उप चुनाव में तीन रसूखदार फैमली की कौन और क्यों ले रहा है फिरकी - पढ़िए
मुज़फ्फर नगर। आमिर खान की एक फिल्म आई थी पीके जिसमें वह डायलॉग मारते हैं कि कोनो कोई फिरकी ले रहा है। ऐसी ही फिरकी मुजफ्फरनगर के तीन प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवारों के साथ कई पार्टियों का आलाकमान भी ले रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनावी मैदान से दूर रखे गए इन तीनों सियासी फैमली की अब मीरापुर के विधानसभा उपचुनाव में भी कोनो फिरकी ले रहा है। टिकट का भरोसा मिल जाता है और फिर राजनीतिक दल के मुखिया बदल जा रहे हैं। क्या होगा इन तीनों राजनीतिक परिवारों के उन नेताओं का जो कभी लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा और विधान परिषद मे जिनकी तूती चहकती थी लेकिन अब उनको चुनावी रण में अछूत मान लिया गया है।
वैसे तो सहारनपुर मंडल की अगर बात करें तो 7 प्रतिष्ठित राजनीतिक मुस्लिम परिवार ऐसे हैं जिनकी राजनीति में हमेशा धमक रही। जहां तक सहारनपुर की बात है रशीद मसूद परिवार लंबे अरसे से सियासत में है और वर्तमान में इमरान मसूद भी सहारनपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। इसके साथ ही शामली जिले के मुनव्वर हसन परिवार में नाहिद हसन जहां तीसरी बार विधायक हैं वही 2024 के लोकसभा चुनाव में मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन कैराना लोकसभा सीट से सांसद बन चुकी हैं।
इसके साथ ही शामली के एक और प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार के अशरफ अली खान भी 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद के टिकट पर विधायक चुन लिए गए थे। सहारनपुर मंडल के दो जिलों में तो मुस्लिम राजनीतिक परिवारों की धमक बरकरार है लेकिन मुजफ्फरनगर जिले के तीन राजनीतिक परिवारों को हाशिए पर धकेल दिया गया है। हद तो यह है कि सभी राजनीतिक दल उन्हें भरोसा तो देते हैं लेकिन बाद में चुनाव आते-आते उनसे मुंह मोड़ लिया जाता है यह तीनों राजनीतिक परिवार है कांग्रेस के सईदुज्जमा परिवार, राणा कुनबा और आलम फैमली। 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सांसद अमीर आलम खान अपने बेटे नवाजिश आलम खान के लिए राष्ट्रीय लोकदल से टिकट मांगते रहे लेकिन उनके हिस्से में आखिर तक मायूसी ही आती गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी अमीर आलम ने कैराना लोकसभा सीट पर अपने बेटे पूर्व विधायक नवाजिश आलम खान को राष्ट्रीय लोकदल का टिकट दिलाने के लिए जद्दोजहद की लेकिन राष्ट्रीय लोक दल के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में जाने के बाद से अमीर आलम खान की उम्मीद टूट गई और समाजवादी पार्टी ने कैराना में इकरा हसन को टिकट दे दिया। अमीर आलम खान को उम्मीद थी कि शायद राष्ट्रीय लोकदल उन्हें कहीं ना कहीं एडजस्ट करेगा , इसी वजह से वो रालोद के भाजपा के साथ जाने के बाद भी रालोद में बने रहे और अमीर आलम खान को उम्मीद की किरण तब दिखाई पड़ी जब लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से रालोद विधायक चंदन चौहान बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद बन गए और उन्हें मीरापुर से इस्तीफा देना पड़ा।
चंदन चौहान के इस्तीफा देने के बाद से मीरापुर में चूंकि उपचुनाव होगा इसलिए अमीर आलम खान अपने बेटे के टिकट के लिए उम्मीद की उसे किरण की इंतजार में पलकें बिछाए बैठे रहे। इसी दौरान अमीर आलम खान ने अपने राजनीतिक संन्यास की घोषणा करते हुए नवाजिश के टिकट के लिए ही जोर आजमाइश करनी शुरू की। कुछ दिन पहले पूर्व सांसद अमीर आलम खान ने दावा भी किया था कि रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने उनसे बात की है और नवाजिश आलम को मीरापुर सीट से उप चुनाव में टिकट देने का वादा किया है। इस बात को खुद अमीर आलम खान ने भी स्वीकारा था तथा सोशल मीडिया पर नवाजिश के समर्थकों ने बढ़ाई भी देनी शुरू कर दी थी लेकिन धीरे-धीरे साफ होने लगा कि आमिर खान की फिल्म पीके का डायलॉग यह स्टीक बैठता दिखाई पड़ रहा है कि कोनो नवाजिश आलम की फिरकी ले रहा है।
इसके साथ ही दूसरे राजनीतिक राना परिवार के शाहनवाज राना को भी आजाद समाज पार्टी से टिकट का भरोसा मिला। शाहनवाज राना को मीरापुर विधानसभा सीट पर अपने टिकट का भरोसा इसलिए भी था क्योंकि आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर जब नगीना लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रहे थे तब शाहनवाज राना और उनके समधी पूर्व विधायक गाजी दोनों अपनी पूरी टीम के साथ चंद्रशेखर को जिताने में जुटे हुए थे। शाहनवाज राना को आजाद समाज पार्टी से इतना भरोसा था कि उन्होंने अपनी टीम को मीरापुर विधानसभा सीट पर काम करने के लिए इलाके में निकाल दिया तथा उसका प्रचार प्रसार भी शुरू कर दिया था लेकिन शाहनवाज राना के साथ भी आजाद समाज पार्टी ने फिरकी ले ली और आजाद समाज पार्टी ने रूडकली के रहने वाले जाहिद हसन को टिकट थमा दिया। जाहिद को आजाद समाज पार्टी से टिकट मिलने के बाद से शाहनवाज राना को तगड़ा झटका लगा है।
इसके साथ ही कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे सईदुज्जमां के बेटे सलमान सईद भी मीरापुर विधानसभा सीट से बसपा से चुनाव में टिकट मांग रहे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने सलमान सईद को चरथावल विधानसभा सीट से टिकट भी दे दिया था लेकिन सलमान सईद को करारी हार झेलनी पड़ी थी। अब सलमान सईद को उम्मीद थी बहुजन समाज पार्टी मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव में उन पर किस्मत जरूर दांव लगाएगी लेकिन बसपा ने भी सलमान सईद की फिरकी लेते हुए कमहेड़ा के पूर्व प्रधान शाहनवाज के भाई शाहनजर को टिकट थमा दिया।
अब पूर्व सांसद कादिर राना समाजवादी पार्टी से टिकट के लिए प्रयासरत है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि उन्हें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से भरोसा भी मिला हुआ है। कादिर राना वर्तमान में मीरापुर तथा परिसीमन से पहले मोरना विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं। साल 2009 में कादिर राना ने बसपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और वह सांसद भी बन गए थे। कादिर राना को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिजनौर लोकसभा का प्रभारी भी बनाया था जहां समाजवादी पार्टी ने बेहतर चुनाव लड़ा। अब इन राजनीतिक परिवारों में कादिर राणा ही ऐसे दावेदार बचें हैं जिनकी अभी तक फिरकी नहीं ली गई है। अगर अखिलेश यादव उनका भी टिकट काटकर किसी और को दे देते हैं तो पीके फिल्म का डायलॉग उन पर भी जरूर सटीक बैठेगा कि कोनो फिरकी ले रहा है।