मौत 4 सेकंड दूर- अचानक आया देवदूत और बच गई नेत्रहीन बच्चे की जान

मौत 4 सेकंड दूर- अचानक आया देवदूत और बच गई नेत्रहीन बच्चे की जान

मुंबई। कहा जाता है कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। महज चंद कदम दूरी पर खड़ी मौत को मात देते हुए देवदूत बनकर आए रेलवेकर्मी ने अपनी जान पर खेलकर दृष्टि बाधित बच्चे को बचा लिया। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को ट्वीट करते हुए दृष्टि बाधित बच्चे की जान बचाने वाले रेलवे कर्मी की जमकर तारीफ की है।

दरअसल एक दृष्टिबाधित बच्चा अपनी मां के साथ वांगणी प्लेटफार्म नंबर 2 पर चल रहा था। उसकी मां भी दृष्टि बाधित है। अचानक ही चलते हुए बच्चे ने अपना नियंत्रण खो दिया और वह धड़ाम से रेलवे लाइन पर जा गिरा। इसी दौरान तेजी के साथ पटरियों पर दौड़ती हुई आ रही सुपर फास्ट ट्रेन के ड्राईवर ने गाडी का हाॅर्न बजाया। जैसे ही रेलकर्मी मयूर शिल्के ने रेल गाड़ी के होरन की आवाज सुनी और उसकी निगाह रेलवे ट्रैक पर पड़े दृष्टिबाधित बच्चे पर गई तो उसने बिना समय गंवाये गजब का साहस दिखाते हुए जांबाजी से ऐन वक्त पर बच्चे को उठाकर उसकी जान बचा ली। रेलवे कर्मी की इस जांबाज कर्तव्य परायणता की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ की जा रही है। वांगणी रेलवे स्टेशन पर तैनात एक अधिकारी ने घटना के बारे में बताया कि जब बच्चा गिरा तो उसी समय हमने तेजी से आ रही सुपर फास्ट रेल गाड़ी के हाॅर्न की आवाज सुनी। हम लोग उस जगह से काफी दूर थे।

बच्चे की मां भी इस बात को नहीं जान पाई थी कि उसका बेटा कहां गया है। जबकि ट्रेन तेजी के साथ ट्रैक पर पड़े बच्चे की तरफ बढ़ रही थी। इसी बीच मयूर शिल्के चंद सेकेंड के भीतर बच्चे को ट्रैक से उठा लिया। मयूर शिल्के ने तेजी से बच्चे को उठाकर प्लेटफार्म पर रखा और वह खुद भी फूर्ती के साथ ऊपर चढ़ गया। इस तरह शिल्के ने तेजी से दौड़ती आ रही मौत रूपी ट्रेन के आगे से बच्चे को बचा लिया। मयूर शिल्के और मौत के बीच महज 2 सेकंड का ही अंतर था। इससे समझा जा सकता है कि रेल कर्मी ने कितने कम समय में तेजी के साथ अपने काम को अंजाम दिया था। रेलवे अधिकारी ने कहा कि यदि मयूर शिल्के ने तेजी से बढ़कर जांबाजी दिखाते हुए बच्चे को बचाया ना होता तो उसकी निश्चित ही टेªन से कटकर मौत हो जाती। सोमवार की सवेरे रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करते हुए रेलकर्मी मयूर शिल्के की तारीफ की है।

उन्होंने लिखा है कि मुंबई के वंगाणी रेलवे स्टेशन के कर्मचारी मयूर शिल्के पर विभाग को बहुत ही गर्व है। उन्होंने बेहद साहस भरा काम किया है। अपनी जान को खतरे में डालते हुए शिल्के ने एक बच्चे को बचाया है।





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