तीन बागियों को मिली मोदी कैबिनेट में जगह - बने मंत्री
लखनऊ। केंद्र की मोदी सरकार के विस्तार में वैसे तो 15 नए कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली है मगर इनमें तीन वो मंत्री है, जिन्होंने अपने दल से बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया था। अब वो मोदी सरकार में कामकाज कर अपने अपने पुराने दल पर हमलावर रहेंगे।
सबसे पहले कैबिनेट मंत्री की महाराष्ट्र से सांसद नारायण राने ने ली। राणे का सियासी सफर युवावस्था में ही शिवसेना से शुरु हो गया था। वो 1990 में वे पहली बार विधायक बने। फरवरी 1999 को शिवसेना-बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार में वे मुख्यमंत्री बने, हालांकि वे अक्तूबर तक ही मुख्यमंत्री के पद पर रहे। शिवसेना से उनके रिश्तों में तब खटास आने लगी जब उद्धव ठाकरे को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई। 2005 में वे शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो। कांग्रेस में रहते वह महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बने उसके बाद कांग्रेस से उन्होंने बगावत कर दी और उन्हें पार्टी से छह वर्षों के लिए निलंबित कर दिया गया। 2017 में उन्होंने अपनी अलग महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी बना ली। नारायण राणे ने अक्तूबर 2019 में अपनी महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया था और वे भाजपा में शामिल हो गए थे। आज उनको मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
कैबिनेट मंत्री के रूप में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शपथ ली। ज्योतिराज सिंधिया पूर्व में कांग्रेस की मनमोहन सरकार में भी केंद्रीय मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीत कर सरकार बनाई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर भाजपा की राह पकड़ ली और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराकर बीजेपी की सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्तमान में राज्यसभा में भाजपा के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक सफर की शुरुआत 2002 में हुई। साल 2002 में पहली बार सांसद बने ज्योतिरादित्य ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद की थी। गौरतलब है 18 सितंबर, 2001 को ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की एक हवाई हादसे में मृत्यु हो गई थी। तब वे गुना से लोकसभा सांसद थे। ज्योतिरादित्य ने गुना सीट से पहली बार चुनाव लड़ा और फरवरी 2002 में साढ़े चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की।
बागी तीसरे नेता कैबिनेट मंत्री के रूप में रामविलास पासवान के छोटे भाई हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस शपथ ली। पशुपति पारस ने अभी हाल ही में अपने भतीजे चिराग पासवान को किनारे कर खुद लोकसभा में लोजपा के संसदीय दल के नेता बन गए हैं। अपने भतीजे से बगावत कर पशुपति पारस मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए हैं।