मंत्री और उनके भाई समेत समर्थकों पर मुकदमा दर्ज

मंत्री और उनके भाई समेत समर्थकों पर मुकदमा दर्ज

बलिया । उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण विकास राज्यमंत्री आनंदस्वरूप शुक्ल, उनके भाई, तत्कालीन शहर कोतवाल, छः नामजद, बीस-पच्चीस अज्ञात पुलिस कर्मी व बीस-पच्चीस अज्ञात मंत्री समर्थकों पर धारा 156(3) के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

मंत्री व उनके समर्थकों के ऊपर महिलाओं को मारने पीटने , उन्हें बेईज्जत करने व उनके जेवर लूटने का आरोप है।

न्यायालय में दाखिल परिवाद के अनुसार सदर कोतवाली क्षेत्र के वनकटा निवासी रानी देवी व कई महिलाएं अपनी समस्या को लेकर पिछले 5 अप्रैल को मंत्री के आवास/कार्यालय पर गई थीं।

महिलाओं का आरोप है कि मंत्री और उनके भाई तथा समर्थकों ने उनके साथ बदसलूकी और मारपीट की। पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। इसके बाद रानी देवी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बलिया के यहां परिवाद दाखिल किया। परिवाद में कहा गया है कि मोहल्ले के कई पात्रों के बच्चों का नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) के प्रवेश तहत प्रवेश हुआ है। योजना के तहत बच्चों को पाठ्य पुस्तकों और ड्रेस आदि के लिए पांच हजार रुपये की सहायता राशि देने का प्राविधान है। दो साल से यह धनराशि नहीं मिलने पर 05 अप्रैल को रानी देवी और अन्य राज्यमंत्री के आवास पर गई थी।

आरोप है कि उनकी मांग को सुनकर मंत्री और उनके भाई आदि भड़क गए। धक्का देकर बाहर निकालने लगे। गाली-गलौज करने के साथ ही मारपीट भी की। गहनों को भी लूट लिया गया। पुलिस को बुलाकर लाठीचार्ज व मोबाइल छीनकर बंधक बनाया गया। घटना का वीडियो डिलीट करा दिया गया। सादे कागज पर दस्तखत कराए गए। पुलिस ने हम लोगों की एफआईआर नहीं लिखी। परिवाद दाखिल होने के बाद न्यायालय ने पुलिस से इस संबंध में रिपोर्ट मंगाई थी। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में आरोपों से इंकार करते हुए कहा है कि 20 से 25 महिला और पुरुष प्रति छात्र 10 हजार दिलाने और ग्राम पंचायत का नियम बदलवाने के लिए मंत्री के आवास पर पहुंचे थे।

आश्वासन देने के बाद भी लोगों ने मंत्री के आवास पर तोड़फोड़ की। इस संबंध में एफआईआर दर्ज की गई थी। रानी देवी आदि छह लोगों को नामजद और 20-25 अज्ञात आरोपी बनाए गए थे।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुरेंद्र प्रसाद ने सोमवार को माना कि प्रस्तुत प्रकरण में तथ्यों की जानकारी स्वयं भुक्तभोगियों ने उपस्थित होकर दी है । इसे वह न्यायालय में साक्ष्य से साबित कर सकती हैं। इसलिए परिवाद दर्ज किया जाता है। मामले में 24 अगस्त की तिथि साथ ही बयान दर्ज कराने के लिए निर्धारित की गई है।

वार्ता

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