कोरोना में भी वोट की राजनीति

कोरोना में भी वोट की राजनीति

लखनऊ। इसे ममता बनर्जी की मजबूरी भी कह सकते हैं और सियासत भी कि उन्हें कोरोना में भी राजनीति करनी पड़ रही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को अपनी सरकार के लिए भाजपा ही खतरा नजर आ रही है। इसलिए उन्हें कहीं न कहीं तुष्टीकरण का हथकंडा अपनाना पड़ता है। कोरानेा वायरस ने देश के अन्य राज्यों की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी अपना विकराल रूप दिखाना शुरू किया है लेकिन मृत्यु दर कम होने और ईलाज से स्वस्थ होने की संख्या ज्यादा बढ़ने से ममता बनर्जी को लाॅकडाउन में ढील देने का मौका मिल गया। उन्होंने कुछ ऐसा समीकरण बनाया कि उनका प्रमुख वोट बैंक भी खुश रहे और लाॅकडाउन में ढिलाई का बहाना भी मिल जाए। इसी महीने की 29 तारीख को मोहर्रम मनाया जाएगा। इस बार कोरोना के चलते सभी त्योहार फीके रहे हैं। बंगाल में तो दुर्गा पूजा और दशहरा ही एकमात्र प्रमुख पर्व होता है। उसके लिए भी रास्ता खोला जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अगस्त माह के अंतिम दो दिन गुरुवार और शुक्रवार (27 और 28 अगस्त) को तो सम्पूर्ण लाॅकडाउन रखा है लेकिन 29 और 30 अगस्त को लाॅकडाउन से छूट दे दी है। राज्य में पांच दिन का सम्पूर्ण लाॅकडाउन रखना है, इस हिसाब से 31 अगस्त को भी सम्पूर्ण लाॅकडाउन कर दिया गया है। ममता बनर्जी कहती हैं कि 27 व 28 अगस्त को सम्पूर्ण लाॅकडाउन की वजह से कारोबार ठप रहेगा। इसलिए 29 और 30 अगस्त को छूट रहेगी। यह बात अलग है कि इसी बीच मोहर्रम भी मना लिया जाएगा।

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में संपूर्ण लॉकडाउन के लिए पूर्व घोषित तिथियों में तीन हफ्ते के अंदर छठवीं बार बदलाव किया है। ममता बनर्जी सरकार ने 28 अगस्त को लॉकडाउन का फैसला वापस ले लिया है। सरकार की ओर से इसके पीछे 29 अगस्त को शनिवार और 30 अगस्त को रविवार होने की वजह से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होने की आशंका को वजह बताया गया है।

सरकार के मुताबिक कई इलाकों से 28 अगस्त को लॉकडाउन की मांग लगातार आ रही थी। वहीं, सरकार के इस फैसले को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तुष्टिकरण बताया है। विपक्षी भाजपा के नेता राहुल सिन्हा ने ममता बनर्जी के प्रशासन को अक्षम करार दिया और कहा कि यह सरकार पूरी तरह अक्षम है। लॉकडाउन के लिए भी तारीख छह बार संशोधित करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब यह खामी पाई है कि बैंकिंग सेवाएं बाधित होंगी। सिन्हा ने सवाल करते हुए कहा कि सरकार ने लॉकडाउन के लिए तिथियों का ऐलान करने के पहले ही इस पर विचार क्यों नहीं किया? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि तारीख में बदलाव का असली कारण 29 अगस्त को मुहर्रम का होना है। उन्होंने कहा कि 29 अगस्त को मुहर्रम है, ऐसे में इससे ठीक एक दिन पहले सरकार लॉकडाउन नहीं करना चाहती। राहुल कहते कि सरकार ने पहली बार 2, 5, 8, 9, 16, 17, 23, 24 और 31 अगस्त को संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया था। दूसरी बार 2 और 9 अगस्त को त्योहारों के कारण लॉकडाउन वापस ले लिया गया। तीसरी बार 5, 8, 9, 16, 17, 23, 29 और 31 अगस्त को लॉकडाउन का ऐलान किया गया। चैथी बार यह घोषणा की गई कि 29 अगस्त की बजाय अब 24 अगस्त को लॉकडाउन लागू किया जाएगा। अन्य तिथियां वही रहेंगी।सिन्हा ने कहा कि महामारी के समय भी सरकार सांप्रदायिकता की राजनीति करने में जुटी है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में लागू लॉकडाउन में इस बार एक दिन कम किया गया है। यह पांचवी बार है जब ममता सरकार ने लॉकडाउन में परिवर्तन किया है। ममता के इस फैसले पर कांग्रेस ने कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस तरह बदलाव के फैसले लेने से पहले विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए। वहीं बीजेपी ने आरोप लगाया है कि ममता ने यह फैसला राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कहा कि 28 जून को शुक्रवार है और ममता ने एक खास समुदाय को ध्यान में रखते हुए इस दिन से लॉकडाउन हटा लिया है। राज्य में अब 28 अगस्त को संपूर्ण लॉकडाउन नहीं होगा। मुख्य सचिव राजीव सिन्हा की ओर से बुधवार को एक आदेश जारी किया गया। इस आदेश में कहा गया है कि लॉकडाउन वापस लेने का फैसला कई जगह से आग्रह के बाद लिया गया। इन आग्रहों में महीने के अंतिम सप्ताह में दो दिन गुरुवार और शुक्रवार (27 और 28 अगस्त) को पूर्ण लॉकडाउन नहीं होगा। इसके बाद 31 अगस्त (सोमवार) को फिर संपूर्ण लॉकडाउन होना है।

आदेश में 27 और 28 अगस्त को संपूर्ण लॉकडाउन की वजह से कारोबारी और बैंकिंग कामकाज में मुश्किल आने की बात कही गई है। सरकार के पूर्व के आदेश के अनुसार इन तीन दिनों में संपूर्ण लॉकडाउन होना था। राज्य में पूर्व के आदेश के अनुसार इस महीने पांच दिन का संपूर्ण लॉकडाउन होना था, जो अब चार दिन होगा। आदेश में कहा गया कि इस महीने संपूर्ण लॉकडान की तारीख अब 20, 21, 27 और 31 अगस्त होंगी। इस महीने के शुरू में पांच और आठ अगस्त को संपूर्ण लॉकडाउन रहा था।

इस प्रकार आलोचना तो होनी ही है। कांग्रेस नेता अधीर चैधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लॉकडाउन की तारीखें घोषित करने से पहले डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए। इस तरह के लॉकडाउन की घोषणा और तारीखों में बदलाव से उद्देश्य पूरा नहीं होता। सीपीआई एम के नेता सुजान चक्र ने कहा लॉकडाउन एक गंभीर मामला है। कोरोना वायरस को रोकने के लिए इसे लगाना चाहिए लेकिन सरकार ने इसका मजाक बनाकर रख गया है।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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