CBI ने बढ़ाई लालू की सक्रियता
पटना। बिहार के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में 7 साल की सजा मिली है। बड़ी मुश्किल से वह गत अप्रैल में जमानत पर रिहा हो पाए और रांची की जेल से बाहर आते ही नीतीश कुमार सरकार की बखिया उधेड़ने लगे हैं। इसी बीच 22 मई को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जनवरी 2018 में कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में क्लीन चिट दे दी है। यही वो मामला था जिसको आधार बनाकर नीतीश कुमार ने राजद से किनारा करके भाजपा से एक बार फिर गलबहियां डाली थीं। अब क्लीन चिट पाकर लालू ज्यादा आक्रामक हो सकते हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता लालू प्रसाद यादव को सीबीआई से राहत मिली है। मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने पूर्व रेलवे मंत्री को डीएलएफ रिश्वत मामले में क्लीन चिट दी है। इसी अप्रैल महीने में उन्हें खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई थी। इससे पहले उन्होंने करीब तीन साल जेल में बिताए थे। अब सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने जनवरी, 2018 में कथित भ्रष्टाचार को लेकर लालू और रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ समूह के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की थी। लालू यादव पर आरोप लगाया गया था कि डीएलएफ समूह मुंबई बांद्रा स्टेशन के अपग्रेडेशन और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन प्रोजेक्ट को हासिल करने की कोशिश में था। और इसी दौरान उन्हें कथित रिश्वत के तौर पर साउथ दिल्ली के एक पॉश इलाके में संपत्ति खरीदकर दी थी। आरोप के अनुसार एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड नाम की शेल कंपनी के द्वारा साउथ दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में 5 करोड़ की कीमत का एक फ्लैट खरीदा गया था। यह कंपनी लेक्सिस इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड और दूसरी शेल कंपनियों के माध्यम से वित्तपोषित की गई थी। ये कंपनियां डीएलएफ होम डेवलेपर्स द्वारा फंडेड थीं, जबकि वास्तविक सर्किल रेट के आधार पर संपत्ति की कीमत 30 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
बताते हैं कि साल 2011 में लालू प्रसाद परिवार के तेजस्वी यादव, चंदा यादव और रागिनी यादव ने कथित तौर पर एबी एक्सपर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों को मात्र 4 लाख रुपये में ट्रांसफर कर लिया था, जिसके कारण वे 5 करोड़ की संपत्ति के मालिक बन गए थे। जांच एजेंसी ने इस मामले में प्रवीण जैन और अमित कात्याल नाम के दो लोगों को बिचैलियों के रुप में नामित किया था। इन्हीं दोनों शख्सों ने कंपनी और लालू यादव के बीच खरीद कराई। सूत्रों के अनुसार दो साल की जांच के बाद इस केस की पड़ताल को बंद कर दिया गया है क्योंकि आरोपों के आधार पर कोई मामला नहीं बनता है। इससे पूर्व चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और खुद के मुखिया लालू प्रसाद यादव को 17 अप्रैल को रांची हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। उन्हें यह जमानत दुमका कोषागार से 13.3 करोड़ रुपये की निकासी के मामले में दी गई। इसी के साथ लालू यादव के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया था। लालू यादव का स्वास्थ्य पिछले कुछ महीनों से ठीक नहीं चल रहा था, जिसके कारण उनका परिवार मेडिकल ग्राउंड पर जमानत की मांग करता रहा था। रांची हाईकोर्ट से मिली इस राहत के बाद लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया था। लालू प्रसाद को दुमका कोषागार मामले में जमानत मिलने से पहले चारा घोटाले के तीन अन्य मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है।
गौरतलब है कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालू को दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सात-सात साल की सजा सुनाई है। जमानत पर छूटने के बाद देश में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।लालू ने 1996-97 के पोलियो टीकाकरण अभियान से इसकी तुलना करते हुए कहा है कि आज सरकार पैसे लेकर भी कोरोना का टीका उपलब्ध नहीं करा पा रही है। लालू यादव ने कहा, 1996-97 में जब हम समाजवादियों की देश में जनता दल की सरकार थी, जिसका मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष था, तब हमने पोलियो टीकाकरण का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। लालू यादव ने कहा कि उस वक्त आज जैसी सुविधा और जागरुकता भी नहीं थी, फिर भी 07 दिसंबर 1996 को 11.74 करोड़ शिशुओं और 18 जनवरी 1997 को 12.73 करोड़ शिशुओं को पोलियो का ड्राप पिलाया गया था। वह भारत का विश्व रिकॉर्ड था। उस दौर में वैक्सीन के प्रति लोगों में हिचकिचाहट व भ्रांतियां थीं, लेकिन जनता दल नीत संयुक्त मोर्चा की समाजवादी सरकार ने दृढ़ निश्चय किया था कि पोलियो को जड़ से खत्म कर आने वाली नस्लों को इससे मुक्ति दिलायेंगे। राजद सुप्रीमो ने कहा, आज दुःख होता है कि तथाकथित विश्वगुरु सरकार अपने नागरिकों को पैसे लेकर भी टीका उपलब्ध नहीं करा पा रही है। मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि इस जानलेवा महामारी में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत पूरे देशवासियों को निःशुल्क टीका देने का ऐलान करें। लालू यादव ने यह भी कहा कि राज्य और केंद्र के टीके की कीमत अलग-अलग नहीं होना चाहिए। राज्यों से ही देश बनता है। ये केंद्र की जिम्मेदारी है कि देश के प्रत्येक नागरिक का चरणबद्ध समुचित टीकाकरण मुफ्त में हो।
कोरोना को लेकर बिहार में राजनीति भी हो रही है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ओर से आवासीय परिसर का प्रयोग कोविड का इलाज करने को खारिज कर दिया है। पांडे ने कहा कि प्रस्तावित आवासीय परिसर पूर्णतः आवासीय क्षेत्र में स्थित है जबकि सरकार के पास पर्याप्त संख्या में खाली ऑक्सीजन युक्त बेड उपलब्ध हैं जहां रोगियों का इलाज किया जा सकता है। बेड की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार काम कर रही है।
उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को सलाह दी कि वह कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करें और इस महामारी से निजात पाने में सरकार के साथ ही आम जनों का भी सहयोग करें। नेता प्रतिपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में स्वास्थ्य विभाग का हवाला दिए जाने पर स्वास्थ्य मंत्री ने जवाब भेजा है। पांच पन्ने के पत्र में मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार तत्परता पूर्वक कार्रवाई कर रही है। चिकित्सा क्षेत्र में आधारभूत संरचनाओं का विकास हो या जरूरी दवाइयों की व्यवस्था, जांच को लैब हो या संक्रमितों के इलाज हेतु ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था, सरकार ने सभी काम किये हैं। विशेषज्ञों की टीम गठित कर उपचार के लिए प्रोटोकोल तैयार किया गया है। होम आइसोलेशन के मरीजों को जिला नियंत्रण कक्ष से टेलीकंसल्टेशन की सुविधा दी जा रही है।
ध्यान रहे 20 मई को पटना में 981 नए कोरोना संक्रमितों की पहचान की गई, जबकि एक दिन पूर्व पटना में 1281 नए कोरोना संक्रमित मिले थे। राज्य में पिछले पांच दिनों से नए कोरोना संक्रमितों की संख्या कभी एक हजार से ज्यादा तो कभी कम हो रही है।
राज्य के 19 जिलों में सौ से अधिक नए संक्रमित मरीजों की पहचान की गई है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अररिया में 130, बेगूसराय में 194, भागलपुर में 141, दरभंगा में 376, पूर्वी चंपारण में 117, गया में 185, गोपालगंज में 229, कटिहार में 173, किशनगंज में 121, मधुबनी में 174, मुंगेर में 117, मुजफ्फरपुर में 117, नालंदा में 129, पूर्णिया में 171, सहरसा में 149, समस्तीपुर में 194, सीवान में 135 , सुपौल में 121 और वैशाली में 116 नए संक्रमित मिले। इसलिए केरोना से संक्रमितों को हर तरफ से मदद की जरूरत है। (हिफी)