असम में कांग्रेस का गठबंधन

असम में कांग्रेस का गठबंधन
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लखनऊ। असम में इस समय बाढ़ और कोरोना वायरस जनता की असली समस्या है। बाढ़ की वजह से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, राज्य में अब हालात सुधर रहे हैं लेकिन तटबंधों के धंसने से लोगों को मुश्किल आ रही है। राज्य की 8 फीसदी जमीन पानी में जा चुकी है। असम के मोरीगांव जिले में 4.5 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। भारत में कोविड-19 के मामले भी बढ़ रहे हैं, हालांकि रिकवरी दर में सुधार हुआ है। असम भी इसके प्रभाव में है। इस तरह के माहौल में कांग्रेस वहां भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का महागठबंधन बनाना चाहती है। पहली बात तो कांग्रेस ने गलत समय चुना है और दूसरी बात यह कि कांग्रेस को युवा नेतृत्व नहीं मिल रहा है। तरुण गोगोई पर ही कांग्रेस फिर भरोसा कर रही है। राज्य में अगले साल अर्थात 2021में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसको ध्यान में रखते हुए धर्मानन्द सोनोवाल सरकार मौजूदा समस्याओं को हल करने को प्राथमिकता दे रही है। बाढ़ क्षेत्र में लोगों को बचाकर सुरक्षित जगह भेजा जा रहा है। इसके साथ ही कोरोना संकट के बीच सामंजस्य बनाते हुए अगले महीने से स्कूल भी खोले जाने की व्यवस्था की जा रही है। बाजार तो लगभग खुल ही गया है।

असम में विपक्षी कांग्रेस ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए महागठबंधन का आह्वान किया है। कांग्रेस ने गत 18अगस्त को आह्वान किया कि विधानसभा चुनाव में सर्वानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए एआईयूडीएफ सहित सभी गैर भाजपाई दलों को एक महागठबंधन बनाना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस संबंध में चर्चा करने के लिए राज्य कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक में निर्णय किया गया है।

यह पूछे जाने पर कि अगर गठबंधन चुनाव जीतता है तो क्या बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली एआईयूडीएफ को सरकार में शीर्ष पद मिलेगा, गोगोई ने कहा कि मुख्यमंत्री कांग्रेस से होगा। बाद में, बीजेपी नीत नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस के संयोजक हेमंत विश्वासरमा ने राज्य सचिवालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 2021 के विधानसभा चुनाव में तरुण गोगोई की कोई प्रासंगिकता नहीं रहेगी। श्री सरमा ने तीन बार मुख्यमंत्री रहे गोगोई पर हमला करते हुए कहा, 'ऐसे समय जब उन्हें (गोगोई) राम-कृष्ण का नाम भजना चाहिए, तब वह अजमल का नाम ले रहे हैं। उन्होंने कहा, 2021 के विधानसभा चुनाव में तरुण गोगोई की कोई प्रासंगिकता नहीं है। वह 90 साल के हैं और उन्हें ऐसी चुनौती देने से बचना चाहिए जिसका कोई अर्थ या प्रासंगिकता नहीं है।

सर्वानन्द सोनोवाल की सरकार के प्रति जनता में असंतोष तो है लेकिन भाजपा की तरह कांग्रेस को उसे भुनाना नहीं आता। लगभग एक महीना पहले जुलाई में किसानों के संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने अपने नेता अखिल गोगोई को रिहा करने और विवादित संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस लेने की मांग करते हुए समूचे असम में प्रदर्शन किया। संगठन के सदस्यों ने गुवाहाटी में निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया, जिस वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया। वहीं ,अन्य स्थानों पर उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में मानव श्रृंखला और कलाकृतियां बनाई। असम की राजधानी में केएमएसएस समर्थकों ने धारा-144 का उल्लंघन कर मानव श्रृंखला बनाई और नारेबाजी की तथा गोगोई की रिहाई और सीएए को वापस लेने की मांग की थी।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद गोगोई का गुवाहाटी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में इलाज चल रहा है। वह गुवाहाटी जेल में कैद रहने के दौरान संक्रमित हो गए। गोगोई पिछले साल सीएए के विरोध में हिंसक प्रदर्शन करने के मामले में जेल में हैं। केएमएसएस अध्यक्ष राजू बोरा ने कहा कि समूह ने18 अगस्त को सीएए के खिलाफ आंदोलन फिर से शुरू कर दिया है और कानून को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा, इस बार विरोध अधिक एकजुट और शक्तिशाली होगा । भाजपा सरकार अखिल गोगोई से डरती है इसलिए उन्हें जेल में रखा है। वह गोगोई को जेल में रखकर लोगों की आवाज दबाना चाहती है। जोरहट शहर में प्रदर्शन में कलाकार, छात्र, शिक्षाविद, वकील, पत्रकार और आम लोग शामिल हुए और गीत गाकर तथा कविता पाठ कर अपनी मांग रखी थीं। इसे जन समर्थन भी मिला था। कांग्रेस इसे अपने पक्ष मंे कहीं कर पायी।

सोनोवाल सरकार इन सब चीजों पर नजर रखते हुए कोरोना काल में भी जान और जहान की चिंता कर रही है। असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि राज्य में कुछ स्कूल और शैक्षणिक संस्थान 1 सितंबर से खोले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि असम सरकार शैक्षणिक संस्थानों को खोलने की एक क्रमिक योजना बना रही है। सरमा ने गुवाहाटी के जनता भवन में एक बातचीत के दौरान संवाददाताओं से कहा, हम 1 सितंबर से स्कूल खोलने की योजना बना रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार से परामर्श के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कक्षा 4 तक या नौ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को छूट दी जाएगी। छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का अनिवार्य कोविड-19 टेस्ट 23 से 30 अगस्त तक किया जाएगा। सरमा ने कहा, केवल शिक्षक जो टेस्ट में नेगेटिव पाए जाएंगे, उन्हें ही आने के लिए कहा जाएगा। राज्य में कई शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारी फिलहाल कोविड-19 से जुड़ी विभिन्न जिम्मेदारियों का पालन कर रहे हैं क्योंकि शिक्षण संस्थान मार्च से बंद हैं। मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार 355 स्कूलों अर्थात 197 हाई स्कूलों, नौ प्राथमिक स्कूलों और 149 जूनियर कॉलेजों की सूची जारी करेगी। सरमा ने कहा, राज्य सरकार 119 नए हाई स्कूल खोलेगी और कम से कम 240 शिक्षकों और 80 ग्रेड 4 के कर्मचारियों को रोजगार प्रदान करेगी।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले से ही ऐतिहासिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों के अनुरूप काम कर रही है। सरमा ने अगले साल जनवरी तक सिफारिशों को लागू करने का खाका तैयार करने के लिए राज्य के प्रधान सचिव के नेतृत्व में 40 सदस्यीय समिति की घोषणा की। सरमा ने कहा, अगले सप्ताह तक गठित होने वाली समिति को आगे उन समूहों में विभाजित किया जाएगा जो सिफारिशों के विभिन्न पहलुओं को देखेंगे। वह कहते हैं कि 25,000 से अधिक गांवों में शैक्षिक बुनियादी ढांचे में सुधार चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन मुझे उम्मीद है कि अगले साल जनवरी तक एक खाका बन जाएगा। कांग्रेस महागठबंधन बनाने से पहले यदि जनता से सीधे जुडने का प्रयास करे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। सत्ता से अलग होने के बाद अब कांग्रेस के पास कितने कार्यकर्ता बचे हैं, इसका हिसाब लगा ले। घटक दल बरगद के नीचे ही इकट्ठे होते हैं। कांग्रेस को वटवृक्ष बनना होगा।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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