अकंटक राज की कवायद

अकंटक राज की कवायद

बेंगलुरु। कर्नाटक में पिछले दिनों दो ताजा घटनाक्रम के चलते राजनीतिक तस्वीर बदलती दिख रही है। हाल ही में किसान आंदोलन के चलते भारत बंद बुलाया गया था। कर्नाटक में कुमारस्वामी ने पहले बंद का समर्थन किया और फिर एक दिन बाद ही उन्होंने यू टर्न ले लिया। इतना ही नहीं पिछले दिनों कर्नाटक विधानसभा में कृषि कानून में संसोधन को लेकर एक बिल पास किया गया था। इस बिल का भी जेडीएस ने समर्थन किया था। जेडीएस के इन दो कदमों से लोग हैरान हैं।

कर्नाटक में अब भाजपा के पैर जम चुके हैं। दक्षिण भारत का यही एक राज्य है जहां भाजपा सबसे ज्यादा मजबूत है। तीन बार सरकार बना चुकी है, मुख्यमंत्री भले ही दो बार बना है। इस बार भाजपा ने कांग्रेस और जेडीएस के पाले से सरकार छीनी है और बहुमत भी हासिल कर लिया है लेकिन अकंटक राज के लिए और कुछ करना जरूरी है। इसी की कवायद चल रही है। जेडीएस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी देवगौड़ा की सत्तालोलुप प्रवृत्ति से सभी परिचित हैं। इसी के चलते एक बार भाजपा ने कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार गिराकर कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया था। दूसरी बार कांग्रेस ने उसी फार्मूले को अपनाकर सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सरकार नहीं बनाने दी और सबसे कम विधायक होते हुए भी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बन गये। इस बार भी भाजपा ने गठबंधन सरकार गिरा दी। कुमारस्वामी को सत्ता की मलाई फिर याद आने लगी है और वे भाजपा के साथ जुड़ना चाहते हैं। इसीलिए कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं और उसे सरकार गिराने का दोषी बता रहे हैं। भाजपा भी चाहती है कि कुमारस्वामी की पार्टी भाजपा के साथ आ गयी तो बीएस येदियुरप्पा की कुर्सी के सामने कोई बाधा नहीं रहेगी। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा अब धृतराष्ट्र की स्थिति में हैं। वे अशक्त भी हैं और पुत्रमोह को भी नहीं त्याग पा रहे हैं इसलिए जेडीएस के नेता किसी वट वृक्ष की छाया तलाश रहे हैं। मौजूदा समय में भाजपा वट वृक्ष है।

कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। कहा जा रहा है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और उनकी पार्टी जनता दल सेक्युलर के विधायकों की निगाहें इन दिनों बीजेपी पर टिकी हैं। दरअसल राज्य में पिछले दिनों दो ताजा घटनाक्रम के चलते राजनीतिक तस्वीर बदलती दिख रही है। हाल ही में किसान आंदोलन के चलते भारत बंद बुलाया गया था। कर्नाटक में कुमारस्वामी ने पहले बंद का समर्थन किया और फिर एक दिन बाद ही उन्होंने यू टर्न ले लिया। इतना ही नहीं पिछले दिनों कर्नाटक विधानसभा में कृषि कानून में संशोधन को लेकर एक बिल पास किया गया था। इस बिल का भी जेडीएस ने समर्थन किया था। जेडीएस के इन दो कदमों से लोग हैरान हैं।

कुमारस्वामी को राजनीति में लोग यू-टर्न लेने के लिए जानते हैं। कहा जा रहा है कि वो अब बीजेपी के करीब जा रहे हैं। पूर्व सीएम और कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया पर लगातार हमले कर रहे हैं। पिछले साल जेडीएस-कांग्रेस की सरकार गिरने को लेकर उन्होंने सिद्धारमैया को जिम्मेदार ठहराया। इस बीच सिद्धारमैया ने कहा है कि गौड़ा के बेटे लीडर नहीं डीलर हैं। ज्यादातर जेडीएस के नेता चुप हैं। कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा भी चुप हैं सूत्रों के मुताबिक करीब एक दर्जन जेडीएस के नेता बीजेपी के संपर्क में हैं। अपनी पार्टी के रूख से ये सब नाराज हैं। पूर्व मंत्री और सीनियर विधायक एसआर श्रीनिवास भी राज्य में कांग्रेस के प्रमुख डी. शिवकुमार के संपर्क में हैं। सूत्रों का दावा है कि जेडीएस के अध्यक्ष और 6 बार के विधायक कुमारस्वामी भी बीजेपी के पाले में जाने की तैयारी में हैं। 224 सदस्यों वाले सदन में जेडीएस के करीब 34 विधायक हैं। जेडीएस के एक नेता ने कहा, जेडीएस का समर्थन आधार तेजी से खत्म हो रहा है। अभी तक भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। कई लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बच्चे पार्टी नहीं चला पाएंगे। देवेगौड़ा पहले से 87 वर्ष के हैं और सक्रिय नहीं हैं।

कर्नाटक विधान परिषद में 15 दिसम्बर को कांग्रेस के एमएलसी नेता ने गौरक्षा कानून के खिलाफ जमकर हंगामा किया। कांग्रेस नेता स्पीकर की कुर्सी तक पहुंच गए और स्पीकर को जबरन कुर्सी से उतार दिया। सदन के उपाध्यक्ष और जनता दल (सेक्युलर-जेडीएस) के नेता ने कांग्रेस के अध्यक्ष के. प्रतापचंद्र शेट्टी की कुर्सी पर कब्जा कर लिया। हालांकि, बीजेपी सदस्यों द्वारा पूर्व में पारित किए गए अविश्वास प्रस्ताव की आवश्यकता पर बहस जारी रही। इस दौरान कांग्रेस एमएलसी को जबरन उपाध्यक्ष को हटाते हुए देखा गया। इस घटना के बाद शेट्टी ने सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

इस हंगामे पर कांग्रेस एमएलसी प्रकाश राठौड़ ने कहा कि जब सदन की कार्यवाही नहीं चल रही थी, तब बीजेपी और जेडीएस ने अध्यक्ष को अवैधानिक तरीके से चेयरमैन को कुर्सी पर बिठा दिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी इस तरह के असंवैधानिक काम कर रही है। कांग्रेस ने उन्हें कुर्सी से नीचे उतरने को कहा। जब उन्होंने कुर्सी से उतरना स्वीकार नहीं किया, तब हमें वहां से बेदखल करना पड़ा क्योंकि यह अवैध था। कर्नाटक में बीजेपी की सरकार ने गौ रक्षा अधिनियम और मवेशी संरक्षण-विधेयक -2020 को पास कर दिया था। इस नये कानून के तहत राज्य में गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और तस्करी, अवैध परिवहन, गायों पर अत्याचार और गौहत्या करने वालों पर कड़ी सजा का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि विपक्ष इस बिल को लेकर लगातार बीजेपी पर निशाना साध रहा है। इस बिल को भारी हंगामें के बीच सदन में पास कराया गया था। कांग्रेस अब इस बिल को कानूनन चुनौती देने की बात कह रही है।

राज्य में पिछले दिनों दो ताजा घटनाक्रम के चलते राजनीतिक तस्वीर बदलती दिख रही है। हाल ही में किसान आंदोलन के चलते भारत बंद बुलाया गया था। कर्नाटक में कुमारस्वामी ने पहले बंद का समर्थन किया और फिर एक दिन बाद ही उन्होंने यू टर्न ले लिया। इतना ही नहीं पिछले दिनों कर्नाटक विधानसभा में कृषि कानून में संसोधन को लेकर एक बिल पास किया गया था। इस बिल का भी जेडीएस ने समर्थन किया था। जेडीएस के इन दो कदमों से लोग हैरान हैं। (हिफी)

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