स्टालिन का उत्तराधिकारी
नई दिल्ली। दक्षिण भारत में उत्तराधिकारी की राजनीति काफी हद तक सफल रही है। तमिलनाडु में सी. रामचंद्रन ने जयललिता को यह दायित्व सौंपा था, जो काफी सफल रहा। आंध्र प्रदेश में वाईएस राजशेखर रेड्डी की अचानक मौत होने के बाद उनके बेटे वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने उत्तराधिकार का दावा पेश किया था लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने जगन की उपेक्षा की। इसका नतीजा यह रहा कि कांग्रेस के हाथ से आंध्र प्रदेश की सत्ता चली गयी। जगन मोहन रेड्डी ने नयी पार्टी बनाकर वहां सरकार बनायी है। इसी परम्परा को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपने बड़े बेटे उदय निधि को अप्रत्यक्ष रूप से अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। फिल वक्त उन्हें 14 दिसंबर को कैबिनेट मंत्री की शपथ ग्रहण करायी गयी है। स्व0 करुणानिधि की पार्टी द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम (द्रमुक) के विधायक और युवा इकाई के सचिव उदय निधि राजनीति में खासा दखल रखते हैं। राज्य में द्रमुक ने कांग्रेस को भी सरकार में साझीदार बना रखा है। भाजपा ने पूर्व में सत्तारूढ़ रही अन्ना द्रमुक के साथ गठबंधन कर रखा है। दक्षिण भारत में भाजपा के टारगेट पर तमिलनाडु भी है। सरकार और राज्यपाल के बीच तनाव का एक कारण यह भी बताया जा रहा है। सरकार की सहयोगी कांग्रेस के साथ भी कुछ मामलों पर मतभेद है। पिछले महीने जब राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किया गया था तब एमके स्टालिन ने इस फैसले का स्वागत किया था। भाजपा ने काशी-तमिल संगमम का आयोजन कर एमके स्टालिन को एक तरह से चुनौती भी दी है। काशी-तमिल संगमम के दौरान बीएचयू के एक जेनेटिक साइंटिस्ट ने दावा किया था कि काशी और तमिलनाडु के लोगों का डीएनए एक ही है इसका मतलब यह कि हमारे पूर्वज एक ही हैं रंग-रूप भले ही बदल गया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बड़े बेटे उदयनिधि ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है। वह राज्य के खेल मंत्री के रूप में अपने पिता के मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) विधायक और पार्टी की युवा इकाई के सचिव उदयनिधि स्टालिन को तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने मंत्री के रूप में शपथ दिलायी। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन तथा उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों की मौजूदगी में उदयनिधि को राज भवन में हुए एक सादे समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी गयी। अपनी ट्रेडमार्क सफेद रंग की कमीज पहने हुए उदयनिधि ने अपने पिता एवं पार्टी प्रमुख एम के स्टालिन की शैली में ही तमिल में शपथ ली। उनकी कमीज पर द्रमुक की युवा इकाई का 'लोगो' छपा हुआ था।
तमिलनाडु मंे स्टालिन अभी से भाजपा को रोकने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा कई मोर्चों पर लड़ रही है। केरल के बाद अब तमिलनाडु ने भी राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तमिलनाडु के वित्तमंत्री पी. त्याग राजन ने कहा कि गैर-बीजेपी राज्यों में सरकारों को राज्यपालों की बढ़ती रुकावट का सामना करना पड़ रहा है। त्याग राजन ने राज्यपाल जैसे अनिर्वाचित व्यक्तियों के अनुचित आचरण पर सवाल उठाया। राज्य में सत्तारूढ़ डीएमके के नेतृत्व वाले धर्मनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन (एसपीए) ने राज्यपाल रवि को बर्खास्त करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति भवन का दरवाजा खटखटाया। सरकार ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने सांप्रदायिक घृणा को भड़काया है। गठबंधन के संसद सदस्यों ने पत्र पर हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति को अर्जी भेजी थी।
डॉ. त्याग राजन ने बताया, हमारे देश के संस्थापकों या संविधान निर्माताओं की दृष्टि में केंद्र सरकार की सलाह पर नियुक्त एक गैर-निर्वाचित व्यक्ति के व्यक्तिगत विचारों के आधार पर पारित कानून के बारे में राय रखने की कोई जगह नहीं थी। निर्वाचित विधानसभा के रूप में निर्वाचित राज्य प्रतिनिधियों का फैसला ही सर्वसम्मति से माना जाता था। उन्होंने कहा, मैं कहूंगा कि राज्यपाल की भूमिका में उच्च गरिमा और अत्यधिक मर्यादा होनी चाहिए। राज्यपाल के कार्यालय में बैठे लोगों के लिए यह बहुत ही अनुचित है कि वे उन चीजों के बारे में दार्शनिक विचारों को स्वीकार करना शुरू कर दें, जो संविधान से परे हैं या जिनके बारे में उनकी अपनी राय है। त्याग राजन ने कहा, देश में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले सबसे बड़े और सबसे मेहनती राज्यों में से एक के राज्यपाल के रूप में आपकी भूमिका अत्यधिक मर्यादा वाली होनी चाहिए। सरकार के प्रति आपका व्यवहार पूरी तरह से अनुचित है।
वित्त मंत्री की टिप्पणी तीन गैर-बीजेपी शासित दक्षिणी राज्यों में राज्यपालों और सरकारों के बीच संघर्ष के एक दिन बाद आई थी। बता दें कि इससे पहले केरल ने राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की जगह शिक्षाविदों को नियुक्त करने के लिए अध्यादेश का मार्ग प्रस्तावित किया, जबकि तमिलनाडु ने आरएन रवि को वापस बुलाने की मांग की। वहीं, तेलंगाना में राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने संदेह जताया कि उनका फोन टैप किया जा रहा है। 45 वर्षीय उदयनिधि पहली बार विधायक चुने गए हैं। वह अभिनेता और फिल्मकार हैं। वह राज्य मंे यूथ विंग को संभालेंगे।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसी के साथ कुछ लोकलुभावन योजनाएं भी चल रहे हैं। इन्हीं मंे से एक है स्कूलों में मुफ्त नास्ता। पलानी मंदिर की ओर से संचालित शिक्षण संस्थानों के 4 हजार स्टूडेंट्स के लिए कास्ट फ्री ब्रेकफास्ट स्कीम की शुरुआत की गयी। सीएम ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये डिंडीगुल जिले के 2 स्कूलों और 4 कॉलेजों के स्टूडेंट्स के लिए मंदिर द्वारा संचालित योजना का उद्घाटन किया। मंदिर प्रशासन इसका खर्च वहन करेगा। ब्रेकफास्ट में इडली, वेनपोंगल, रवा उपमा, चटनी के साथ खिचड़ी और सांबर परोसा जाएगा। इस मौके पर मानव संसाधन मंत्री पीके सुधाकर बाबू, खाद्य मंत्री आर सकरपाणि और राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारी भी मौजूद थे। पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर को पलानी मंदिर के नाम से जाना जाता है, दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं जिसमें पड़ोसी राज्य केरल के अलावा मलेशिया और सिंगापुर जैसे देश शामिल हैं, जहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के तमिल रहते हैं। भगवान मुरुगा को समर्पित यह पूजा स्थल, राज्य सरकार के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर और सीई) विभाग द्वारा प्रशासित है। तमिलनाडु विधानसभा में 2022-23 के लिए मानव संसाधन और सीई विभाग को अनुदान की मांग में सरकार ने पलानी मंदिर द्वारा संचालित स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों के लिए मुफ्त नाश्ता योजना की घोषणा की थी। सीएम स्टालिन ने इस साल 15 सितंबर को कक्षा 1 से 5 तक के सरकारी स्कूल के छात्रों के लिए नाश्ते की योजना शुरू की थी। इस तरह की तमाम योजनाओं से स्टालिन भाजपा का मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं। (हिफी)