मुख्यमत्री ने लगाया केन्द्र पर योजनाएं रोकने का आरोप
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार की चार साल की उपलब्धियां गिनाने के साथ ही केन्द्र सरकार पर योजनाएं रोकने का आरोप लगाया है। मतलब यह कि केन्द्र यदि बाधा न डालता तो राज्य का और ज्यादा विकास होता।
उन्होंने कहा कि राजस्थान ने ओपीएस लागू किया लेकिन केंद्र ने इसमें दखल दिया जो संविधान के खिलाफ है। राज्य सरकार को पेंशन तय करने का अधिकार है। पेंशन राज्य का विषय है, इसलिए ओपीएस जारी रहेगा। केंद्र इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। संविधान में ही प्रावधान है कि पेंशन का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की भी खिंचाई की और उन पर राजस्थान के लोगों को गुमराह करने और धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने खुद यहां पिछले चुनाव के दौरान जनसभाओं में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का वादा किया था, लेकिन अब केंद्र इस योजना को रोक रहा है। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और गजेंद्र सिंह के बीच जो भी चल रहा है, वह उनका निजी मामला है लेकिन आपस के व्यक्तिगत झगड़ों का खामियाजा जनता क्यों भुगते? उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) था, जिसने कोरोनावायरस महामारी के दौरान लोगों की मदद की।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर केंद्र के मंत्री और गहलोत सरकार में मंत्री आपस में भिड़ गए हैं। और इससे पहले सीएम गहलोत भी नहर परियोजना को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साध चुके हैं और नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं। राजधानी जयपुर में जलजीवन मिशन पर 9 राज्यों की एक रीजनल कॉन्फ्रेंस के दौरान मोदी सरकार के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राजस्थान के जलदाय मंत्री महेश जोशी आपस में भिड़ गए थे। दोनों के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई और राजनीति छोड़ने तक की चुनौती मंच से दी गई। मंत्रियों के आमने-सामने होने की वजह एक बार फिर वही, जी हां, ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट यानि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना थी। (हिफी)