सिद्धू को कैप्टन का चैलेंज

सिद्धू को कैप्टन का चैलेंज

चंडीगढ़। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तनातनी का दौर शुरू हो गया है। सीएम अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को चेतावनी दी है कि अगर वे उनके खिलाफ चुनाव में खड़े हुए, तो जमानत जब्त हो जाएगी। सीएम ने पूर्व क्रिकेटर को पटियाला सीट से चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। हालांकि, इसपर सिद्धू ने भी पलटवार किया है लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब में कैप्टन ने ही भाजपा को रोका था। लोकसभा की कुल 13 सीटों में से 6 पर कांग्रेस का कब्जा रहा था। राज्य की फरीदकोट सीट पर मोहम्मद सदीक 83256 वोट से जीते थे। कांग्रेस के मोहम्मद सदीक को 419065 वोट मिले जबकि अकाली दल के गुलजार सिंह रानिके को 335809 वोट मिले।

कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद सदीक ने शिअद के गुलजार सिंह रणिके को 83256 मतों से हराया । फरीदकोट सीट से निवर्तमान सांसद और आप उम्मीदवार प्रो. साधु सिंह पिछली बार के मुकाबले काफी पिछड़ गए थे। खडूर साहिब से जसबीर डिंपा ने शिअद उम्मीदवार बीबी जागीर कौर को पराजित किया। बीबी जागीर कौर को 319137 मत मिले। डिंपा को 459710 मत मिले। डिंपा की जीत में पंथक वोटों के बंटवारे ने बड़ी भूमिका निभाई।

लोकसभा सीट लुधियाना पर एक बार फिर से कांग्रेस अपना कब्जा जमाने में सफल रही थी। साल 2009 से कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा चला आ रहा है। रवनीत बिट्टू दूसरी बार विजयी रहे हैं। काफी प्रतिश्ठा की सीट अमृतसर पर कांग्रेस के गुरजीत औजला 99626 वोट से जीते। ओजला को 445032 वोट मिले जबकि भाजपा के हरदीप पुरी को 345406 वोट मिले थे। आनंदपुर साहिब लोक सभा से कांग्रेस के प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने अकाली दल के सीनियर नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा को 46884 मतों के अंतर से हरा दिया था। जालंधर लोकसभा सीट से भी कांग्रेस के संतोख चैधरी 19491 वोट से जीते थे। संतोख सिंह चैधरी को 385712 वोट मिले जबकि अकाली दल के चरणजीत अटवाल को 366221 वोट मिल पाये थे। पटियाला से कांग्रेस उम्मीदवार परनीत कौर ने 162718 वोट से जीत हासिल की। परनीत को 532027 वोट मिले। उन्होंने अकाली-भाजपा के गठबंधन उम्मीदवार सुरजीत सिंह रखड़ा को हराया। रखड़ा को तीन लाख 69 हजार 309 वोट मिले थे।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा श्मैं नहीं जानता कि वो ( नवजोत सिंह सिद्धू ) कहां जाएंगे या कौन सी पार्टी में शामिल होंगे।अपने सवाल का खुद ही जवाब देते हुए कैप्टन कहते हैं कि अकाली दल तो उनसे नाराज है और बीजेपी उन्हें स्वीकारेगी नहीं...तो संभावनाएं आम आदमी पार्टी (आप) की हैं। अगर वो मेरे खिलाफ पटियाला से चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो उनका हाल भी जनरल जेजे सिंह जैसा होगा, जिनकी जमानत जब्त हो गई थी। उल्लेखनीय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रिटायर्ड जनरल जेजे सिंह कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े और उनको केवल 11.1 प्रतिशत वोट ही मिले थे, जिसके चलते उनकी जमानत जब्त हो गई थी।

इधर, पूर्व क्रिकेटर और नेता नवजोत सिद्धू ने भी ट्वीट के जरिए सीएम सिंह पर पलटवार किया। उन्होंने कहा पंजाब की अंतरात्मा को पटरी से उतारने के प्रयास विफल हो जाएंगे... मेरी आत्मा पंजाब है और पंजाब की आत्मा गुरु ग्रंथ साहिबजी हैं... हमारी लड़ाई न्याय और दोषियों को दंडित करने के लिए हैं... एक विधानसभा सीट इस तरह से चर्चा करने के भी लायक नहीं है। सिद्धू ने साल 2019 में महीनों तक चली कैप्टन से तकरार के बाद कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच काफी बयानबाजी हुई थी। साल 2015 में हुए कोटकापुरा गोलीकांड मामले में आए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले ने आग में घी डालने का काम किया है। अपनी पार्टी और विपक्ष से आलोचना का सामना कर रहे सिद्धू ने सिंह पर शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया था। हालांकि, दोनों राजनेताओं के बीच सुलह कराने का जिम्मा कांग्रेस ने उठाया है। पार्टी ने राज्य प्रभारी हरीश रावत को दोनों के बीच विवाद खत्म कराने का जिम्मा सौंपा है।हालांकि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत स्वयं समानांतर सरकार चलाते रहे हैं। इसलिए गुटबाजी के दुष्परिणामों के बारे में वे अच्छी तरह जानते होंगे।

राज्य में अगले साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गत 7अप्रैल को मुख्य चुनाव अधिकारी (सी.ई.ओ.) पंजाब डॉ. एस करुणा राजू ने चुनाव अधिकारियों को तैयार रहने की हिदायत दी थी। इस संबंध में गूगल मीट द्वारा पंजाब के सभी 22 जिलों के चुनाव तहसीलदारों और चुनाव कानूनगो के साथ मीटिंग की गई। पंजाब राज्य में विधानसभा चुनाव अगले साल के शुरू में होने हैं और मुख्य चुनाव अधिकारी ने वोटर सूची के निरंतर अपडेट के लिए मुहिम पहले ही शुरू कर दी है। मौजूदा महामारी के दौरान प्रौद्यौगिकी एक अहम भूमिका अदा कर रही है और इससे मोबाइल ऐप्लीकेशनों की भूमिका कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने सभी अधिकारियों को मोबाइल ऐप्लीकेशन का अधिक से अधिक प्रयोग करने का निर्देश दिया। इन ऐप्स में मुख्य तौर पर आम लोगों के लिए वोटर हेल्पलाइन ऐप, अपंग व्यक्तियों के लिए पीडब्ल्यूडी ऐप, बूथ स्तर अधिकारियों (बी.एल.ओज) के लिए गरुड़ ऐप शामिल हैं। सी.ई.ओ. पंजाब डॉ. एस. करुणा राजू ने कहा था कि विकेंद्रीकरण पहुंच स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव यकीनी बनाने में सहायक होती है। उन्होंने अधिकारियों को सभी पोलिंग बूथों की खुद तस्दीक करने और कोविड-19 की स्थिति के मद्देनजर और ज्यादा स्थानों का सुझाव देने और सभी उचित आंकड़ों को अपडेट करने के निर्देश दिएथे। फील्ड अफसरों को निर्देश दिए गए कि वह आउटरीच गतिविधियों के लिए बेहतर ढंग से प्रौद्यौगिकी का प्रयोग करें। पीडब्ल्यूडीज, ट्रांसजेंडर, नौजवानों आदि के लिए वर्ग अनुसार गूगल मीट्स और वेबिनारों का सुझाव दिया गया। फील्ड अफसरों को हिदायत की गई कि वह सोशल मीडिया का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करके जानकारी का प्रचार करें और लक्षित वोटरों खघसकर नौजवानों के दरमियान चुनाव संबंधी जागरूकता पैदा करें।

इसी साल मार्च में खबर आयी थी कि अगले साल पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंच के माध्यम से कड़वाहट दूर करने की कोशिश की जाएगी। इस बीच कांग्रेस से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब सरकार में उपमुख्यमंत्री या पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से कम में मान जाएंगे , इस बात की संभावना बिल्कुल कम है। नवजोत सिंह सिद्धू के लिए कुल 4 विकल्पों पर चर्चा हो रही है। एक विकल्प अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में जगह के अलावा विधानसभा चुनाव में कैंपेन कमेटी के चेयरमैन का भी विकल्प है लेकिन, कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू उपमुख्यमंत्री या पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष में से किसी एक पद से कम में मानेंगे इस बात की उम्मीद कम है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह चाहते हैं कि सिद्धू को कैबिनेट में जगह दी जाए क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू ने 2019 में कैबिनेट मंत्री के पद से त्यागपत्र दिया था। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू को उपमुख्यमंत्री का पद देंगे या फिर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर नवजोत सिंह सिद्धू की ताजपोशी के लिए राजी होंगे क्योंकि पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष अमरिंदर सिंह की रजामंदी के बिना नहीं बन सकता।

नवजोत सिंह सिद्धू ने जुलाई 2019 में पंजाब सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू अपना मंत्रालय बदले जाने से कई महीनों से नाराज चल रहे थे। इससे पहले 25 नवंबर को भी दोनों ने लंच पर मुलाकात की थी। पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत सिद्धू को पार्टी में वापस अहम भूमिका दिलवाना चाहते हैं। दोनों नेताओं की बातचीत के बाद रावत ने सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताई है। बेहतर यही होगा कि कैप्टन और सिद्धू हाथ मिला लें। (हिफी)





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