यूपी: कोरोना को लेकर क्या कर रहा विपक्ष
लखनऊ। कोरोना संक्रमण से इस बार उत्तर प्रदेश भी दहल गया है। ऐसा कोई मोहल्ला और गली नहीं बची जहां कोविड संक्रमित न हो। अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहा। बिस्तर मिल गया तो ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहा और वेन्टीलेटर तो मिलना ही मुश्किल है। वीआइपी को जगह मिल जाती है, ये आरोप तो पीजीआई के रेजिडेंट व कर्मचारी भी लगा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी तंत्र को लगा रखा है लेकिन मौत के सौदागरों, दवाईयों व इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों और ऑक्सीजन सिलेंडर के जमाखोरों के चलते कितने ही लोगों की जान चली गयी है। ऐसे में जनता की तरफ से सरकार के साथ ही प्रमुख विपक्षी दलों से भी सवाल पूछा जा रहा है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा की तरफ से कितने मरीजों की अब तक मदद की गयी है? रैली करने के नाम पर लाखों करोड़ खर्च करने वाली इन पार्टियों ने अपने पार्टी दफ्तर में ही होम क्वारंटाइन सेन्टर या कविड वार्ड बनवा दिया होता। इन विपक्षी दलों की तरफ से कितने मरीजों को रेमडेसिवीर जैसा महंगा इंजेक्शन् अथवा आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया गया है।इनकी तरफ से सरकार की आलोचना क्या बिधवा प्रलाप जैसा नहीं लग रहा है। इसका जवाब अखिलेश यादव, मायावती और प्रियंका गांधी वाड्रा को देना चाहिए। आम आदमी पार्टी (आप) ने भी इस बार यूपी की राजनीति में बड़े जोर शोर से इन्ट्री की है। आप के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद संजय सिंह को भी कोरोना की इस महाविपदा में जनसेवा की भावना का नमूना तो दिखाना ही चाहिए। योगी की सरकार तो फिलहाल कोरोना से जारी जंग को और प्रभावी तरीके से लड़ने के लिए 1 मई से टीकाकरण के तीसरे चरण की शुरुआत करने जा रही है। टीकाकरण के तीसरे चरण में 18 साल से ऊपर के लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज दी जाएगी। प्रदेश की योगी सरकार ने युवाओं के लिए शुरू हो रहे इस टीकाकरण अभियान को भी मुफ्त कर दिया है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल से कोविन पोर्टल या फिर आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से शुरू हो गया है।
उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सूबे के अस्पतालों में बेड नहीं है। ऑक्सीजन के लिए मारामारी मची हुई है, श्मशान और कब्रिस्तान ने आजादी के बाद इतने शव कभी नहीं देखे थे। इसके बावजूद सरकार और विपक्षी पार्टियां अपना दायित्व निभाती नजर नहीं आ रही हैं। सरकार आश्वासन देती है और विपक्षी दल घडियाली आंसू बहाते हैं। कोरोना को लेकर आम लोगों को राहत दिलाने के ध्वस्त सरकारी दावों और सिस्टम पर कांग्रेस, सपा और बसपा बोलने को तैयार नहीं है और न ही स्वयं कुछ करने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। सूबे में दरबदर भटक रही जनता की मदद करने का विपक्षी दल दावा तो कर रहे हैं, लेकिन किसी तरह की कोई गतिविधि दिखाई नहीं पड़ती।
उत्तर प्रदेश में हर रोज कोरोना संक्रमण के नए मरीज सामने आ रहे हैं। सूबे की राजधानी लखनऊ से लेकर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर सहित तमाम शहरों में कोरोना संकट गहराया हुआ है और इलाज के लिए चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। आम आदमी ऑक्सीजन के लिए सुबह से शाम तक दर-दर भटक रहा है और अस्पतालों से बाहर सड़क पर मरीज हर रोज दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार फेल है तो विपक्ष क्या कर रहा है? उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के समय विपक्ष की तमाम पार्टियों की जिस तरह की भूमिका होनी चाहिए, वो नहीं दिख रही। यूपी के हर शहर का यह हाल है कि अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन से लेकर प्लाज्मा तक के लिए लोग तड़प रहे थे। ऐसे हालात में सपा और बसपा का कांग्रेस की अपेक्षा मजबूत काडर प्लाज्मा डोनेट करने के साथ दवाइयां और ऑक्सीजन उपलब्ध कराकर पीडितों की मदद कर सकता था। विपक्ष के नेता अपने-अपने लोगों से मदद के लिए अपील करते तो व्यापक असर होता। इसके अलावा अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजनों के लिए खाने-पीने जैसी तमाम व्यवस्थाएं भी जा सकती थीं। नारियल पानी तो उपलब्ध ही कराया जा सकता था। इससे मानवीय स्तर लोगें की मदद के साथ-साथ राजनीतिक दलों को सियासी तौर पर भी सहानुभूति मिलती।
एक वरिष्ठ पत्रकार ने ठीक ही कहा हैं कि कोरोना मामले पर योगी सरकार तो पूरी तरह से एक्सपोज हो चुकी है लेकिन विपक्ष भी कोई सकारात्मक भूमिका अदा करता नहीं दिखा बल्कि हाथ पर हाथ धरे बैठा है। सूबे के सभी विपक्षी नेता जमीनी राजनीति के बजाय सोशल मीडिया के जरिए सियासत कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं में थोड़ा बहुत प्रियंका गांधी ही कोरोना मामले पर योगी सरकार को घेरती नजर आई हैं, जिसका सियासी तौर पर असर भी हुआ है। वहीं, अखिलेश यादव कोरोना संक्रिमत हो जाने से खुद को आइसोलेट कर रखे हैं, लेकिन दो तीन दिनों से ट्वीट कर सरकार को घेर रहे है जबकि मायावती तो लंबे समय से चुप हैं और उन्होंने कोरोना को लेकर महज एक या दो ट्वीट किए हैं। इसके अलावा विपक्ष कहीं भी किसी तरह से नजर नहीं आया। इसीलिए राजधानी से प्रकाशित होने वाले प्रमुख हिन्दी अखबारों मेंचार कालम के एक बाक्स में विपक्षी दलों के नेताओं के बयान अटा दिये जाते हैं।
आरएसएस के अवध प्रांत ने कोरोना को लेकर एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया था, लेकिन मदद दिलाने के नाम पर हाथ खड़े कर दिए जाते हैं। एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के लोग शुरू में ऑक्सीजन सिलेंडर दिलाने में मदद कर रहे थे, लेकिन बहुत ज्यादा कारगर नहीं रहे। विपक्ष के लिए सियासी तौर पर अपने आपको साबित करने और लोगों के दिलों में जगह बनाने का यह बेहतर मौका था। कांग्रेस का दावा है कि हम अपना फर्ज निभा रहे हैं। यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह कहते हैं कि हम विपक्षी दल होने के नाते प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर एक साल से सरकार से सवाल कर रहे हैं। इसके बाद भी न तो सरकार ने किसी तरह का कोई कदम उठाया और न ही कोई व्यवस्था बनाई। यही वजह है कि कोरोना की दूसरी लहर में यूपी की स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हो गई हैं और योगी सरकार कोमा में है जबकि पूरे प्रदेश में त्राहि त्राहि मची हुई। अशोक सिंह कहते हैं कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी लगातार सक्रिय है, जिसके चलते सूबे के योगी सरकार को सीएमओ की अनुमति पत्र पर मरीजों की भर्ती लेने वाले आदेश को खत्म करना पड़ा।
प्रियंका गांधी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को लोगों की मदद के लिए भी दिशा निर्देश दिए हैं। जिला स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ता लोंगों की हरसंभव मदद कर रहे हैं। सरकार धारा 144 लगा कर विपक्ष को बौना बनाने की कोशिश कर रही है और अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बचना चाहती है। इसी प्रकार समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मिश्रा कहते हैं कि यूपी के हालात इस कदर खराब है और लोगों को सांस लेने के लिए भी सरकार की इजाजत लेनी पड़ रही है। अखिलेश यादव सरकार के दौरान सूबे की स्वास्थ्य सेवा के लिए जितना किया गया है, उसी के सहारे चल रहा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दिया है कि अपनी और अपने परिवार की हिफाजत करते हुए समाज की जो सेवा हो सके वो करें। विपक्ष में होने के नाते हमारे पास नीति निर्धारण का कोई अधिकार तो नहीं। इसके बावजूद एक राजनीतिक दल की हैसियत से सपा नेता और कार्यकर्ता लोगों की मदद के लिए काम रहे हैं। योगी सरकार से कह रहे हैं कि आपसे यूपी नहीं संभल रही है तो हमें दीजिए फिर हम दिखाते हैं कैसे व्यवस्था की जाती है। मतलब ये कि यहां भी जनसेवा कम,सराजनीति ज्यादा।
बहरहाल, 1 मई से शुरू होने वाले तीसरे चरण के टीकाकरण में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के साथ-साथ निजी अस्पतालों को भी शामिल किया गया है। तीसरे चरण में 18 से 44 साल की आयु के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल से कोविन पोर्टल और आरोग्य सेतु एप पर शुरू हो गया। टीकाकरण के लिए दस्तावेज प्रक्रिया पहले की तरह ही रहेगी। पंजीकरण कराते ही रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर कन्फर्मेशन आएगा, जिसे चेक करना होगा। अप्वाइंटमेंट मिलने के बाद वैक्सीन लगवाने के दौरान अपनी स्लिप और फोटो आईडी साथ लेकर जाना होगा। पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण के लिए अपना मोबाइल नंबर डालना होगा। इसके बाद एक ओटीपी आएगी, जिसे वेरीफाई करने के बाद लोग इन होगा। इसके बाद अपना पहचान पत्र, पूरा नाम और आयु का ब्यौरा देकर अपने नजदीकी टीकाकरण पर पंजीकरण करवाना होगा। इसके बाद मोबाइल पर कन्फर्मेशन नंबर आएगा। उस कन्फर्मेशन नंबर और पहचान पत्र के साथ निर्धारित तारीख और समय पर टीकाकरण केंद्र पहुंचकर टीका लगवाना होगा। (हिफी)