चुनाव से पहले ही गठबंधन में बिखराव के आसार-इस सीट ने बढ़ाई टेंशन

चुनाव से पहले ही गठबंधन में बिखराव के आसार-इस सीट ने बढ़ाई टेंशन

मेरठ। उत्तर प्रदेश में 18 वीं विधानसभा के गठन के लिए हो रहे चुनाव में मजबूती के साथ उतरने के लिए समाजवादी पार्टी एवं राष्ट्रीय लोकदल के बीच हुआ गठबंधन चुनाव से पहले फिलहाल बिखराव की तरफ बढ़ता हुआ लग रहा है, क्योंकि दोनों ही पार्टियों के लिए मेरठ की सिवाल खास सीट मूछों का मामला बन गई है। समाजवादी पार्टी यहां से मुस्लिम प्रत्याशी के तौर पर पूर्व विधायक को मैदान में उतारना चाहती है, जबकि राष्ट्रीय लोकदल जाटों के बीच अपना दबदबा रखने और उनकी वोट गठबंधन की तरफ खींचने के लिए इस सीट पर जाट प्रत्याशी को टिकट देना चाहती है।

जनपद बागपत जिले से सटी मेरठ जनपद की सिवाल खास विधानसभा सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए इस बार प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है। मेरठ की शहरी सीट के अलावा किठौर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी पहले ही अपना मुस्लिम प्रत्याशी उतार चुकी है, जबकि जनपद मेरठ में राष्ट्रीय लोकदल को हिस्सेदारी के तौर पर एक भी सीट नहीं मिली है। ऐसे हालातों के बीच यदि समाजवादी पार्टी की ओर से सिवाल खास विधानसभा सीट पर पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को मुस्लिम के तौर पर टिकट दे दिया जाता है तो राष्ट्रीय लोकदल के लिए जनपद मेरठ में जाट प्रत्याशी उतारने का विकल्प समाप्त हो जाएगा। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय लोकदल मेरठ जनपद में 2 सीटों में सिवाल खास और सरधना विधानसभा सीट अपने हिस्से में रखना चाहती थी, लेकिन सरधना विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की ओर से पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव के करीबी अतुल प्रधान को प्रत्याशी बना दिया गया है, हालांकि गुर्जर बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले अतुल प्रधान दो मर्तबा इस सीट पर भाजपा के संगीत सोम के मुकाबले लड़कर चुनाव हार चुके हैं। अतुल प्रधान को सरधना सीट से उतार दिए जाने के बाद अब राष्ट्रीय लोकदल की ओर से सिवाल खास सीट को अपने हिस्से में लाने की लड़ाई लड़ी जा रही है। राष्ट्रीय लोकदल जनपद मेरठ में जाटलैंड की सिवाल खास सीट को अब प्रतिष्ठा का पतन बनाए हुए हैं राष्ट्रीय लोक दल का मानना है कि यदि उसके हिस्से से सिवाल खास सीट निकलती है तो मेरठ की 6 सीटों पर जाट बिरादरी की वोट भी गठबंधन से दूर जा सकती है।




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