कोरोना का कोहराम-नहीं रहे पर्यावरणविद एवं चिपको आंदोलन के नेता
देहरादून। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की चपेट में आकर बीमार हो रहे लोगों की संख्या भले ही कम हो रही हो। मगर कोरोना लगातार हमारे बीच से लोगों की जिंदगी को लेकर सहज में ही जा रहा है। जाने-माने पर्यावरणविद् और चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर निधन हो गया है। वह देहरादून के शास्त्री नगर स्थित अपने दामाद के आवास पर रह रहे थे।
शुक्रवार को कोरोना का संक्रमण देश की एक और जानी मानी हस्ती को सहज में ही हमारे बीच से उठाकर ले गया। चिपको आंदोलन से अपनी पहचान बनाने वाले जाने-माने पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर निधन हो गया है। बृहस्पतिवार की देर शाम तक पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की हालत स्थिर बनी हुई थी और उनका ऑक्सीजन लेवल 86 प्रतिशत था। डायबिटीज होने के साथ-साथ वह कोविड-19 की बीमारी से पीड़ित थे। 94 वर्षीय पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा को इसी माह की 8 मई को कोरोना संक्रमित होने के बाद ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था।
बृहस्पतिवार को एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने बताया था कि उनका उपचार कर रही चिकित्सकों की टीम ने इलेक्ट्रोलाइट्स, लीवर फंक्शन टेस्ट समेत ब्लड शुगर की जांच और निगरानी की सलाह दी है। पर्यावरणविद को उनके पुत्र व पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा तथा दामाद डॉक्टर बीसी पाठक ने एम्स में भर्ती करवाया था। फिलहाल सुंदरलाल बहुगुणा राजधानी देहरादून के साथ ही नगर स्थित अपने दामाद डॉ बीसी पाठक के आवास पर रह रहे थे। उन्हें कुछ दिन पहले ही बुखार आया था। जिस पर डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज घर पर ही शुरू किया गया था। लेकिन बुखार नहीं उतरने पर तीसरे दिन पर्यावरणविद को एम्स ले जाने की सलाह दी गई थी।