बुरे फंसे रामदेव-दर्ज हुई एफआईआर- मुकदमे में गंभीर धाराएं
नई दिल्ली। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को अविज्ञान और कोरोना महामारी के दौरान दिवंगत हुए चिकित्सकों का भद्दा मजाक उड़ाने वाले बयानों को लेकर बाबा रामदेव के खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज कराई गई है। आईएमए की शिकायत पर जांच के बाद रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
दरअसल आईएमए की ओर से छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस को एक शिकायत की गई थी। जिसमें योग गुरू पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके विरूद्ध मुकदमा दर्ज किये जाने की मांग की गई थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल करते हुए छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की ओर से 13 मार्च 2020 को जारी की गई अधिसूचना का सहारा लिया। इस अधिसूचना में महामारी से संबंधित किसी भी तरह की भ्रामक सूचना, अफवाह और दावे को प्रतिबंधित किया गया था। रामदेव का बयान अधिसूचना के दायरे में आता है इसलिए बाबा रामदेव के खिलाफ आईपीसी की धारा 186, 188, 269, 270, 504, 505-ए और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51, 52 और 54 में मामला दर्ज किया गया है। आईएमए छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा है कि बाबा रामदेव की ओर से दिया जा रहे बयानों के बाद लोगों का चिकित्सकों से भरोसा उठ रहा है। भ्रामक जानकारियां देने की वजह से देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आईएमए ने कहा है कि बाबा रामदेव की ओर से कहीं जा रही बातें आईसीएमआर गाइडलाइन के भी खिलाफ है। डॉक्टर उसी पद्धति से इलाज कर रहे हैं जिस तरह से आईसीएमआर उन्हे गाइड कर रहा है। चिकित्सकों की ओर से अपनी शिकायत के साथ दो वीडियो लिंक भी पुलिस को दिए गए हैं। जिसमें बाबा रामदेव के वैक्सीनेशन को लेकर बयान थे। इनमें बाबा रामदेव एलोपैथी चिकित्सकों और मॉडर्न मेडिकल साइंस का भद्दा मजाक उड़ाते हुए नजर आ रहे थे। पुलिस को सौंपी गए वीडियो में बाबा रामदेव ने कोरोना वैक्सीनेशन अभियान पर भी सवाल उठाए थे।