विस्वा सरमा का क्रोध बन गया बवाल
लखनऊ। क्रोध से अत्यंत मूढ़ भाव उत्पन्न होता है। मूढ़भाव से स्मृति में भ्रम हो जाता है। स्मृति में भ्रम हो जाने से बुद्धि अर्थात ज्ञान शक्ति का नाश हो जाता है और बुद्धि का नाश हो जाने से पुरुष अपनी स्थिति से गिर जाता है। यही हाल असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा का हुआ है। सरमा बहुत योग्य हैं और राजनीति की भी उन्हें अच्छी समझ है। उनका वाक् चातुर्य बड़ों-बड़ों को चित कर देता है लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर वे अचानक क्रोधित हो गये। फिर वही हुआ जो भगवान कृष्ण ने गीता में अर्जुन को समझाया है। मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा ने राहुल की इस यात्रा की आलोचना करते हुए पाकिस्तान और बांग्ला देश को एकीकृत करने की बात कह दी। यह बयान भी ऐसे समय आया जब बांग्ला देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत की यात्रा पर आयी हुई थीं और हमारे प्रधानमंत्री से बहुत अच्छी-अच्छी बातें कर रहीं थीं। यहां पर ध्यान देने की बात है कि बांग्ला देश कभी पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था और शेख मुजीबुर्रहमान ने इसे एक नया देश बनवाया। भारत की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश को एकीकृत करने के बारे में एक विवादास्पद बयान दिया है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब पड़ोसी देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत की राजनयिक यात्रा पर हैं। सरमा ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए यह बयान दिया। राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेता कश्मीर से कन्याकुमारी तक 3,500 किलोमीटर की यात्रा शुरू कर रहे हैं। कांग्रेस 2024 के आम चुनाव से पहले समर्थन जुटाने के लिए यह यात्रा निकाल रही है। इसे कांग्रेस की कई पराजयों की हताशा से निकलने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। सरमा ने कहा कि भारत एकजुट है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, सिलचर से सौराष्ट्र तक, हम एक हैं। कांग्रेस ने देश को भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया। फिर बांग्लादेश बनाया गया। अगर राहुल गांधी को खेद है कि मेरे नाना (जवाहरलाल नेहरू) ने गलती की, अगर उन्हें खेद है, तो फिर भारतीय क्षेत्र में भारत जोड़ा का कोई मतलब नहीं है। पाकिस्तान, बांग्लादेश को एकीकृत करने और अखंड भारत बनाने का प्रयास करें।
साल 2015 में भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के पूर्व नेता सरमा, एक वीडियो में उक्त बात कहते हुए दिखाई दे रहे हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने यह वीडियो ट्वीट किया है। अखंड भारत भाजपा के वैचारिक जनक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रेरित एक विचार है। इसके तहत अविभाजित भारत में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, तिब्बत और म्यांमार शामिल हैं।
असम के मुख्यमंत्री की बांग्लादेश को भारत के साथ एकीकृत करने की टिप्पणी ऐसे समय में आई। जब शेख हसीना भारत की चार दिवसीय यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की अपनी समकक्ष से द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर बातचीत की। दोनों देशों ने संबंधों को और मजबूत करने के लिए सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा था, भारत हमारा मित्र है। जब भी मैं यहां आती हूं, यह मेरे लिए खुशी की बात होती है। हम हमेशा अपने मुक्ति संग्राम के दौरान भारत के योगदान को याद करते हैं। हमारे बीच मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, हम एक दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं।
ध्यान रहे कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा आरंभ होने से पहले कहा कि यह यात्रा भारतीय राजनीति में एक टर्निंग प्वाइंट (निर्णायक मोड़) है और एक नई शुरुआत का प्रतीक है। करीब 150 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी एक कंटेनर में रहेंगे। आगामी 2024 के चुनाव में नरेंद्र मोदी सरकार को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के मास्टरस्ट्रोक के रूप में देखा जा रहा है। भारत जोड़ो यात्रा के तहत राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक करीब 150 दिनों तक 3,570 किलोमीटर की यात्रा करेंगे।
यह भी ध्यान रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी साल 26 मार्च को बांग्लादेश की आजादी की 50वीं सालगिरह के जश्न में शामिल होने ढाका पहुंचे थे। 50 साल पहले बांग्लादेश के जन्म में भारत की पहली महिला पीएम इंदिरा गांधी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। 50वीं सालगिरह के मौके पर बंगाली लोगों के साहस और बांग्लादेश के लिए लड़ी गई लड़ाई को याद किया गया। 1971 में बांग्लादेश की आजादी से पहले हुआ भारत-पाकिस्तान युद्ध, बांग्लादेश में मुक्ति वाहिनी को भारत का समर्थन देना और इस सबके बीच चली कूटनीति इंदिरा गांधी के नेतृत्व की गाथा है। 1971 का युद्ध भारत के लिए सिर्फ सैन्य जीत नहीं थी, ये राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से बहुत बड़ी सफलता थी। सिर्फ 24 साल पुराने आजाद भारत ने पाकिस्तान के ताकतवर दोस्त अमेरिका और चीन को हैरान कर दिया था।
सन् 1969 में जनरल याह्या खान ने फील्ड मार्शल अयूब खान से पाकिस्तान की बागडोर अपने हाथ में ली थी और अगले साल चुनाव का ऐलान किया गया। ये आजाद पाकिस्तान के सही मायने में पहले चुनाव थे। 1970 में हुए इन चुनावों में शेख मुजीबुर रहमान की आवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान की 162 में से 160 सीटें जीतीं। जुल्फिकार अली भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने पश्चिमी पाकिस्तान की 138 में से 81 सीटों पर जीत हासिल की थी। बहुमत रहमान के पास था और उन्हें प्रधानमंत्री बनना चाहिए था, लेकिन पाकिस्तान के सैन्य शासन ने ऐसा होने नहीं दिया। भुट्टो ने कई हफ्तों तक मुजीबुर रहमान से बातचीत की पर जब कुछ हल नहीं निकला तो याह्या खान ने पूर्वी पाकिस्तान में ज्यादतियां शुरू कर दीं। भारत ने शुरुआत से ही अपना समर्थन आवामी लीग और मुजीबुर रहमान को दिया था। पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाधी ने सीधे दखलंदाजी करने का फैसला नहीं लिया। हालांकि, भारतीय सेना की पूर्वी कमांड ने पूर्वी पाकिस्तान के ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी संभाल ली थी। 15 मई 1971 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन जैकपॉट लॉन्च किया और इसके तहत मुक्ति वाहिनी के लड़ाकों को ट्रेनिंग, हथियार, पैसा और साजो-सामान की सप्लाई मुहैया कराना शुरू किया। मुक्ति वाहिनी पूर्वी पाकिस्तान की मिलिट्री, पैरामिलिट्री और नागरिकों की सेना थी। इसका लक्ष्य गुरिल्ला युद्ध के जरिए पूर्वी पाकिस्तान की आजादी था। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)