चैलेंज से घिरा बिहार विधान सभा चुनाव
पटना । 2018 के जम्मू-कश्मीर में शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव सबसे कम मतदान का रिकॉर्ड दर्ज हुआ. राज्य निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक नगर के 1.78 लाख मतदाताओं में से सिर्फ 2.3 फीसदी मतदाता मतदान के लिए घरों से बाहर आए. ये श्रीनगर शहर में किसी भी चुनाव में सबसे कम मतदान था. श्रीनगर नगर निगम के 19 वार्डों में से नौ में 100 से भी कम मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. ये श्रीनगर में अब तक किसी भी चुनाव में हुआ सबसे कम मतदान था. बात श्रीनगर या फिर जम्मू कश्मीर की नहीं वहां के हालात लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने पर मजबूर करते हैं. भले जम्मू कश्मीर में लोग आतंकवादियों के डर से बाहर नहीं निकलते थे, लेकिन वर्तमान में एक ऐसा अदृश्य आतंकवादी कोरोना वायरस कोविड-19 है, जो कश्मीर के आतंकवादियों से भी खतरनाक है. दरअसल नजर आने वाले आतंकवादियों से तो बचा जा सकता है, उसे पकड़ा भी जा सकता है, पर कोविड-19 से बचना अब मुश्किल हो गया है. वह भी तब जब ये कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड हो रहा हो. ऐसे में बिहार में चुनाव कराना टेढ़ी खीर साबित होगी।
बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होना है. हालांकि चुनाव आयोग की तरफ से न तो अभी चुनाव कराने की बात स्वीकारी गई है और ना ही तारीखों का ऐलान हुआ है. लेकिन नीतीश कुमार के पांच साल के कार्यकाल का अंतिम महीना अक्टूबर माना जाता है और इसी महीने में चुनाव होने होते है. इस बार का विधानसभा का चुनाव कई मायनों में अलग होने वाला है. वजह साफ है कोरोना महामारी का असर इस चुनाव पर साफ तौर पर देखा जाएगा. हालांकि कुछ राजनीतिक दलों ने इसकी तैयारी जोर-शोर से शुरू कर दी है. कुछ दलों ने टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हुए वर्चुअल रैली तक आयोजित कर ली है तो कुछ दल लगातार अपने आप को टेक्नोफ्रेंडली बनाने में जुटी है. बिहार बीजेपी ने देश के गृह मंत्री अमित शाह की रैली वर्चुअल आयोजित की. वहीं बीजेपी लगातार अपनी मीटिंग और विधानसभा सम्मेलन वर्चुअल आयोजित कर रही है. जेडीयू भी अपने सोशल मीडिया की टीम को मजबूत करने में लगी है. हालांकि आरजेडी चुनाव का विरोध कर रही है फिर भी सोशल मीडिया के आंकड़ों के मुताबिक आरजेडी के सबसे ज्यादा फालोअर है. वहीं अंदरखाने सभी पार्टियां अपने आपको सोशल मीडिया पर मजबूत करने में लगी है।