शिक्षा मंत्री मेवालाल ने दिया इस्तीफा
पटना। बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने आज पदभार ग्रहण करने के तीन घंटे के अंदर ही पद से इस्तीफा दे दिया।
शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी पर भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर रहते हुए नियुक्ति में घोटाले का आरोप है। इसके साथ ही मंत्री पद की शपथ लेने के बाद भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक पूर्व अधिकारी ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर मांग की थी कि शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी की पत्नी नीता चौधरी की आग से झुलस कर हुई मौत के मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जाए।
इन दोनों मामलों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला कर रहा था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मामला सामने आने के बाद अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को जांच का आदेश दिया था।
मेवालाल चौधरी ने सोमवार को नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मंत्री के तौर पर शपथ ली थी। उसके बाद से ही विपक्ष उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर हमला कर रहा था। मेवालाल चौधरी को छोड़कर नीतीश मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने अपने-अपने विभाग का कार्यभार संभाल लिया था। मेवालाल चौधरी ने पदभार ग्रहण करने के बाद मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की थी और कुछ ही देर के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति के कारण मेवालाल चौधरी को इस्तीफा देना पड़ा है।
इससे पहले मेवालाल चौधरी ने पदभार ग्रहण करते करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि उनपर लगे आरोप निराधार हैं। वह भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में सम्मिलित नहीं है और उन पर ऐसे किसी मामले में कार्यवाही भी नहीं हुई है। जो भी लोग उन पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं उनके खिलाफ वह कानूनी कार्यवाही करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इससे पहले सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर ट्वीट कर सवाल किया, ''आदरणीय नीतीश कुमार, मेवालाल चौधरी के केस में तेजस्वी को सार्वजनिक रूप से सफाई देनी चाहिए कि नहीं। ''अगर आप चाहे तो मेवालाल के संबंध में आपके सामने मैं सबूत सहित सफाई ही नहीं, बल्कि गांधी जी के सात सिद्धांतों के साथ विस्तृत विमर्श भी कर सकता हूं। आपके जवाब का इंतजार है।''
गौरतलब है कि मेवालाल चौधरी से पहले भी वर्ष 2005 में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार बनी थी तब नवंबर 2005 में उस समय अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री बनाए गए जीतन राम मांझी को भी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शासनकाल में उनके मंत्री पद पर रहते हुए शिक्षा विभाग से संबंधित भ्रष्टाचार का एक मामला लंबित होने के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि बाद में आरोप मुक्त होने पर मांझी को 2008 में फिर से नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिल गई थी ।