गजवा ए हिंद के फतवे को लेकर DM एवं SSP तलब- पूछा एक्शन के बजाय...

सहारनपुर। दारुल उलूम की ओर से जारी किए गए गजवा ए हिंद के फतवे को लेकर भेजी गई रिपोर्ट पर सहारनपुर के जिला अधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दिल्ली तरफ करते हुए एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने पूछा है कि सरकार ने इस मामले पर एक्शन लेने के बजाय पक्ष में रिपोर्ट क्यों भेजी है?
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानी एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो दारुल उलूम के गजवा ए हिंद के फतवे को लेकर भेजी गई रिपोर्ट पर सहारनपुर के जिला अधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दिल्ली तलब किया है। दारुल उलूम के गजवा ए हिंद के फतवे को लेकर एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने कहा है कि यूपी सरकार को दारुल उलूम के खिलाफ कार्यवाही करने का नोटिस दिया गया था। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि गजवा ए हिंद को लेकर यह फतवा वर्ष 2009 में जारी किया गया था। यह कहकर सरकार ने अपना पीछा छुड़ा लिया है।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो कहा है कि दक्षिण एशिया को दारुल उलूम मदरसा शिक्षा प्रणाली नियंत्रित करती है। गजवा ए हिंद का अपने फतवे में दारुल उलूम द्वारा महिमा मंडन किया गया है। यूपी सरकार को उन्होंने दारुल उलूम के खिलाफ कार्यवाही करने को लेकर 21 फरवरी 2024 को नोटिस जारी किया था, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस मामले को लेकर कार्यवाही करने की बजाए एक रिपोर्ट बनाकर भेज दी और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
उन्होंने कहा है कि दारुल उलूम से जुड़े मौलानाओं को जमीयत उलेमा ए हिंद यूके से करोड़ों की फंडिंग होती है। यह संगठन पाकिस्तान को भी फंड देता है। क्या दारूल उलूम बच्चों की नजर में अजमल कसाब को शहीद के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि यूपी के अधिकारियों को अब इसका जवाब दिल्ली जाकर देना होगा।