मनोज सिन्हा को कश्मीर की कमान

मनोज सिन्हा को कश्मीर की कमान

लखनऊ। आज से तीन साल पहले उत्तर प्रदेश में जब भाजपा को सरकार बनाने का पूर्ण बहुमत से मौका मिला, तब मुख्यमंत्री पद के लिए पूर्वांचल के सांसद मनोज सिन्हा का नाम लगभग तय हो चुका था लेकिन उस समय के राजनीतिक समीकरण को देखते हुए गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। अब मनोज सिन्हा को कहीं ज्यादा गुरुतर दायित्व सौंपा गया है। उन्हें जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया गया है। जम्मू कश्मीर में ठीक एक साल पहले अर्थात् 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करके राज्य का विभाजन भी किया गया था। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केन्द्रशासित राज्य बनाया गया। जम्मू-कश्मीर में दिल्ली की तरह विधानसभा भी बरकरार है जबकि लद्दाख को चंडीगढ़ की तरह केन्द्रशासित प्रदेश बनाया गया। अनुच्छेद 370 को हटाये हुए एक साल बीता और वहां के उपराज्यपाल गिरीश चन्द्र मुर्मू (जीसी मुर्मू) ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि उनके इस्तीफे के पीछे क्या कारण रहे, यह नहीं स्पष्ट हुआ लेकिन हाल में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने जो बयान दिया था, उससे चुनाव आयोग ने अपने को अपमानित महसूस किया था। दूसरा कारण यह भी बताया जाता है कि राज्य में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने लगी थीं। अभी कुछ दिन पहले ही भाजपा के पंच आरिफ अहमद पर हमला किया गया था। इससे पूर्व 8 जून को आतंकियों ने कश्मीरी पंडित सरपंच और कांग्रेस सदस्य अजय पंडिता की उनके गांव में ही हत्या कर दी थी। अब भाजपा सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी है। केन्द्रशासित प्रदेश होने के नाते अब कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। इसीलिए संभवतः मुर्मू को इस्तीफा देना पड़ा है और मनोज सिन्हा के हाथ में जम्मू- कश्मीर की कमान सौंपी गयी है।

जम्मू-कश्मीर जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र के लिए मनोज सिन्हा को इसलिए चुना गया है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से एक राजनीतिक गैप है, उसे भरने के लिए एक राजनेता की नियुक्ति की जरूरत थी। पिछले एक साल से राज्य से ऐसा फीडबैक भी मिल रहा था। मनोज सिन्हा की छवि सौम्य भाषा में बोलने वाले नेता की रही है, यानी वह मीडिया में बयानबाजी नहीं करते। कई बार सरकार के लिए जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक के बयान चिंता के विषय बने थे। जी सी मुर्मू से भी वही गलती हो गयी। उपराज्यपाल रहे जीसी मुर्मू और चीफ सेक्रेटरी के बीच कई मुद्दों को लेकर तनाव की खबरें भी थीं। ऐसे में बदलाव भी किया गया है। मनोज सिन्हा केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं और उनका कामकाज का तरीका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह को अच्छा लगा, यही कारण है कि उनपर भरोसा जताया गया है।

अनुच्छेद 370 को हटे एक साल हो गया है, ऐसे में राज्य में अब राजनीतिक हालात को सुधारने पर बल दिया जा रहा है। ऐसे में मनोज सिन्हा इस स्थान के लिए इसलिए भी सही माने गए क्योंकि उनका विवादों से काफी कम ही नाता रहा है। दूसरी ओर अब जीसी मुर्मू को दिल्ली लाया जा रहा है। अगस्त में कैग प्रमुख के पद से राजीव महर्षि रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में उनकी जगह जीसी मुर्मू को मिल सकती है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता मनोज सिन्हा अब जम्मू और कश्मीर के नए उपराज्यपाल होंगे। अनुच्छेद 370 की पहली वर्षगांठ मनाकर गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अब 6 अगस्त की सुबह राष्ट्रपति भवन की ओर से मनोज सिन्हा की नियुक्ति का ऐलान किया गया है। ध्यान रहे 5 अगस्त को ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे एक साल पूरा हुआ है, इसी बीच अचानक जीसी मुर्मू के इस्तीफे की खबर आई थी। मुर्मू का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है।

अब जब मनोज सिन्हा को नए एलजी की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो मतलब साफ है कि एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के उच्चस्थ पद पर राजनीतिक एंट्री हुई है। इससे पहले जब जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य था तब सत्यपाल मलिक यहां के राज्यपाल थे, लेकिन जब केंद्रशासित प्रदेश बना तो प्रशासनिक अधिकारी जीसी मुर्मू को भेजा गया। जीसी मुर्मू की गिनती भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास अधिकारियों में होती रही है। मनोज सिन्हा पूर्व में गाजीपुर से सांसद रहे हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बड़े चेहरे हैं। हालांकि, 2019 का लोकसभा चुनाव वो हार गए थे, जिसे एक बड़ा झटका माना गया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मनोज सिन्हा मंत्री रह चुके हैं और उनके पास रेलवे के राज्यमंत्री और संचार राज्यमंत्री का कार्यभार था।

उत्तर प्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली थी, तब मनोज सिन्हा ही मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे। वो दिल्ली से वाराणसी पूजा करने पहुंच गए थे और उम्मीद में थे कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन पार्टी की ओर से योगी आदित्यनाथ को आगे किया गया। मनोज सिन्हा की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद नेताओं में होती है। ऐसे में अब एक बार फिर केंद्र सरकार की ओर से मनोज सिन्हा को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 गत वर्ष 5 अगस्त ही के दिन हटाया गया था। साल 2019 में 5 अगस्त को ही गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पेश किया था। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का एक साल पूरा हो गया है। गृह मंत्रालय ने इस एक साल को विकास का एक साल बताया है। गृह मंत्रालय ने एक साल की उपलब्धियां गिनाई हैं। गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि लागू किया गया निवास का कानून जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के स्थानीय नागरिकों के हितों की रक्षा करता है। सरकारी भर्तियों के लिए बेसिक योग्यता को देखते हुए निवास प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं।

गृह मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया है कि सभी पीआरसी धारक निवास प्रमाण पत्र के लिए स्वतः योग्य हैं। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि वर्षों बाद पंचायत चुनाव कराए गए। ये चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण संपन्न कराए गए। बहिष्कार के तमाम आह्वान और आतंकी धमकियों के बावजूद इन चुनावों में 74.1 फीसदी मतदान हुआ। यह लोकतंत्र की जीत है। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने लद्दाख की भी चर्चा की है। गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि लद्दाख में कृषि और बागवानी पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके लिए मिशन ऑर्गेनिक डेवलपमेंट इनिशिएटिव की शुरुआत की गई। इसके लिए 500 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। साल 2025 तक लद्दाख को एक ऑर्गेनिक क्षेत्र में तब्दील करने का लक्ष्य रखा गया है।

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का एक साल पूरा होने पर श्रीनगर में कर्फ्यू लगाया गया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले ही फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। जम्मू कश्मीर में मोबाइल, टेलीफोन और इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई थी। धीरे-धीरे पाबंदियां हटा ली गयीं, लेकिन आतंकवाद की वारदातें बढ़ने लगी हैं। भाजपा के सरपंच की हत्या इसकी ताजी कड़ी है।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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