कंगना रनौत के कार्यालय में तोड़फोड़ का मामला 22 सितंबर तक के लिए स्थगित

कंगना रनौत के कार्यालय में तोड़फोड़ का मामला 22 सितंबर तक के लिए स्थगित

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के कार्यालय में की गई तोड़फोड़ का मामला 22 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। बीएमसी ने इस संबंध में अपना जवाब दायर किया और कंगना के वकील ने हलफनामे पर जवाब देने के लिए समय मांगा है। गौरतलब है कि बीएमसी में शिवसेना का प्रभुत्व है। कंगना के खिलाफ आवासीय इलाके में कार्यालय खोलने की शिकायत 2018 से लंबित थी। हालांकि, बीएमसी के पास इस तरह की लगभग 94 हजार शिकायतें हैं, लेकिन जिस तरह उसने कंगना के कार्यालय को तोड़ने की कार्रवाई हुई है उस पर सवाल उठने लाजिमी हैं। उधर, कंगना ने इस बात से साफ इनकार किया है कि मंगलवार से पहले कभी उन्हें बीएमसी की ओर से कोई नोटिस मिली है। एएनआई के अनुसार, कंगना का कहना है कि बीएमसी 2018 के जिस नोटिस का हवाला दे रही है, वह फर्जी है।

इधर, कंगना रनौत के कार्यालय में तोड़फोड़ की कार्रवाई कई लोगों को रास नहीं आई है। उद्धव सरकार में शामिल राकांपा नेता शरद पवार ने कहा कि बीएमसी की कार्रवाई ने कंगना को अनावश्यक रूप से बोलने का मौका दे दिया है। मुंबई में और भी अवैध निर्माण हैं। यह देखने की जरूरत है कि अधिकारियों ने इसे ही गिराने का निर्णय क्यों लिया। पवार ने बुधवार देर शाम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ उनके आधिकारिक निवास वर्षा में मुलाकात की। समझा जा रहा है कि 50 मिनट की इस मुलाकात में कंगना प्रकरण पर गहन चर्चा हुई। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि इस मुलाकात में मराठा आरक्षण को लेकर भी बातचीत हुई। उधर, राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख के नागपुर स्थित कार्यालय में धमकी भरा फोन आने की जानकारी मिली है। एक पदाधिकारी के अनुसार, देशमुख को यह कथित धमकी मंगलवार को विधासभा में कंगना के खिलाफ बोलने के लिए दी गई है।

(हिफी न्यूज)

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