ीसा के बालासोर मंे स्वदेश निमिर्तत बैलस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। उसी दिन भारतीय क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान को टी-20 वर्ल्ड कप मंे पराजित किया। मुकाबला रोमांचक था। भारत-पाक के बीच कोई भी मैच हो रहा हो, रोमांचक हो ही जाता है। मैं उस दिन अपने संभावित रिश्तेदार के मकान पर था। वे लोग गृह प्रवेश तो कर चुके थे लेकिन पूरी तरह शिफ्ट नहीं हुए थे। इसलिए वहां टीवी नहीं था। हमारे मेजबान के बड़े भाई मैच देखने के लिए बेचैन थे। मोबाइल पर मैच लगाया गया। अश्विन ने चौका लगाकर मैच जीता। छोटी दीवाली की खुशी और बढ़ गयी। इसी बीच अखबार की एक खबर पर नजर पड़ते ही ग्लानि महसूस हुई। यह खबर गुजरात के एक निजी विश्वविद्यालय के हास्टल मंे रहने वाले जूनियर छात्र से हैवानियत की थी। विश्वविद्यालय के छात्रों को नासमझ नहीं कहा जा सकता। उन्हांेने अब तक किस तरह की शिक्षा प्राप्त की, इसका तो सबूत मिल ही गया। ऐसे ही लोगों के रूप में रावण आज भी जिंदा है। दीपावली पर हम बाहर का अंधेरा तो दूर करने मंे सफल हो गये हैं लेकिन अंदर का अंधेरा कायम है। गुजरात मंे राजकोट के उस निजी विश्वविद्यालय का नाम उस अखबार ने नहीं छापा था लेकिन इस अमानवीय घटना की पुलिस मंे रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है। दूषित राजनीति की भाषा मंे यह नहीं कहा जाए कि ये बच्चे हैं बल्कि उनको ऐसी सजा मिलनी चाहिए जिससे ऐसे कृत्य की पुनरावृत्ति न हो।
राजकोट के हास्टल मंे जूनियर छात्र से हैवानियत की घटना दीपावली त्योहार की सबसे पहली कड़ी अर्थात् धनतेरस को समाचार पत्रो ंमंे देखने को मिली थी। पीड़ित की आपबीती पर उसके पिता ने 20 अक्टूबर को कुवाइया रोड पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज करायी। पुलिस ने बताया कि दो दिन पहले लड़के ने अपनी बड़ी बहन से फोन पर कहा कि उसे हास्टल मंे नहीं रहना है। इसके बाद फूट-फूट कर रोने लगा। पीड़ित छात्र से उसके पिता और बहन मिलने पहुंचे। छात्र ने अपने ऊपर बीती हैवानियत के बारे में बताया। छात्र ने बताया कि पिछले महीने तीन छात्रों ने नहाते समय उसका वीडियो बना लिया था। इसके बाद उन छात्रों ने धमकी दी कि अगर उसने उन लोगों का कहना नहीं माना तो वे वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगे। पीड़ित छात्र ने बताया कि वीडियो बनाने वाले छात्रों ने उसको तीन विकल्प दिये थे- पहला यह कि छात्र अपना निजी अंग काट ले। दूसरा विकल्प था कि छात्र अपने कान काट ले और तीसरा विकल्प था कि हास्टल की छत से वह छलांग लगा ले। समझ मंे नहीं आ रहा कि यह कैसी रैगिंग थी। सामान्य रूप से पुराने छात्र नए छात्रों का परिचय जानने के लिए हल्का-फुल्का हंसी-मजाक करते हैं लेकिन यहां तो जूनियर छात्र को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा था।
बहरहाल, पीड़ित छात्र के लिए तो आगे कुंआ और पीछे खाईं जैसी स्थिति थी। छात्र गिड़गिड़ा रहा था और कथित अभिभावक छात्र हैवान बनकर सामने खड़े थे। आरोपित छात्रों ने कहा कि वह अपने साथ गंदी हरकत करने दे। पीड़ित छात्र ने बताया कि कई मिन्नते करने और रोने-गिड़गिड़ाने के बावजूद उन वरिष्ठ छात्रों ने उसका अप्राकृतिक यौन शोषण किया। उसके गुप्त अंग मंे सैनिटाइजर डाल दिया। टूथ ब्रश और पेन्सिल से भी उसको यातनाएं दी गयीं। इस मामले मंे जिन तीन आरोपित कालेज छात्रों को हिरासत मंे लिया गया है, उनमें एक नाबालिग है। मेडिकल कालेज से लेकर अन्य
शिक्षा संस्थानों मंरैगिंग के कई मामले अखबारों मंे पढ़े लेकिन इस तरह की वीभत्स रैगिंग के बारे मंे नहीं सुना था।
उसी दिन धनतेरस और दीपावली को लेकर जगमगाते हुए विज्ञापन प्रकाशित हुए थे लेकिन पता नहीं क्यों वे विज्ञापन भी चुभते हुए नजर आए। हमारे देश के युवाओं का मन इतना गंदा है तो तन को चमकाने से क्या होगा? यह खोखलापन एक दिन हम सभी को पागल बना देगा। यह मत सोचिए कि गुजरात के राजकोट मंे जो एक छात्र के साथ हुआ वो दूसरों के साथ नहीं होगा। दिल्ली में निर्भया के साथ दुराचार और हत्या क्या जब-तब जीवित नहीं हो उठती है? मानसिक परिवर्तन नहीं हो पा रहा है और न लोगों मंे कानून के प्रति भय दिखाई पड़ता है। गुजरात के राजकोट मंे यह घटना हुई है तो भाजपा विरोधी राजनीतिक दल फौरन भाजपा सरकार को कठघरे मंे खड़ा करने लगेंगे। वहां विधानसभा के चुनाव होने हैं तो इसे चुनावी मुद्दा भी बना सकते हैं लेकिन कुत्सित मानसिकता की घटनाएं राजस्थान, उड़ीसा और आंध्र्र प्रदेश मंे भी होती रहती हैं। समस्या प्रदेश स्तर तक ही सीमित नहीं, राष्ट्रव्यापी है। स्कूल-कालेज से लेकर विश्वविद्यालयों तक रैगिंग पर रोक लगी है। भाषण देते समय उस कालेज के छात्र भी कहते हैं कि रैगिंग नहीं होनी चाहिए। इसके बावजूद रैगिंग होती है। स्कूल-कालेज राजनीति के अड्डे हो गये हैं। यहीं पर अब राजनीति की नर्सरी तैयार हो रही है। इसलिए कोई भी राजनीतिक दल स्कूल-कालेजों को लेकर कड़ा रवैया नहीं अपनाता। हास्टलों मंे अपराधी शरण लिये रहते हैं और असलहों के जखीरे मिल जाएंगे लेकिन छात्रों को नेता नाराज नहीं करते। भाजपा ने भी उत्तर प्रदेश मंे नकल अध्यादेश लागू करके यही सबक लिया है। नतीजा गुजरात के राजकोट मंे रैगिंग के नाम पर वरिष्ठ छात्र हैवानियत कर रहे हैं।
यही सब पढ़कर अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के आवास टाइम्स स्क्वायर मंे दीपावली उत्सव फीका लगा था। हैरिस और उनके पति ने भारतीय अमेरिकियों, राजनयिकों और प्रशासन के सदस्यों को दीवाली समारोह के लिए आमंत्रित किया था। अमेरिका में भारतीय त्योहारों का सम्मान भारतीयों का सम्मान लगता है। हमारी भारतीयता को, हमारे राम के अयोध्या आगमन के उत्सव को अमेरिका के जननायक महत्व दे रहे हैं तो यह हमारे लिए आत्म गौरव का विषय है। भारत ने अभी हाल ही स्वदेश निर्मित बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार 21 अक्टूबर को सुबह एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से एक मोबाइल लांचर से स्वदेश निर्मित बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। यह मिसाइल 2000 किमी. तक लक्ष्य भेदने की क्षमता रखती है। इस मिसाइल का आखिरी परीक्षण पिछले साथ 18 दिसम्बर को किया गया था। भारतीय वायुसेना ब्रह्मोस एयर सुपर लांच क्रूज मिसाइल को संचालित करने मंे सक्षम बनाने के लिए 40 सुखोई-30 विमानों को संशोधित भी करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी 23 अक्टूबर को 36 उपग्रह अंतरिक्ष मंे भेजकर इतिहास रचा है। इसरों ने आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा अंतरिक्ष केन्द्र से अपने सबसे भारतीय एलवीएम-3 राकेट से 36 ब्राड बैंड संचार उपग्रह अंतरिक्ष मंे भेजे थे। इस राकेट को बाहुबली नाम दिया गया है।
हम बाहुबली हो गये लेकिन मानसिक रूप से कमजोर हैं। इस कमजोरी को कैसे दूर किया जाए, इसके लिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र से युवाओं को परिचित कराया जाए। (हिफी)