केसी आर की सनक का शिकार एक भवन
लखनऊ। दक्षिण भारत का शहर हैदराबाद अपने में पुराना इतिहास समेटे हुए है। यह शहर भारत के तकनीकी ज्ञान में भी अव्वल रहा है। हैदराबाद अविभाजित आंध्र प्रदेश की राजधानी था लेकिन अब इसे नए राज्य तेलंगाना की राजधानी कहा जाता है। सूचना तकनीक का हब माने जाने वाले इस शहर से ही गत 7 जुलाई को कोरोना महामारी के वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हुआ है। इसी दिन इस शहर की एक ऐतिहासिक इमारत के ध्वस्तीकरण का कार्य भी शुरू हुआ। यह ध्वस्तीकरण इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उस बिल्डिंग में वास्तु दोष बताया जाता है। यह बिल्डिंग है हैदराबाद का विधान भवन। हालांकि यहां से बड़े-बड़े राजनीतिक फैसले हुए हैं। दक्कन के पठार पर मूसी नदी के तट पर स्थित हैदराबाद भारत में छठा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। यहां की आबादी 6.9 मिलियन है और 625 वर्ग किमी. क्षेत्र में यह शहर बसा है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार इस शहर की स्थापना मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने की थी। देश को आजादी मिलने के बाद आंध्र प्रदेश की राजधानी के रूप में हैदराबाद ने बहुत तरक्की की। तेलंगाना के अलग राज्य बनने के बाद हैदराबाद को लेकर दोनों राज्यों में झगड़ा भी हुआ था लेकिन हैदराबाद तेलंगाना को मिला। मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव को अब यहां के विधानभवन में वास्तु दोष नजर आता है। उन्होंने अपनी सरकार के पहले कार्यकाल में ही बेगम पेट के अपने महल जैसे घर में कार्यालय बनाकर सरकार चलायी थी।
तेलंगाना हाईकोर्ट की ओर से नया सचिवालय परिसर बनाने की अनुमति मिलने के कुछ ही दिनों बाद राज्य सरकार ने हैदराबाद में पुराने सचिवालय भवन परिसर को ढहाने का काम शुरू कर दिया है। पिछले साल 27 जून को मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने नए प्रशासनिक भवन परिसर की आधारशिला रखी थी। इस नए भवन निर्माण में सरकारी खजाने से 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मौजूदा भवन को ढहाने के बाद लगभग पांच से छह लाख स्क्वॉयर फुट में नया परिसर बनाया जाएगा। इससे पहले सीएम चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने वास्तु के हिसाब से बाइसन पोलो ग्राउंड में सचिवालय परिसर के निर्माण की योजना बनाई थी, जो कि रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है। केसीआर वास्तुशास्त्र ज्योतिष पर काफी दृढ़ता से भरोसा करते हैं। उन्हें बताया गया था कि पुराने सचिवालय भवन में वास्तु-दोष है इसके बाद बतौर मुख्यमंत्री वे पुराने सचिवालय कुछ ही बार गए हैं।
मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान केसीआर ने बेगमपेट में अपने महलनुमा बंगले को ही कार्यालय बनाया और वहीं से सरकार चलाने का विकल्प चुना था। हालांकि, वास्तु के अनुकूल एक नया सचिवालय भवन बनाने के लिए वे लगातार प्रयासरत रहे। यहां तक कि केसीआर ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए एर्रागड्डा में स्थित एक टीबी और चेस्ट हॉस्पिटल को खाली कराने पर भी विचार किया था। ये अस्पताल फिलहाल कोविड केयर सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, समाज की ओर से आलोचना झेलने के बाद सरकार पीछे हट गई थी। बाद में केसीआर ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए ऐतिहासिक बाइसन पोलो ग्राउंड को चुना, लेकिन पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई बैठकों का कोई परिणाम नहीं निकला। जब केसीआर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार सत्ता में लौटे तो उन्होंने पुराने सचिवालय की जगह ही एक नई शानदार इमारत बनाने का फैसला किया। पुराने सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय सहित लगभग हर विभाग के कार्यालय हैं और कुछ आवास भी हैं। यह 25.5 एकड़ में फैला हुआ है। यह भवन ऐतिहासिक रूप से निजाम के शासनकाल से लेकर एनटी रामाराव और वाईएस राजशेखर रेड्डी जैसे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल का गवाह रह चुका है।
पुराने सचिवालय भवन को ढहाकर नया भवन बनाने का विचार भाजपा और अन्य विपक्षी दलों को रास नहीं आया। विपक्षी दलों ने मौजूदा संरचनाओं को ध्वस्त करके नए सचिवालय भवन के निर्माण का विरोध किया है। गत 7 जुलाई को शुरू की गई भवन ढहाने की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तेलंगाना भाजपा के मुख्य प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी वैश्विक महामारी संकट के बीच केसीआर की झूठी प्रतिष्ठा के लिए पुराने सचिवालय भवन को ढहाने का विरोध करती है।
उन्होंने कहा, जब देश भर के मुख्यमंत्री कोरोना वायरस रोगियों को सुविधा देने के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण में व्यस्त हैं, दुर्भाग्यवश तेलंगाना के मुख्यमंत्री मौजूदा बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करने में व्यस्त हैं। इस भवन को आसानी से हजारों रोगियों के लिए बड़े पैमाने पर सुविधा केंद्र में बदला जा सकता है। विपक्षी दल ने राज्य सरकार को याद दिलाया कि कैसे तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस केसेज के साथ राज्य गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में फंसा है।
भाजपा के रामचंद्र राव ने कहा, तेलंगाना अब कोरोना संक्रमण दर के मामले में दूसरे स्थान पर है, जबकि सबसे कम टेस्ट करने के मामले में पहले स्थान पर है। सीएम केसीआर इन चिंताजनक आंकड़ों से शायद ही चिंतित हैं। भाजपा का मानना है कि पुराने सचिवालय भवन परिसर को आसानी से 20,000 बिस्तर वाले सुविधा केंद्र में परिवर्तित किया जा सकता था। सरकार पर हमला बोलते हुए पार्टी ने कहा कि सीएम केसीआर ने एक बार फिर से साबित किया है कि वे गंभीर स्वास्थ्य संकट में फंसी जनता की सेवा करने के लिए एक अक्षम और असमर्थ सीएम हैं।
तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता एम कृषंक ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट से भवन ध्वस्त करने की अनुमति मिलने के बाद ही काम शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि यह भाजपा का पाखंड और निम्न स्तर की राजनीति है। क्या भाजपा को नहीं दिखता कि केंद्र सरकार 20,000 करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ रही है? तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से जनता तो संतुष्ट नहीं है।
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)