आंदोलनजीवी बताने वाली केंद्र सरकार को सिखाना होगा सबक - जयंत

आंदोलनजीवी बताने वाली केंद्र सरकार को   सिखाना होगा सबक - जयंत

भरतपुर। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी ने कहा है कि किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी और आंदोलनजीवी बताने वाली केंद्र की मोदी सरकार को हमें एकजुटता दिखाकर सबक सिखाना होगा तभी केन्द्र सरकार किसानों के तीन काले कानूनों को वापस लेगी।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी आज भरतपुर विधानसभा क्षेत्र के पीपला गाॅव मे आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते कहा कि यह आंदोलन किसानों ही नहीं अपितु सभी लोगों से जुडा हुआ है क्योंकि इस कानून के लागू होने के बाद मंहगाई बढ जायेगी और गरीब लोगों को जरूरी सामान भी मिलना दूभर हो जायेगा। उन्होंने तीन काले कानूनों को किसानों के लिये सबसे बडा संकट बताते हुये कहा कि केन्द्र सरकार इन कानूनों के खिलाफ किये जा रहे आंदोलन को किसी न किसी तरह कुचलना चाहती है लेकिन लोहागढ के वीर शिरोमणी महाराजा सूरजमल के वंशजों का खून इन कानूनों को समाप्त करने के लिये खौल रहा है ऐसी स्थिति में जब भी आव्हान किया जायेगा तो ये लोग मिलकर दिल्ली की ओर कूंच कर जायेंगे।


लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों को अनपढ व असंगठित मान रही है लेकिन किसानों में जो जज्बा है उसे देखकर लगता है कि वे अपनी मांगों को मंगवाने के लिये संघर्ष को कमजोर नहीं होने देंगे चाहे उन्हें कितने भी दिन सडक पर क्यों नहीं बैठना पडे। उन्होंने बताया कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपने आंदोलन को संचालित कर रहे हैं लेकिन केन्द्र सरकार उन्हें आंदोलन जीवी की संज्ञा देकर अपमानित कर रही हैं। यहाॅ तक की प्रधानमंत्री ने किसानों को परजीवी कहकर उनका मजाक उडाया है।

उन्होंने कहा कि जब तक किसान आत्मनिर्भर नहीं होगा तब तक देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता । आत्मनिर्भरता के लिये जरूरी है कि किसानों को सशक्त बनाकर खेती को लाभकारी बनाया जाये। उन्होंने कहा कि किसानों के हित के लिये जरूरी है कि समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिया जाये जिसके बारे में स्वयं प्रधानमंत्री भी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने समर्थन मूल्य को कानूनी हक दिलाने की बात कही थी।

महापंचायत में भरतपुर विधायक एवं राजस्थान के तकनीकी एवं संस्कृत शिक्षा राज्य मंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने कहा कि तीन काले कानूनों की मांग को लेकर किसान पिछले करीब 100 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं और लगभग 200 किसानों की मौत हो चुकी है लेकिन केन्द्र सरकार अभी भी इन कानूनों के संबंध में कोई फैसला नहीं ले रही है।

वार्ता

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