पंजाब में अवैध खनन बदस्तूर जारी
चंडीगढ़। बेशक पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार लाख दावे करे कि राज्य में खड्डों एवं नदियों की रेत-बजरी निकालने के लिए नीलामी कर दिए जाने के बाद अवैध खनन बंद हो गया है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। पंजाब में खासकर हिमाचल के साथ लगते सीमावर्ती इलाकों में अवैध खनन का खेल पहले की तरह बदस्तूर जारी है। प्रतिदिन गैरकानूनी और अवैधानिक तरीके से हजारों टन रेत मशीनों की मदद से निकालकर खनन माफिया न सिर्फ सरकारी खजाने को चूना लगा रहे हैं, बल्कि पर्यावरण से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। पिछले दिनों पंजाब में रूपनगर से लेकर फिरोजपुर, पठानकोट से अवैध खनन अखबारों की सुर्खियां बनी और सत्ताधारी दल के विधायक-नेता भी इस पर सवाल उठा चुके हैं। वहीं पिछले महीने 20 जून को पंजाब सरकार ने अवैध रेत खनन रोकने के लिए अपने एक आदेश में कहा था कि राज्य सरकार के 40 टीचर कपूरथला जिले के फगवाड़ा में रात 9 बजे से 1 बजे के बीच अवैध रेत खनन को रोकने के लिए प्रमुख चेकपोस्ट्स पर पहरा देंगे। इसके बाद उन्हें विपक्षी दलों की आलोचना भी झेलनी पड़ी थी। शिरोमणि अकाली दल ने विरोध करते हुए इसे बहुत ही शर्मनाक बताया था। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के इस आदेश का नतीजा क्या होगा, यह तो समय बताएगा।
पंजाब में अवैध खनन का यह सारा खेल कुछ राजनीतिज्ञों और उच्च अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 9 जुलाई को पंजाब के पूर्व डीजीपी परमदीप सिंह गिल समेत 45 लोगों पर अवैध खनन का केस दर्ज किया गया है। जिला खनन अधिकारी की शिकायत पर दर्ज इस मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। जानकारी के मुताबिक, सैनी माजरा में अवैध खनन की शिकायत जिला खनन अधिकारी ने 2019 में की थी। पूरी जांच पड़ताल के बाद अब इसमें केस दर्ज किया गया है। इससे पहले पुलिस और खनन विभाग में लंबा पत्राचार चला। खनन विभाग ने पूरा रिकॉर्ड पुलिस को मुहैया कराया। इसके बाद यह कार्रवाई हो सकी। वहीं, जिला प्रशासन ने एसडीएम खरड़ की अगुवाई में एक कमेटी गठित की थी, जिसने 23 अप्रैल, 2019 को सैनी माजरा का दौरा कर अपनी रिपोर्ट में अवैध खनन की पुष्टि की थी। जिस जमीन पर खनन हुआ, वह पीएस गिल समेत अन्य किसानों की है। माजरी थाने के एसएचओ हिम्मत सिंह ने बताया कि यह केस उनके थाने में दर्ज हुआ है लेकिन परमदीप सिंह गिल पूर्व डीजीपी हैं, इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। क्योंकि एफआईआर में उनका पद नहीं लिखा है। सिर्फ नाम है। पिछले साल खनन विभाग ने अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। इस दौरान करीब 193 किसानों पर 52 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। इसमें मियांपुर चंगल, कुब्बाहेड़ी और अभिपुर के किसान शामिल थे। फिलहाल यह केस डीसी के पास लंबित है। हालांकि विभाग की तरफ से गठित स्पेशल टीमें जांच में जुटी हैं। परमदीप की बात करें तो परमदीप सिंह गिल 1974 बैच के जम्मू-कश्मीर कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। अकाली दल-बीजेपी की गठबंधन सरकार में 2009 में उन्हें पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया गया था और वह 2011 में रिटायर्ड हुए थे। 2012 में उन्होंने मोगा से अकाली दल से विधानसभा चुनाव भी लड़ा।
पंजाब में अभी भी बड़े स्तर पर अवैध खनन का खेल चल रहा है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार आने के बाद व उसके पहले की सरकार के समय से अवैध खनन का खेल खेला जा रहा है। आये दिन समाचार पत्रों में अवैध खनन को लेकर समाचार भी प्रकाशित होते रहते हैं। दिनभर मुख्य मार्ग पर रेत और मिट्टी से भरी ट्रैक्टर ट्रॉलियां और टिप्पर गुजरते रहते हैं, पर इन्हें कोई्र भी रोकने वाला नहीं है। बाड़ियां कलां में लंबे अरसे से अवैध माइनिंग हो रही है। रेत खनन के लिए बाबे के बाग का साथ लगते इलाके में तो बुरे हाल हैं। यहां पर माफिया ने खड्डों का सीना छलनी कर इन्हें 10 से 12 फीट तक गहरा कर दिया है। इसके अलावा खनन माफिया ने माइनिग के चक्कर में चोअ के बांध को भी नहीं छोड़ा और यहां पर भी करीब 20 फीट तक गहरे गड्ढे पड़ गए हैं। इसके अलावा हल्लूवाल, जंडियाला, चंबला खुर्द और मुखोमजारा में भी रेत का अवैध खनन जोरों से जारी है। यहां से हर रोज शहर से गुजरकर कई ट्रैक्टर ट्रॉली चालक रेत की सप्लाई कर रहे हैं। यह माफिया खनन कर विभाग को मिलने वाले राजस्व को भी चूना लग रहा है। ताजेवाल, राजनी माता, बाहोवाल, नमोलिया, बाड़ियां कलां, जांगनीवाल, मरूले, मुखोमजारा व मक्खनगढ़ गांवो की खड्डों को भी खनन माफिया ने छलनी कर दिया है।
यह कोई ढकी-छिपी बात नहीं है कि बिना अधिकारी और स्थानीय पुलिस की मदद के अवैध खनन करना संभव है। सभी जानते हैं कि अवैध खनन का कारोबार रात के 11 बजे से सुबह तक चलता है। इस दौरान न तो कोई नाका लगाया जाता है और यदि लगाया भी जाता है, तो वहां से मिलीभगत से वाहन गुजरते हैं। जब कभी कोई कार्रवाई होती है, तो खनन माफिया अपने सियासी आकाओं से कहकर वाहनों को छुड़वा लेते हैं। खनन माफिया के लोगों की पहुंच उच्च स्तर पर होती है, इस कारण वह स्थानीय स्तर के अधिकारियों की पकड़ से बाहर ही होते हैं। अगर स्थानीय स्तर पर कोई छोटा कर्मचारी या अधिकारी छापा मारता है तो माफिया उन पर हमला तक कर देता है और अपराधियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती और अवैध खनन का खेल जारी रहता है।
जान-माल की हानि को देखते हुए कम से कम प्रशासन को तो अवैध खनन माफिया के विरुद्ध अभियान छेडना चाहिए। अवैध खनन के मामले में संलिप्त बड़े नामदारों के नामों को चाहे वह राजनीति में हो या उच्च सरकारी पदों पर हो उनको तो जगजाहिर करना चाहिए। अवैध खनन केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भी खेला जा रहा है। पंजाब के साथ लगते हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों से तथा दरियाओं से आये दिन खनन माफिया अपने अवैध खनन के कारण समाचार पत्रों की सुर्खियों में होता है। आर्थिक लाभ तथा स्वार्थपूर्ति के कारण प्रकृति से जारी उपरोक्त छेड़छाड़ के परिणाम सारे समाज को भुगतने पड़ रहे हैं। केवल वर्तमान ही नहीं हमारा भविष्य भी अवैध खनन के कारण प्रभावित हो रहा है।
पेड़ों की कटाई और अवैध खनन की पूर्ति जल्द तो हो नहीं सकती लेकिन अवैध खनन और वृक्षों की कटाई पर रोक लगाकर कम से कम अपनी भावी पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। अवैध खनन के कारण दरियाओं के रास्ते बदल रहे हैं और वृक्षों की अवैध कटाई के कारण दरियाओं के किनारे कमजोर हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप बरसात के दिनों में आने वाली बाढ़ से हजारों लोगों को घर से बेघर होना पड़ता है। सरकार व समाज दोनों को प्रकृति के साथ हो रही छेड़छाड़ के विरुद्ध सतर्क हो एक बड़े अभियान को शुरू करना होगा। ऐसा करने में अगर सरकार व समाज दोनों उदासीन रहते हैं तो यह अपनी भावी पीढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही होगा। भावी पीढ़ी की नजर में हम दोषी ही होंगे। समय रहते हमें अवैध खनन को हर स्तर पर रोकने की आवश्यकता है, इसी में हम सब की भलाई है। (केशव कान्त कटारा-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)