सपा और भाजपा के बीच प्रतिष्ठा की जंग
फिरोजाबाद। जनपद की पांच विधानसभा सीटों के लिए 20 फरवरी को मतदान के लिए शुक्रवार शाम को प्रचार समाप्त होने के साथ अब प्रत्याशियों के सामने हार-जीत को लेकर प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। खासतौर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी के बीच फिरोजाबाद में और सिरसागंज में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चलते त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।
फिरोजाबाद सदर सीट पर मौजूदा विधायक भाजपा प्रत्याशी मनीष असीजा ने कर्मठ शैली से अपनी खास पहचान बनाई हुई है जिसे काट पाना हर प्रत्याशी को भारी लग रहा है। सपा ने इस सीट पर सैफ उर रहमान के तौर पर नये चेहरे को मैदान में उतारा है वहीं सपा के पूर्व विधायक अजीम भाई टिकट ना मिलने न सिर्फ पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे है वहीं बसपा के टिकट पर मैदान पर उतरी अपनी पत्नी शाजिया हसन के लिये वोट मांग रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के संदीप तिवारी भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराए हुए है।
शिकोहाबाद सीट पर चुनाव बड़ा दिलचस्प है। यहां भाजपा ने सपा के पूर्व विधायक ओमप्रकाश वर्मा को पार्टी प्रत्याशी बनाया है तो सपा ने भाजपा के मौजूदा विधायक डॉ मुकेश वर्मा को पार्टी प्रत्याशी बना दिया है। दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा करते हुए मतदाताओं को लुभाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। बसपा ने अनिल यादव को प्रत्याशी बनाकर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। यादव समुदाय के लोग यदि बसपा उम्मीदवार को पसंद करेंगे तो लड़ाई रोचक बन सकती है।
सिरसागंज विधानसभा सीट पर सपा जीत की हैट्रिक बनाने के प्रयास मे है हालांकि उसके मौजूदा विधायक हरि ओम यादव जो सैफई परिवार के संबंधी है, इस बार वह भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ कर सपा को ही शिकस्त देने का काम कर रहे हैं जिनसे मुकाबले के लिये सपा ने सर्वेश सिंह को यहां से प्रत्याशी बनाया है। सीट पर सैफई परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लग रही है जिसके लिए रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव ने भी पूरी ताकत लगा दी है। कांग्रेस ने प्रतिमा पाल और बसपा ने पंकज मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है। पंकज मिश्रा जरूर पूरे दम खम से चुनाव प्रचार कर चुनाव को त्रिकोणीय संघर्ष में बदलने की कोशिश कर रहे है।
जसराना विधानसभा सीट पर भाजपा ने जिलाध्यक्ष मानवेंद्र लोधी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है वह पार्टी और सजातीय वोट बैंक के भरोसे जीत के लिए आश्वस्त हैं। 2017 में भाजापा के रामगोपाल लोधी ने जीत हासिल की थी। सपा ने इस बार नए चेहरे सचिन यादव को चुनाव मैदान में उतार कर भाजपा को टक्कर देने की कोशिश की है मगर सपा के बागी शिव प्रताप सिंह ने उनके लिये मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
जिले की एकमात्र सुरक्षित टूंडला विधानसभा सीट पर भाजपा ने शिटिंग विधायक प्रेमपाल धनगर पर फिर दांव लगाया हुआ है जिनका मुकाबला बसपा के पूर्व विधायक राकेश बाबू सपा उम्मीदवार बन कर कर रहे हैं। बसपा ने अमर सिंह तो प्रत्याशी बनाकर राकेश बाबू के समीकरण बिगाड़ने का काम कर दिया है। कांग्रेस ने श्रीमती योगेश दिवाकर और आप पार्टी ने बबलू सिंह को प्रत्याशी बनाकर चुनावी अखाड़े में उतारा है। इस सीट पर सबसे अधिक 13 उम्मीदवार अपने भाग्य की अजमाइश में लगे हुए हैं।
2017 में जिले की चार विधानसभा सीट भाजपा जीतने में कामयाब रही थी। इस बार कड़ी टक्कर की बीच भाजपा अपने अस्तित्व को कितना कायम रख पाएगी या सपा का सूपड़ा ही साफ कर देगी, यह तो 10 मार्च को मतदाताओं का फैसला बता पाएगा।