महाराष्ट्र में कांग्रेस को रहना होगा सचेत

महाराष्ट्र में कांग्रेस को रहना होगा सचेत

मुंबई। इस समय राजनीति दमखम और तिकड़म की चल रही है। इसी के सहारे दल-बदल कराया जाता है। कांग्रेस के एक नेता ने सोनिया गांधी को महाराष्ट्र में पार्टी के टूटने की आशंका जताते हुए पत्र लिखा है तो उसे निराधार नहीं कहा जा सकता। राजनीति में मत्स्य न्याय होता है। अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी ही सहयोगी जेडीयू के 6 विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। इसी प्रकार कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी राजस्थान में अपनी सरकार की सहयोगी बसपा के 6 विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में शामिल करा चुके हैं। इसलिए महाराष्ट्र में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अगर कांग्रेस को तोड़ने का प्रयास कर रही हैं तो राजनीति के धर्म में यह कोई 'पाप' नहीं रह गया है। कांग्रेस इसके लिए सतर्क रहे। यहां पर ध्यान देने की बात है कि महाराष्ट्र में शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़कर एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों को साथ लेकर सरकार बनायी है। शिवसेना के खुद के 57 विधायक हैं। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत रहती है। उद्धव ठाकरे के पास 155 विधायक तीन दलों को मिलाकर है। इसलिए विधायकों की एक दल से दूसरे दल में आवाजाही बनी रहेगी।

महाराष्ट्र में कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी की गठबंधन वाली सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि महागठबंधन सरकार में जल्द दरार आ सकती है। कांग्रेस के पूर्व सांसद संजय निरुपम के बेहद करीबी माने जाने वाले विश्वबंधु राय ने सोनिया गांधी को खत लिखा है। विश्वबंधु राय ने अपने पत्र में लिखा है कि शिवसेना और एनसीपी द्वारा कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इस खत का शीर्षक दिया गया है महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस पार्टी ने एक वर्ष में क्या पाया और क्या खोया। इसके बाद विश्वबंधु राय ने सोनिया गांधी को लिखे खत में कहा कि महाविकास अघाड़ी सरकार को एक साल पूरे हो चुके हैं। कांग्रेस पार्टी उद्धव सरकार की सहयोगी बनी हुई है।


शिवसेना और एनसीपी महाराष्ट्र में सरकार चलाने की भूमिका में नजर आ रहे हैं। पत्र में उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस को खत्म करने की साजिश सहयोगी शिवसेना और एनसीपी कर रही हैं। लगातार हर मोर्चे पर कांग्रेस को मिटाने का प्रयास यह दोनों पार्टियां कर रही हैं। कांग्रेस का एनसीपी और शिवसेना के साथ गठबंधन आत्मघाती साबित होगा। राय ने आगे लिखा कि साल 2019 के कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए चुनावी वादों पर कोई काम नहीं हो रहा है। पार्टी से लोगों के पलायन को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। शिवसेना और एनसीपी को गठबंधन धर्म समझाने की जरूरत है।

अपने पत्र में कई प्वाइंट में विश्वबंधु राय ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों को महाराष्ट्र सरकार में बड़ी संख्या में जमीनी स्तर पर संगठन का कोई काम नहीं मिल रहा है। आम जनता के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को मंत्रियों के विभाग का पता नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे सहयोगी दल सोची समझी रणनीति बनाकर हमारी पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। विश्वबंधु राय ने सोनिया गांधी के नाम चिट्ठी में कहा, साल 2019 के विधानसभा चुनावों के दौरान जनता से जो भी वादे पूरे किए गए थे। उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है। कांग्रेस की स्थिति महाविकास अघाड़ी सरकार में बेहद दयनीय है। शिवसेना और एनसीपी के नेता कांग्रेस पार्टी को निरंतर दबाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में यह गठबंधन कांग्रेस के लिए भविष्य में नुकसान देह साबित हो सकता है।


इससे पहले शिवसेना सांसद संजय राउत ने दावा किया था कि बीजेपी महाराष्ट्र सरकार गिराने के लिए कुछ भी कर सकती है। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने संजय राउत की पत्नी को एक मामले में तलब किया था, जिसके बाद उनका ये बड़ा बयान सामने आया है। प्रेस कांफ्रेंस में संजय राउत ने कहा, 'मेरी पत्नी शिक्षिका हैं, भाजपा के नेताओं की तरह हमारी संपत्ति बढ़कर 1600 करोड़ रुपये नहीं हो गयी है।'

भाजपा संजय राउत ने ये भी कहा, 'भाजपा के कुछ नेता पिछले एक साल से मुझसे संपर्क कर कह रहे हैं कि उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने के लिए सारे इंतजाम कर लिए हैं। वे मुझ पर दबाव बना रहे हैं और मुझे धमका रहे हैं। शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस घटक है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद के बाद शिवसेना और भाजपा के रास्ते अलग हो गए थे। इसके बाद महा विकास अघाड़ी सरकार का गठन हुआ था।'

बहरहाल महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी गठबंधन के नेतृत्व में बनी उद्धव ठाकरे की सरकार के सहयोगी दलों में मतभेद के सुर सुनाई देने लगे हैं। गठबंधन की तीन सहयोगियों में से एक कांग्रेस, प्रमुख निर्णय लेने की प्रक्रिया खुद को अलग बता रही। कांग्रेस की यह शिकायत सामने आ गई है कि उसे गठबंधन में जो स्थान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल रहा है।

महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस के कोटे से मंत्री बने बालासाहेब ने कहा था। गठबंधन में जो हमें स्थान मिलना चाहिए, कुछ बातें है, जो हम मुख्यमंत्री के सामने अपनी बातें रखेंगे। बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कह चुके हैं कि महाराष्ट्र सरकार मे कांग्रेस शामिल जरूर है, लेकिन वो सरकार की निर्णय प्रक्रिया में नहीं है।

महाराष्ट्र सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा था, "कुछ मुद्दे हैं महाविकास अघाडी (एमवीए) के सहयोगी और नौकरशाही के बीच। हम अपने सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए सीएम से मिलने का प्रयास कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट और पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण राज्यपाल कोटा से विधान परिषद नामांकनों, राज्य सरकार द्वारा संचालित निगमों एवं बोर्ड में नियुक्ति और कांग्रेस मंत्रियों को आ रही समस्याओं से जुड़े मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ठाकरे से मुलाकात करना चाहते थे। शिवसेना नीत महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में तनाव के बीच कांग्रेस सरकार में अपनी भूमिका को प्रभावी बनाना चाहती है। (हिफी)




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