मुस्लिम बूथों पर भी खिलेगा इस बार 'कमल' : केशव मौर्य
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पिछले पांच साल में प्रदेश की कानून व्यवस्था दुरुस्त किये जाने का असर समाज के सभी वर्गों में होने का हवाला देते हुए दावा किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल मतदान स्थलों पर भी 'कमल' खिलना तय है।
मौर्य ने यूनीवार्ता को दिये साक्षात्कार में कहा कि एक साजिश के तहत भारती जनता पार्टी (भाजपा) को पहले दलित विरोधी बताया गया और फिर मुस्लिम विरोधी होने का तमगा दिया गया। लेकिन, पिछले सात सालों में केन्द्र की मोदी सरकार और पांच सालों में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जिस तरह से बिना कोई भेदभाव किये सभी वर्गों के उत्थान के काम किये, उसकी बदौलत कालांतर में खड़ी की गयी दीवारें अपने आप ढह गयी हैं।
भाजपा के प्रति विश्वास को लेकर मुस्लिम समुदाय में आज भी हिचक होने के सवाल पर मौर्य ने कहा, "पांच साल का हमारा काम इस बात का प्रमाण पत्र है कि आज अगर आप पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जायें तो मुस्लिम महिलायें भाजपा को वोट देने की बात खुलकर कहती हैं। इसकी वजह पूछो तो बताते हैं कि हम अब सुरक्षित महसूस करते हैं। क्योंकि आज सुरक्षा, जैसे हिंदू परिवारों की है, वैसे ही मुस्लिम परिवारों की भी है।"
उन्होंने हिंदू मुस्लिम की दीवार खड़ी करने का विरोधी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा, "हमसे कोई दूर नहीं है। पहले भाजपा को दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक विरोधी बना दिया गया था, एक दीवार खड़ी कर दी गयी थी, जिससे ना भाजपा उन्हें देख पाये और ना वे भाजपा को देख पायें। लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में इन दीवारों को धराशायी कर दिया गया और अब कभी यह दीवार खड़ी ही नहीं हो पायेगी।"
उन्होंने दलील दी कि वैसे भी हर मुसलमान तो दंगाई नहीं होता है। हर वर्ग में बहुत से लोग सही होते हैं तो कुछ गलत भी होते हैं। आने वाले चुनाव में ऐसे सही लोग, भाजपा सेे उन्हें दूर करने की विरोधियों की योजनाबद्ध साजिश का पर्दाफाश कर देंगे। मौर्य ने कहा, "मैं विश्वास से कह सकता हूं कि जैसे अगड़ा, पिछड़ा और दलित सहित सभी वर्ग, भाजपा की झोली अपने कमल के फूल रूपी वोट से भरते हैं, वैसे ही मुस्लिम बूथों पर भी इस बार भाजपा का कमल खिलेगा।" उन्होंने दावा किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव परिणाम चौंकाने वाला होगा और वहां भाजपा को 2017 से भी ज्यादा वोट इस चुनाव में मिलेंगे।
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा चुनाव में इस बार मुफ्त बिजली और 22 लाख नौकरियां देने के वादे को मौर्य ने कोरी बकवास बताया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन की सरकार में गरीबों के लिये राशन वितरण से लेकर बिजली, सड़क और पानी सहित मूलभूत जरूरतों की पूर्ति के लिये ऐतिहासिक काम हुए। इसलिये जनता की नजरों में अब बिजली, सड़क और पानी कोई मुद्दा ही नहीं है।
मौर्य ने कहा, "जहां तक इस चुनाव के मुद्दे की बात है तो मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि पिछले पांच साल में बिजली, पानी और सड़क मुद्दा ही नहीं है, क्योंकि लोगों को अब इन जरूरतों की पूर्ति हो रही है। लोग यह भी जानते हैं कि सपा शासन में बिजली के लिये त्राहि त्राहि थी, सिंचाई के लिये पानी नहीं मिलता था। ऐसे में सपा के अराजक राज की उप्र में कोई भी वापसी नहीं चाहता है।"
उन्होंने कहा कि अब तक बिजली, पानी और सड़क, चुनाव के मुद्दे इसलिये बन जाते थे क्योंकि इन पर सरकारें जनता की अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं करती थीं। अगर सपा, बसपा की सरकार में 24 घंटे बिजली मिली होती और भाजपा सरकार में 18 घंटे बिजली मिलती तो फिर बिजली चुनावी मुद्दा बन जाती। लेकिन, भाजपा सरकार में बिजली, पानी और सड़क पर इतना काम हुआ कि अब विरोधी दल चाह कर भी इसे मुद्दा नहीं बना पा रहे हैं।
मौर्य ने कहा, "सपा, बसपा और कांग्रेस अब मुद्दे तलाश तो रहे हैें लेकिन दंगाईयाें, अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के बीच इनके मुद्दे खो जाते हैं। इसलिये मैं मानता हूं कि सपा और अन्य तथाकथित छुटभैये नेताओं के गठबंधनों का 2022 में वही हश्र होगा जो जनता ने 2014, 2017 और 2019 के चुनाव में किया था।"
इस चुनाव में भाजपा के चुनावी मुद्दे के सवाल पर मौर्य ने कहा, "हमारा मानना है कि कि 2017 से 2022 तक जो भी काम हुये वह तो फिल्म का ट्रेलर था, वास्तविक फिल्म तो 2022 से चलेगी। इस फिल्म को उत्तर प्रदेश को देश का सबसे विकसित राज्य बनाने के अभियान का नाम भी दे सकते हैं।" उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को देश का सबसे विकसित राज्य बनाना भाजपा का लक्ष्य है और जनता जानती है कि यह काम भाजपा ही करके दिखा सकती है। क्योंकि, सपा, बसपा और कांग्रेस का इतिहास भ्रष्टाचार, अराजकता और जातिवाद का रहा है।
पांच साल में इतने अधिक काम होने के बावजूद पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की अगुवाई में भाजपा विधायकों के पार्टी छोड़ने की वजह के सवाल पर उपमुख्यमंत्री ने कहा, "इनके जाने से भाजपा की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है। क्योंकि जिन्हें जाना होता है वे शुरु में ही चले जाते हैं, चुनाव के समय जो जाता है, वह जनता की नजरों में खुद गिर जाता है। इन सभी की चुनाव के बाद विधानसभा में वापसी करना भी मुश्किल होगा।"
पिछड़े वर्ग के विधायकों का ही साथ छूटने से भाजपा को चुनाव में नुकसान होने की संभावना के सवाल पर मौर्य ने कहा कि अगड़ी, पिछड़ी और अनुसूचित जातियों की त्रिवेणी का नाम भाजपा है। इसलिसे किसी के जाने से कोई नुकसान नहीं होगा।
चुनाव अभियान में शुरु से ही बसपा अध्यक्ष मायावती के मौन अभियान की रणनीति के बारे में उन्होंने कहा कि 2014 में सभी विरोधी दल अकेले लड़े तब भी भाजपा को नहीं रोक पाये। फिर 2017 में कांग्रेस, सपा व लोकदल मिलकर लड़े तब भी भाजपा का कुछ नहीं बिगाड़ पाये और 2019 में तो सारी हदें पार करके सपा, बसपा, कांग्रेस व लोकदल सब एक हो गये, तब भी उप्र में भाजपा का विजय रथ नहीं रोक पाये। इसलिये 2022 में इन सभी को एडवांस में मालूम है कि 2017 में उन्हें मिली सीटें ही मिल जायें, यही उनकी उपलब्धि होगी।
बसपा और भाजपा के बीच आपसी समझ से आगामी चुनाव लड़ने की अटकलों पर मौर्य ने कहा, "हम चाहते हैं कि सभी विरोधी एक मंच पर आ जायें। क्योंकि, हमें मालूम है कि ये सब अंदर ही अंदर मिले हुये हैं। भाजपा तो डबल इंजन की सरकार की उपलब्धियों के बल पर चुनाव लड़ेगी और जीतेगी भी।"
ऐसे में भाजपा की चुनाव में सीधी टक्कर सपा से होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सपा भी टक्कर में नहीं है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तो मीडिया में गैरजरूरी जगह मिलने के कारण मात्र से दिख रहे हैं।
मौर्य ने कहा, "अगर अखिलेश अपनी सरकार में विकास करने की बात करते हैं तो मेरी उन्हें चुनौती है कि जिस जिले में उन्होंने सबसे ज्यादा विकास किया हो वहां से चुनाव लड़ कर दिखायें। सच तो यह है कि अखिलेश, विकास के सबसे बड़े बाधक, गरीबों के सबसे बड़े विरोधी, जातिवादी राजनीति के सबसे बड़े पोषक और दंगाईयों के सबसे बड़े संरक्षक हैं।"
किसानों की नाराजगी से भाजपा को चुनाव में नुकसान होने के सवाल पर मौर्य ने कहा, "कृषि कानूनों की सच्चाई कुछ लोग नहीं समझ पाये या यूं कहें कि हम उन्हें समझा नहीं पाये, वे आंदोलनरत थे। प्रधानमंत्री मोदी जी ने बड़ा दिल दिखाते हुये कानून वापस लेने का फैसला किया और उनसे माफी भी मांगी। इसलिये जो आंदोलनरत किसान थे, अब वे भी भाजपा के साथ हैं। सच यह है कि किसान भाजपा के साथ पहले भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा।
सरकार, खासकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से भाजपा के अपने ही विधायकों के नाराज होने की आशंकाओं के सवाल पर मौर्य ने कहा कि भाजपा 325 विधायकाें वाली पार्टी है। हो सकता है कि इनमें से 10-20 विधायक ऐसे रहे हों जिनकी कोई समस्या रही हो और समाधान न हुआ हो। सरकार का प्रयास रहा है कि सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा उठायी गयी समस्याओं का समाधान हो।
वार्ता