महिला सशक्तिकरण का संघ संदेश

महिला सशक्तिकरण का संघ संदेश

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शक्ति शाली राष्ट्र और समाज निर्माण की दिशा में समर्पित भाव से कार्य करता है। इसमें आधी आबादी अर्थात महिलाओं का योगदान भी अपेक्षित है। संघ के अनेक अनुषंगीक संगठन इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं।इस बार विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने जिन प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया था, उनमें नारी सशक्तीकरण का विषय भी समाहित था।इस समारोह में मुख्य अतिथि भी महिला थीं। पद्मश्री संतोष यादव ने इस मंच से लोगों को संबोधित किया था। डॉ मोहन भागवत ने मातृशक्ति की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा था कि भारत आज दुनिया में शक्ति और विश्वास दोनों में बड़ा है। डॉ. भागवत ने लोगों से अपने परिवार से मातृशक्ति जागरुकता पर काम करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि हम अपने परिवार की महिलाओं को आगे लाने के कार्य की शुरुआत करें। समूचे समाज की संगठित शक्ति इसके बिना पूरी नहीं हो पाएगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महिलाओं के प्रबोधन और सशक्तीकरण के साथ ही समाज में बराबरी का स्थान दिलाने का भी प्रयास करेगा। प्रयागराज में अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में इस पर भी मंथन हुआ। पुरुषों और महिलाओं के लिए शाखा भले ही अलग चलती हो लेकिन अन्य सभी गतिविधियों में सारे कार्य महिला और पुरुष मिलकर ही करते हैं। इसलिए संघ अब महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ ही समान अवसर उपलब्ध कराने का पक्षधर है। कार्यकारी मंडल की बैठक में एक चर्चा हुई कि घर में संस्कारों का वातावरण बनाए रखने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। यह कार्य संघ के स्वयंसेवक को अपने परिवार से प्रारंभ कर समाज के बीच ले जाना है। विचार किया गया कि महिलाओं के सहयोग के बिना पुरुषों के लिए संघ कार्य में समय देना संभव नहीं है। इसलिए परिवार की महिलाओं को भी संघ के क्रियाकलापों की जानकारी होनी चाहिए। इसलिए संघ ने महानगरों में रहने वाले संघ कार्यकर्ताओं की बहन-बेटियों का परिचय वर्ग लगाने का निर्णय किया है। इससे जहां घर तक संघ पहुंचेगा, वहीं काम करने के लिए बड़ी संख्या में बहनें भी आगे आएंगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज में उत्पन्न विभिन्न प्रकार की समस्याओं के निराकरण के लिए छह गतिविधियां बनाई हैं। गतिविधियों के माध्यम से संघ कार्यकर्ता समाज में कार्य कर रहे हैं। समाज में विषमता को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता, पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने के लिए पर्यावरण, समाज में सद्भाव निर्माण के लिए सामाजिक सद्भाव, गोवंश की रक्षा के लिए गो सेवा, ग्रामीण विकास के लिए संकल्पित ग्राम विकास और धर्म के क्षेत्र में काम करने के लिए धर्म जागरण गतिविधि के माध्यम से संघ कार्य कर रहा है। इन गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

देश में लोकसभा के चुनाव संपन्न होने हैं। इसी वर्ष कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए संघ कुछ प्रचारकों को संगठन मंत्री के रूप में काम करने के लिए भाजपा में भेज सकती है। इसके अलावा प्रांत व क्षेत्र स्तर के प्रचारकों के दायित्व में फेरबदल की भी संभावना है। संघ कार्य को गति देने की दृष्टि से जहां सह प्रांत प्रचारक के रूप में कई वर्षों से काम कर रहे प्रचारकों को नई जिम्मेदारी दी जा सकती वहीं लंबे समय से प्रांत प्रचारक व क्षेत्र प्रचारक के रूप में काम कर रहे वरिष्ठ प्रचारकों को विविध क्षेत्रों में भेजा जा सकता है। वहीं कुछ प्रांत प्रचारकों को इधर से उधर भी किया जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में विशेष रुप से प्रांत वह इससे ऊपर के प्रचारकों के दायित्व में परिवर्तन होता है लेकिन इस बार मार्च में कर्णावती में संपन्न संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ था। मार्च में झारखंड के प्रांत प्रचारक रहे दिलीप को पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र का सामाजिक समरसता का कार्य सौंपा गया था। उत्तर प्रदेश से संबंधित यही एकमात्र परिवर्तन था। इसलिए शताब्दी वर्ष और लोकसभा चुनाव को देखते हुए कार्यकारी मंडल की बैठक में परिवर्तन होने की संभावना हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में अवध,कानपुर,काशी व गोरक्ष चार प्रांत है। इन चारों प्रांतों के सह प्रांत प्रचारक अवध प्रांत के मनोज, काशी प्रांत के मुनीष और कानपुर के रमेश को इस पद पर काम करते हुए कई वर्ष हो चुके हैं। इन तीनों प्रांतों के सह प्रांत प्रचारक दो -दो प्रांतों में सह प्रांत प्रचारक की जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुके हैं। उत्तराखंड, ब्रज प्रांत व गोरक्ष प्रांत में फेरबदल की संभावना है। वर्ष 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। संघ देशभर में शताब्दी वर्ष मनाने की भव्य तैयारी में जुटा है। इसलिए इस समय संघ का पूरा होकर शाखा कार्य विस्तार पर है। संघ जिस लक्ष्य और उद्देश्य की पूर्ति के लिए समाज में काम कर रहा है वर्तमान केंद्र सरकार उस में सहायक सिद्ध हुई है। इसलिए संघ नहीं चाहता कि किसी भी स्थिति में केंद्र से सत्ता भाजपा के हाथ से जाए। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले विधानसभा चुनाव को भी गंभीरता से ले रहा है। भाजपा में संगठन मंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जाते हैं। भाजपा में इन दिनों संगठन मंत्रियों की मांग भी है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश को संगठन की दृष्टि से छः क्षेत्रों में बांटा है। पहले भाजपा में प्रदेश संगठन मंत्री के अलावा इन सभी क्षेत्रों में भी एक -एक संगठन मंत्री थे । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कर्मवीर को प्रदेश सह संगठन मंत्री बनाकर भेजा गया था । उन्हें भी झारखंड का प्रदेश संगठन मंत्री बना दिया गया है। उत्तर प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में अब संगठन मंत्री नहीं हैं। इसलिए लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा इन सभी क्षेत्रों में क्षेत्र संगठन मंत्री की नियुक्ति कर सकती है। अब देखना यह है कि कार्यकारी मंडल की बैठक में संघ अपने प्रचारकों को भाजपा में भेजने का निर्णय करता है कि नहीं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने बताया कि मार्च 2024 तक एक लाख स्थानों पर संघ का प्रत्यक्ष कार्य यानी शाखा खड़ी करने का लक्ष्य है। अभी 55 हजार स्थानों पर समिति शाखा लग रही है। (हिफी)

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