धान खरीद घोटाले में 2 गिरफ्तार
बरेली। उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के नवाबगंज तहसील में धान की फर्जी खरीद के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। फर्जी अभिलेखों का सत्यापन करने वाले राजस्व कर्मियों और धान केंद्र प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।
पुलिस अधीक्षक देहात राजकमार अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि फर्जी अभिलेख लगाकर तौल कराने के मामले में दो आरोपियों को जेल भेजा गया है। शीघ्र ही अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा। किसानों से सीधे धान की खरीद के लिए खोले गए क्रय केंद्रों पर किसानों के धान की तौल के साथ बिचौलियों ने फर्जी तरीके से छह हजार क्विंटल धान की तौल करा दी। जिन किसानों के पास एक बीघा जमीन भी नहीं है, उनके नाम से कई-कई क्विंटल धान की खरीद होना दर्शायी गई।
नगर के एक युवक ने इसकी शिकायत की थी। जांच में मामला सही पाया गया बाद में क्षेत्रीय विपणन अधिकारी ज्ञानचंद्र वर्मा ने 74 लोगों के खिलाफ थाना नवाबगंज में धारा 406 के तहत 22 जून को धोखाधड़ी और आवश्यक खाद्य वस्तु अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज करायी थी । इस मामले में पुलिस ने मंगलवार को नबाबगंज के मोहल्ला गांधी टोला निवासी जगदीश राठौर और मोहम्मद जावेद गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार ने बताया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर हुई धान की फर्जी तौल का कहीं लेखा जोखा नहीं है। किसानों की खतौनियों को खुर्द बुर्द कर राजस्व कर्मियों से सांठगांठ करके सत्यापन करा लिया गया। बिचौलियों ने इन्हीं खतौनी पर छह हजार क्विंटल धान की खरीद करा दी। इस मामले की आंच कुछ अधिकारियों तक आ रही है। छह हजार क्विंटल धान खरीद के मामले में जब छानबीन हुई तो पता चला कि जिन 74 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है, उनमें से अधिकांश के पास तो जमीन ही नहीं है।
राजस्व कर्मियों ने जांच में इनके नाम जमीन दिखाकर उन्हें सही दिखा दिया। जिस अधिकारी के अधीन राजस्वकर्मियों को जांच करनी थी, वह खामोश रहे। अब पुलिस की जांच में पता चला है कि एक राइस मिलर और उसके दो साथियों ने इन फर्जी किसानों से चेक ले लिए थे। पकड़े गए फर्जी किसानों ने राइस मिलर का नाम पुलिस को बता दिया है। पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए और साक्ष्य इकट्ठे कर रही है।
उल्लेखनीय है कि धान खरीद के घोटाले में यूपीएसएस के चार, एसएफसी के तीन, फार्मर प्रो आर्गनाइजेशन के दो क्रय केंद्र शामिल हैं। जिन किसानों के नाम से धान की तौल हुई है, उनमें से अधिकांश के पास जमीन ही नहीं है। दो माह चली जांच के बाद 74 लोगों पर रिपोर्ट दर्ज हुई थी ।
वार्ता