जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन
नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से गुरुवार को यहां जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' का आयोजन किया गया जिसमें अपनी मांगे पूरी होने तक आन्दोलन जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया गया।
किसान नेता योगेन्द्र यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार किसान विरोधी है और वह किसानों का अपमान करती है। उन्होंने कहा कि यह किसान संगठनों का आन्दोलन है जिनमें से कुछ राजनीतिक विचारधारा भी रखते हैं। ऐसा देश में पहली बार हुआ है जब वोटर ने ह्विप जारी किया है। उन्होंने कहा कि सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है। आन्दोलनकारी किसानों को सरकार यदि मुट्ठीभर समझती है तो उसकी निगरानी के लिए 30-40 हजार पुलिसकर्मियों को क्यों लगाया गया।
भारतीय किसान यूनियन के नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार खेती का काम कम्पनियों को सौपना चाहती है और इसी को ध्यान में रखकर नया कृषि कानून बनाया गया है। यूरोप और अमेरिका में यह प्रयोग विफल हो गया है और अब उसे देश में लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नये कानून सरकार ने गलती से नहीं बनाये हैं बल्कि इन्हें जानबूझ कर लाया गया है।
किसान नेता मंजीत सिंह राय ने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों के मौत का वारंट है जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
करीब 200 किसान जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जंतर-मंतर लाया गया जहां किसान संसद का आयोजन किया गया।
किसान संगठन पिछले सात माह से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। चालीस किसान संगठनों के साथ सरकार की 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इसमें कोई निर्णय नहीं हो सका है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज भी कहा कि सरकार किसानों के साथ खुले मन से बातचीत करना चाहती है। कानून के किसी हिस्से पर किसानों को कोई आपत्ति है तो सरकार उस पर विचार करने को तैयार है। किसान संगठन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
वार्ता